NSE कंपनियों में FPI निवेश 15 साल के निचले स्तर पर, लेकिन फाइनेंशियल्स समेत इन 3 सेक्टर्स में जोरदार खरीद
सितंबर 2025 तिमाही में NSE-लिस्टेड कंपनियों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) की हिस्सेदारी गिरकर 15 साल के निचले स्तर 16.9% पर आ गई है. लगातार आउटफ्लो के बीच FPIs ने कुछ चुनिंदा सेक्टर्स में अपना दांव मजबूत किया है. जानें कैसा है बाजार में विदेशी निवेशकों का रुख.
भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों (FPIs) की हिस्सेदारी लगातार घट रही है और सितंबर 2025 तिमाही में यह 15 साल के निचले स्तर पर पहुंच गई. हालांकि FPI फ्लो में कमजोरी दिख रही है, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि उनके निवेश का रुख बेहद चुनिंदा सेक्टर्स पर केंद्रित होता जा रहा है. इससे साफ झलकता है कि विदेशी निवेशक भारत में व्यापक खरीदारी करने के मूड में नहीं हैं, बल्कि वे केवल उन सेक्टर्स में जगह बना रहे हैं जहां जोखिम कम और रिटर्न का संभावित रास्ता मजबूत दिख रहा है.
NSE-लिस्टेड कंपनियों में FPI हिस्सेदारी लगातार गिरावट में
India Inc. Ownership Tracker रिपोर्ट के अनुसार, NSE-लिस्टेड कंपनियों में FPI होल्डिंग सितंबर 2025 तिमाही में घटकर 16.9 फीसदी पर पहुंच गई, जो पिछले 15 साल का सबसे कम स्तर है. मार्च 2023 से यह गिरावट लगातार जारी है और केवल दो तिमाहियों को छोड़ दें तो पिछले दो साल से FPIs का भारतीय बाजार में रुख दबाव में रहा है. सिर्फ सितंबर तिमाही में ही FPIs ने भारतीय इक्विटी मार्केट से 8.7 अरब डॉलर का आउटफ्लो किया.
वैल्यू के हिसाब से देखें तो FPIs की हिस्सेदारी 75.2 लाख करोड़ रुपये रह गई, जो पिछले तिमाही की तुलना में 5.1% कम है. वहीं, Nifty 50 में उनकी हिस्सेदारी घटकर 24.1% और Nifty 500 में 18% पर पहुंच गई, दोनों ही 13 साल के निचले स्तर.
कौन से सेक्टर्स हुए FPI के पसंदीदा?
निवेश में गिरावट के बावजूद FPIs ने कुछ सेक्टर्स में अपना दांव और मजबूत किया है.
- फाइनेंशियल्स – FPIs ने फाइनेंशियल सेक्टर पर सबसे बड़ा ओवरवेट बनाए रखा है. इस सेक्टर में मजबूत बैलेंस शीट, बेहतर क्रेडिट ग्रोथ और स्थिर आय दिख रही है, जो विदेशी निवेशकों को आकर्षित कर रही है.
- कम्युनिकेशन सर्विसेज – रिपोर्ट बताती है कि FPIs ने इस सेक्टर में अपना पोजिशन और मजबूत किया है. टेलीकॉम में बढ़ते ARPU, डेटा खपत और 5G-लिंक्ड संभावनाओं ने इसे आकर्षक बनाया है.
- रियल एस्टेट में 19.4% हिस्सेदारी- यह सेक्टर FPIs के लिए नया फेवरेट बन रहा है. किफायती आवास, मजबूत डिमांड और उपभोक्ता भरोसे ने रीअल्टी को मजबूत अपील दी है.
किन सेक्टर्स से दूरी?
FPIs ने कुछ सेक्टर्स में साफ सावधानी बरती है:
- IT सेक्टर में हिस्सेदारी 93 तिमाहियों के निचले स्तर पर, जो वैश्विक मांग में नरमी से जुड़ा है.
- कंज्यूमर स्टेपल्स भी 2004 के बाद के सबसे कमजोर स्तर पर.
- एनर्जी, मटेरियल्स और इंडस्ट्रियल्स में उनका रुख स्थायी रूप से अंडरवेट दिख रहा है.
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कुल मिलाकर, भले ही FPIs ने भारतीय बाजार में अपना निवेश कम किया हो, लेकिन उनका फोकस अधिक चुनिंदा और रणनीतिक हो गया है. फाइनेंशियल्स, कम्युनिकेशन सर्विसेज और रियल एस्टेट जैसे सेक्टर्स में उनका भरोसा बरकरार है, जो आगे आने वाले महीनों में बाजार के सेक्टोरल मूवमेंट को प्रभावित कर सकता है.
डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल स्टॉक्स की जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.
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