₹10.76 लाख/टन के करीब पहुंची कॉपर की कीमत, Citigroup ने कहा- 2026 में ₹90000 तक बढ़ सकते हैं दाम, इन शेयरों पर रखें नजर

ग्लोबल मार्केट में कॉपर की कीमतें रिकॉर्ड स्तर के करीब पहुंच गई हैं और $12,000 प्रति (10.76 लाख रुपये) टन की ओर बढ़ रही हैं. सप्लाई की कमी, अमेरिका में तेज शिपमेंट, खदानों में रुकावट और AI व एनर्जी ट्रांजिशन से जुड़ी मजबूत मांग के चलते बैंकों ने आगे और तेजी का अनुमान जताया है.

कॉपर Image Credit: Canva

एनर्जी ट्रांजिशन के लिए बेहद अहम धातु कॉपर (तांबा) की कीमतें वैश्विक बाजार में नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ती दिख रही हैं. लंदन मेटल एक्सचेंज (LME) पर साल खत्म होने से पहले कॉपर ने नया रिकॉर्ड बनाया है और इसकी कीमतें 12,000 डॉलर यानी 10.76 लाख रुपये प्रति टन के करीब पहुंच गई हैं. सोमवार को LME पर कॉपर 0.9% की तेजी के साथ $11,982 प्रति टन पर कारोबार करता दिखा. मौजूदा साल 2025 में कॉपर की कीमतें करीब 40% चढ़ चुकी हैं, जो 2009 के बाद इसका सबसे बड़ा सालाना उछाल माना जा रहा है. कुल मिलाकर, सप्लाई टाइटनेस, एनर्जी और AI से जुड़ी लॉन्ग टर्म मांग और बड़े बैंकों के बुलिश अनुमान के चलते कॉपर की कीमतों में आने वाले समय में और तेजी की संभावना जताई जा रही है. Bloomberg की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी बैंक Citigroup Inc. ने 2026 में कॉपर की कीमतें और ऊपर जाने का अनुमान जताया है. आइये जानते हैं कि 2026 में इसकी कीमतें कहां तक पहुंच सकती हैं.

कहां तक पहुंच सकती है कीमत

अमेरिका के बड़े इन्वेस्टमेंट बैंक भी कॉपर को लेकर बेहद बुलिश नजर आ रहे हैं. Bloomberg की रिपोर्ट के अनुसार, Citigroup Inc. का कहना है कि 2026 की दूसरी तिमाही तक कॉपर 13,000 डॉलर प्रति टन तक पहुंच सकता है, क्योंकि अमेरिका तक धातु पहुंचाने की होड़ तेज हो रही है. वहीं Goldman Sachs Group Inc. ने हाल ही में कॉपर को अगले साल के लिए अपनी पसंदीदा धातु बताया है.

क्यों बढ़ रही हैं कीमतें

विशेषज्ञों के मुताबिक, हाल के महीनों में कॉपर की तेजी की सबसे बड़ी वजह वैश्विक सप्लाई के सख्त होने की आशंका है, जिसने मांग में आई सुस्ती को भी पीछे छोड़ दिया है. एनर्जी ट्रांजिशन, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, रिन्यूएबल एनर्जी और अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से जुड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर जरूरतों ने कॉपर को लंबे समय के लिए मजबूत मांग वाली धातु बना दिया है.

यह भी वजह

तुरंत तेजी की एक अहम वजह अमेरिका की ओर धातु की तेज शिपमेंट मानी जा रही है. संभावित एक्सपोर्ट फीस (टैरिफ) से पहले कंपनियां कॉपर को अमेरिका भेजने की कोशिश कर रही हैं, जिससे दुनिया के बाकी हिस्सों में सप्लाई की कमी का खतरा बढ़ गया है. इसके अलावा, कई खदानों में अनियोजित आउटेज और उत्पादन में रुकावटों ने भी बाजार को टाइट किया है. इसके बावजूद निवेशक कॉपर फ्यूचर्स और माइनिंग शेयरों में जमकर पैसा लगा रहे हैं.

कॉपर के प्रमुख शेयर

  • वेदांता एक डाइवर्स मेटल और माइनिंग कंपनी है, लेकिन कॉपर सेगमेंट में इसकी मजबूत प्रजेंस है. कंपनी का तूतुकुडी स्मेल्टर और सिलवासा रिफाइनरी मिलकर देश की सबसे बड़ी इंटीग्रेटेड कॉपर क्षमता में से एक बनाते हैं.
  • हिंडाल्को दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कॉपर रॉड प्रोड्यूसर और भारत की अग्रणी कॉपर कंपनी मानी जाती है. गुजरात के दहेज में स्थित इसका फुली इंटीग्रेटेड कॉपर कॉम्प्लेक्स ग्लोबल लेवल पर बड़ा कस्टम कॉपर कॉम्प्लेक्स है.
  • हिंदुस्तान कॉपर देश की मिनी रत्न कंपनी है और भारत की एकमात्र PSU है जो कॉपर ओर माइनिंग, यानी तांबे की खान से सीधे प्रोडक्शन का काम करती है.. कंपनी के पास देश में कॉपर ओर के सभी ऑपरेटिंग माइनिंग लीज हैं.

डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल स्टॉक्स की जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.