कॉपर में जबरदस्त तेजी! 2017 के बाद सबसे लंबी रैली, इस स्टॉक ने पैसा किया दोगुना
हाल के दिनों में Comex और London Metal Exchange के बीच मार्च कॉपर फ्यूचर्स का प्रीमियम जरूर थोड़ा घटा है, लेकिन अमेरिका में इन्वेंटरी अब भी बढ़ रही है. मजबूत मैक्रो आउटलुक और सप्लाई रिस्क के चलते चौथी तिमाही में बना तेजी का माहौल अभी बदला नहीं है.
दिसंबर महीने में कॉपर ने जोरदार तेजी दिखाई है और साल 2017 के बाद अपनी सबसे लंबी लगातार बढ़त दिखाई है. सप्लाई चेन में दबाव बढ़ने की आशंका और टैरिफ को लेकर चिंताओं ने इस मेटल में तेजी को और हवा दी है. कॉपर की कीमत में 2.7 प्रतिशत की तेजी आई और यह बढ़कर करीब 12,558.50 रुपये प्रति टन पर बंद हुआ. यह लगातार आठवां कारोबारी दिन था जब कॉपर में मजबूती देखने को मिली. बाजार की सेंटीमेंट अब भी मजबूत बनी हुई है. इसका असर हिन्दुस्तान कॉपर जैसे शेयरों पर हुआ है. एक साल में इसने 115 फीसदी तक बढ़त हासिल की है. एक साल पहले आपने 1 लाख लगाए होते तो आपका निवेश 1,15000 रुपये हो गए होते.
साल के अंत में रिकॉर्ड स्तर के करीब
अमेरिका में संभावित आयात शुल्क यानी टैरिफ को देखते हुए ट्रेडर्स तेजी से कॉपर को वहां भेज रहे हैं. इससे दुनिया के बाकी हिस्सों में सप्लाई और ज्यादा तंग हो गई है, जिसका सीधा असर कीमतों पर दिख रहा है. साल के आखिर में आई तेजी के दौरान सोमवार को कॉपर करीब 13,000 रुपये प्रति टन के रिकॉर्ड स्तर के आसपास पहुंच गया था, हालांकि बाद में इसमें हल्की गिरावट आई. इस साल अब तक कॉपर फ्यूचर्स में 40 प्रतिशत से ज्यादा की तेजी आ चुकी है, जो साल 2009 के बाद की सबसे बड़ी सालाना बढ़त मानी जा रही है.
सप्लाई से जुड़ी दिक्कतें बनी बड़ी वजह
इस साल मेटल्स मार्केट पर सप्लाई से जुड़ी समस्याएं हावी रहीं. इंडोनेशिया, चिली और कांगो जैसे देशों की कॉपर माइंस में दुर्घटनाओं से उत्पादन प्रभावित हुआ. वहीं एल्युमिनियम की सप्लाई पर चीन में ऊंची एनर्जी लागत और लिमिट्स का असर पड़ा है. जिंक की माइंस में भी रुकावटें देखी गई हैं.
अमेरिका के टैरिफ कॉपर के लिए अहम फैक्टर
कॉपर के मामले में अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाने की आशंका सबसे बड़ा ड्राइवर बनी हुई है. Mercuria Energy Group ने नवंबर में चेतावनी दी थी कि साल 2026 में दुनिया के बाकी हिस्सों में कॉपर की भारी कमी देखने को मिल सकती है.
अन्य मेटल्स में भी तेजी
हाल के दिनों में Comex और London Metal Exchange के बीच मार्च कॉपर फ्यूचर्स का प्रीमियम जरूर थोड़ा घटा है, लेकिन अमेरिका में इन्वेंटरी अब भी बढ़ रही है. मजबूत मैक्रो आउटलुक और सप्लाई रिस्क के चलते चौथी तिमाही में बना तेजी का माहौल अभी बदला नहीं है. इसके साथ ही एक्सचेंज पर बाकी सभी मेटल्स में भी तेजी देखने को मिली, जिसमें निकल सबसे आगे रहा. इंडोनेशिया ने कीमतें बढ़ाने के लिए सप्लाई घटाने की योजना का संकेत दिया है, जिससे निकल में भी मजबूती आई है.
डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल स्टॉक्स की जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.
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