₹50000 करोड़ का ऑर्डर पाइपलाइन, 30% ग्रोथ गाइडेंस; GRSE के स्टॉक में गिरावट के बावजूद मजबूत Outlook

डिफेंस एंड शिपबिल्डिंग सेक्टर में अग्रणी एक सरकारी कंपनी ने अगले साल के लिए बेहद आक्रामक ग्रोथ संकेत दिए हैं. ऑर्डर बुक और प्रोजेक्ट पाइपलाइन ने निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ाई है, जबकि स्टॉक में मामूली गिरावट के बावजूद बाजार की नजरें आगे के संकेतों पर टिक गई हैं.

GRSE Image Credit: CANVA

इंडियन डिफेंस एंड शिपबिल्डिंग सेक्टर में एक अहम खिलाड़ी Garden Reach Shipbuilders & Engineers Limited (GRSE) ने आने वाले वित्त वर्ष के लिए मजबूत प्रदर्शन का संकेत दिया है. कंपनी न सिर्फ अपने ऑर्डर बुक का आकार बढ़ाने जा रही है, बल्कि FY26 में 25-30 फीसदी रेवेन्यू ग्रोथ का टारगेट भी रख रही है. ऐसे समय में जब रक्षा निवेश और घरेलू निर्माण को सरकार का मजबूत समर्थन मिल रहा है, यह स्टॉक बाजार की निगाहों में बना हुआ है.

स्टॉक में भरोसा बरकरार और ऑर्डर बुक टारगेट

कंपनी का शेयर बाजार मार्केटकेप 28,300 करोड़ रुपये है. शुक्रवार को इसके शेयर कीमत में करीब 3.14 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई और यह 2,470.50 रुपये प्रति शेयर पर बंद हुआ. बावजूद इसके, विश्लेषक इस स्टॉक में दीर्घकालिक संभावनाएं देखते हैं क्योंकि कंपनी ने भविष्य की मांग और ऑर्डर बुक पर स्पष्ट दृष्टि पेश की है.

GRSE के प्रबंधन ने कहा है कि कंपनी इस वित्त वर्ष का अंत करीब 50,000 करोड़ रुपये या उससे अधिक के ऑर्डर बुक के साथ कर सकती है. इसके पीछे नई पीढ़ी के युद्धपोत (NGC) के कॉन्ट्रैक्ट और भविष्य में मिलने वाले P-17 Bravo प्रोजेक्ट का योगदान होगा. प्रबंधन का अनुमान है कि अगले 15–18 महीनों में कुल ऑर्डर पाइपलाइन 75,000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है.

30 सितंबर 2025 तक कंपनी का ऑर्डर बुक 20,205 करोड़ रुपये तक पहुंच गई, जिसमें 10 प्रमुख जहाज निर्माण प्रोजेक्ट शामिल हैं. यह 43 प्लेटफॉर्म को कवर करती है. प्रमुख परियोजनाओं में शामिल हैं:

● P-17A फ्रिगेट्स (9,500 करोड़)
● ASW शैलो वॉटर क्राफ्ट्स (8 जहाज, 3,075 करोड़)
● नेक्स्ट-जेन ऑफशोर पैट्रोल वेसल्स (3,250 करोड़)

इसके अलावा अन्य ऑर्डर में सर्वे वेसल्स, 30mm नेवल गन, जर्मन मल्टीपर्पज वेसल्स (5,400 करोड़) और बांग्लादेश के लिए ट्रेलिंग सक्शन हॉपपर ड्रेजर शामिल हैं. कुल ऑर्डर बुक में 83% परियोजनाएं रक्षा क्षेत्र से और 17% गैर-रक्षा श्रेणी से हैं.

कंपनी की जड़ें और ग्रोथ

1884 में हुगली नदी के किनारे प्राइवेट ऑफिस के रूप में शुरू हुआ यह संगठन आज भारत के रक्षा जहाज निर्माण क्षेत्र का प्रमुख नाम है. 1960 में राष्ट्रीयकरण और 2006 में मिनीरत्ना का दर्जा मिलने के बाद कंपनी ने तेज क्षमता विस्तार देखा. आज यह भारतीय नौसेना, कोस्ट गार्ड और विदेशी नौसेनाओं को युद्धपोत से लेकर फास्ट अटैक क्राफ्ट जैसे विविध जहाज सप्लाई करती है.

कंपनी अब तक 800 से अधिक प्लेटफॉर्म और 114 से ज्यादा युद्धपोत डिलीवर कर चुकी है. जहाज निर्माण के अलावा यह मरीन इंजन, डेक मशीनरी और स्टील ब्रिज भी बनाती है.

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कैसा रहा वित्तीय प्रदर्शन?

Q2 FY26 में कंपनी का रेवेन्यू 45.45 फीसदी बढ़कर 1,677 करोड़ रुपये हुआ, जबकि शुद्ध लाभ 57.14% बढ़कर 154 करोड़ रुपये पहुंच गया. पिछले पांच वर्षों में रेवेन्यू और लाभ क्रमशः 28.78% और 26.45% CAGR से बढ़े हैं. कंपनी की ROCE 36.6% और ROE 27.6% है, जबकि डेट-टू-इक्विटी अनुपात लगभग शून्य (0.01x) है.

डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल स्टॉक्स की जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.