एनर्जी सेक्टर का ग्राफ यूं तय करता है डेटा सेंटर, सेमिकंडक्टर और AI इंडस्ट्री का प्रदर्शन, शेयरों पर दिखता है असर
दुनिया की अर्थव्यवस्था से लेकर चिप निर्माण, डेटा सेंटर्स और एआई तक हर उद्योग की रफ्तार ऊर्जा पर ही निर्भर है. जैसे-जैसे तकनीक और अर्थव्यवस्था आगे बढ़ रही है, बिजली की मांग तेजी से बढ़ती जा रही है. नवीकरणीय ऊर्जा का दायरा बढ़ रहा है, लेकिन अभी भी थर्मल पावर वैश्विक बिजली उत्पादन की रीढ़ बना हुआ है.
दुनिया आज जितनी तेजी से आगे बढ़ रही है, उतनी ही तेजी से ऊर्जा की जरूरत भी बढ़ रही है. बिजली, तेल, गैस या सौर ऊर्जा, इनमें से किसी के बिना भी आधुनिक जिंदगी चल ही नहीं सकती. रोजमर्रा के घरेलू कामों से लेकर बड़े-बड़े कारखानों, डेटा सेंटर्स और हाई-टेक चिप फैक्ट्रियों तक, हर जगह ऊर्जा ही वह ताकत है जो पूरी अर्थव्यवस्था को चलाए रखती है. यही वजह है कि वैश्विक ऊर्जा सेक्टर न केवल बड़ा है, बल्कि हर उद्योग पर उसका सीधा असर पड़ता है. इसलिए शेयर मार्केट में दिलचस्पी रखने वाले निवेशकों के लिए एनर्जी स्टॉक को फोकस में रखना उन्हें मुनाफा दिला सकता है.
ऊर्जा सेक्टर क्या है?
एनर्जी सेक्टर उन सभी बिजनेस का समूह है जो ऊर्जा का उत्पादन, सप्लाई और वितरण करते हैं. इसमें कोयला, तेल और गैस जैसी पारंपरिक ऊर्जा के साथ-साथ सौर, पवन और हाइड्रो जैसी नवीकरणीय ऊर्जा भी शामिल है. उभरती अर्थव्यवस्थाओं में तेज विकास होने से वैश्विक ऊर्जा की मांग लगातार बढ़ती जा रही है. हालांकि नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ रही है, लेकिन अभी भी थर्मल पावर ही बिजली उत्पादन का सबसे बड़ा आधार है.
सेमीकंडक्टर उद्योग, बिजली पर सबसे ज्यादा निर्भर
दुनिया के सबसे ऐडवांस सेमीकंडक्टर प्लांट उन मशीनों पर चलते हैं जिन्हें 24 घंटे निर्बाध और स्थिर बिजली चाहिए. साफ-सुथरे क्लीनरूम, हाई-प्रिसिजन मशीनें और भारी कूलिंग सिस्टम, इन सबको लगातार ऊर्जा चाहिए. एक छोटी-सी बिजली की कटौती भी करोड़ों रुपये के वेफर खराब कर सकती है.
2016 से 2023 के बीच, जब ताइवान की चिप निर्माता कंपनी TSMC ने 10 nm से 3 nm तक के चिप्स बनाए, तब उसने 110 GW से 250 GW तक ऊर्जा का उपयोग किया. यह आंकड़ा दिखाता है कि सिर्फ एक कंपनी की ऊर्जा खपत कितनी बड़ी है. और जैसे-जैसे तकनीक आगे बढ़ रही है, ऊर्जा की यह मांग और बढ़ती जा रही है.
डेटा सेंटर्स और AI, बिजली के सबसे बड़े उपभोक्ता
क्लाउड कम्प्यूटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इलेक्ट्रिक वाहन और बिग डेटा, यह सब शक्तिशाली सर्वर और चिप्स पर चलते हैं और इन सबको भारी मात्रा में बिजली चाहिए होती है. आधुनिक डेटा सेंटर उतनी बिजली खपत कर लेते हैं जितनी एक छोटे कस्बे को चाहिए होती है.
सिर्फ सर्वर ही नहीं, उन्हें ठंडा रखने वाले कूलिंग सिस्टम भी लगभग उतनी ही ऊर्जा लेते हैं. यही कारण है कि जो देश बिजली को सस्ती और स्थिर दरों पर उपलब्ध करा पाते हैं, वही AI और हाई-टेक उद्योगों में तेजी से आगे बढ़ पाते हैं.
जनरेटिव AI का इस्तेमाल आज एक अरब लोग रोज कर रहे हैं. एक AI प्रॉम्प्ट पर लगभग 0.34 वाट-घंटा ऊर्जा लगती है. साल भर में यह 310 गीगावॉट-घंटे बन जाती है, जो कई अफ्रीकी देशों में लाखों लोगों की सालाना बिजली खपत के बराबर है.
ऊर्जा सेक्टर का भविष्य, बड़ा बदलाव आने वाला है
वैश्विक ऊर्जा क्षेत्र एक बड़े परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है. आबादी बढ़ने, उद्योगों के विस्तार और तकनीक के तेज विकास ने ऊर्जा की मांग को रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा दिया है. खास बात यह है कि बिजली की मांग कुल ऊर्जा मांग से कहीं तेजी से बढ़ रही है, क्योंकि उद्योग, वाहन और कई बड़े सेक्टर अब इलेक्ट्रिक तकनीक को अपनाते जा रहे हैं.
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नवीकरणीय ऊर्जा तेजी से बढ़ रही है, लेकिन अभी भी संक्रमण के दौर में कोयला और गैस की भूमिका बनी हुई है. आने वाले समय में देशों को अपनी बिजली ग्रिड मजबूत करनी होगी, ऊर्जा दक्षता बढ़ानी होगी और पुराने-नए ऊर्जा स्रोतों के बीच संतुलन बनाना होगा. यही रास्ता दुनिया को एक साफ, टिकाऊ और स्थिर ऊर्जा प्रणाली की ओर ले जाएगा.
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