Groww को भारी पड़ीं गड़बड़ियां, सेबी ने खींचे कान, चुकानी पड़ी इतनी रकम, जानें क्या है पूरा मामला?

Groww Invest Tech की तरफ से शेयर बाजार से जुड़े नियमों के उल्लंघन के मामले सेबी के साथ समझौता कर लिया गया है. सेबी ने स्टॉक ब्रोकर्स के नियमों और अन्य मानदंडों के कथित उल्लंघन के मामले में ग्रो को नोटिस दिया था. फिलहाल, कंपनी ने किसी भी तरह के आरोपों को स्वीकार किए बिना सेबी के साथ समझौता कर लिया है.

सेबी Image Credit: Pavlo Gonchar/SOPA Images/LightRocket via Getty Images

Groww Invest Tech ने स्टॉक ब्रोकर फर्म के तौर पर अपनी जिम्मेदारियों में बरती गई कोताही के मामले में सेबी का साथ समझौता कर लिया है. कंपनी ने सेबी की तरफ से लगाए गए आरोपों को स्वीकार किए बिना 47.85 लाख रुपये का भुगतान कर इस मामले का निपटारा किया है. SEBI ने Groww पर कई नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था, जिसमें गलत जानकारी वाली रिटेंशन स्टेटमेंट भेजना और गैर-सिक्योरिटी सेवाएं प्रदान करना शामिल है. कंपनी को फौरी तौर पर इस मामले में राहत मिल गई है. लेकिन, SEBI ने किसी तरह की नई जानकारियां सामने आने पर मामले को फिर से खोलने का अधिकार सुरक्षित रखा है.

क्या था मामला, कैसे आया सामने?

पहले नेक्स्टबिलियन टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड के नाम से काम करने वाली कंपनी ग्रो इन्वेस्ट टेक का सेबी ने व्यापक निरीक्षण किया. इसमें सामने आया कि कंपनी ने बहुत से यूजर को गलत जानकारी वाली रिटेंशन स्टेटमेंट भेजे हैं. इसके अलावा गैर-सिक्योरिटी सेवाएं भी प्रदान की हैं, जो सीधे तौर पर स्टॉक ब्रोकर्स से जुड़े नियमों का उल्लंघन है. सेबी ने इस मामले में कंपनी से जवाब मांगा, जिसका कोई भी जवाब देने के बजाय कंपनी ने सेबी के साथ समझौता करने का विकल्प चुना है.

सेबी ने क्या कहा?

इस मामले की जांच-पड़ताल करने वाले सेबी के न्यायनिर्णयन अधिकारी अमित कपूर ने कहा कि कंपनी ने सेबी की तरफ से रखी गई निपटारे की सभी शर्तों को स्वीकार कर लिया है. लिहाजा, 25 नवंबर, 2024 के एससीएन के तहत आवेदक के खिलाफ जो कार्यवाही शुरू की गई थी, उसे अब खत्म कर दिया गया है. सेबी ने अपनी जांच के दौरान पाया कि ग्रो इन्वेस्ट टेक ने 38 ग्राहकों को गलत रिटेंशन स्टेटमेंट भेजे थे. इसके अलावा कई खातों में शेष और मार्जिन लाइबिलिटी से जुड़ी गड़बड़ी भी पाई गईं.

नॉन-सिक्योरिटीज गतिविधियां

सेबी की तरफ से जारी सेटलमेंट ऑर्डर में बताया गया है कि ग्रो को अपने ट्रेडिंग ऐप के जरिये यूपीआई भुगतान और बिल भुगतान जैसी नॉन-सिक्योरिटीज सेवाएं भी शुरू कर दी थीं. यह पूरी तरह से नियमों के खिलाफ है. इसके अलावा, सेबी ने पाया कि ग्रो के बिजनेस कंट्युनिटी प्लान की अनिवार्य अर्ध-वार्षिक समीक्षा नहीं की जा रही थी.