Groww की शानदार लिस्टिंग के बाद 55+ PE Ratio पर बढ़ी दिलचस्पी, पर कितना सही है कंपनी का वैल्यूएशन; जानें सच्चाई
Groww की धमाकेदार लिस्टिंग के बाद निवेशक अब इसके 55+ PE वाले ऊंचे वैल्यूएशन पर सवाल उठा रहे हैं. रेवेन्यू में गिरावट और मुनाफे में मजबूती ने तस्वीर को और दिलचस्प बना दिया है. ऐसे में जानें कंपनी के वैल्यूएशन और पीई रेशियो का आंकड़ा यहां तक कैसे पहुंचा और कंपनी कितनी दमदार है.
भारत के शेयर बाजार में हाल के वर्षों में कई चर्चित लिस्टिंग हुई हैं, लेकिन Groww की पैरेंट कंपनी Billionbrains Garage Ventures Limited जितनी चर्चा शायद ही किसी ने बटोरी हो. निवेशकों के बीच इसकी लोकप्रियता, सोशल मीडिया पर मजबूत उपस्थिति और बेहद आसान ऐप अनुभव ने इस कंपनी को लिस्टिंग से पहले ही सुर्खियों में ला दिया था. बाजार का उत्साह भी कम नहीं रहा और जैसे ही कंपनी ने डेब्यू किया, निवेशकों ने इसे खुले दिल से अपनाया. लेकिन शुरुआती जोश अब थोड़ा शांत हो रहा है और इसी के साथ वह बड़ा प्रश्न उठ रहा है- क्या Groww का 55 से अधिक का प्राइस-टू-अर्निंग अनुपात वाजिब है? क्या कंपनी की मौजूदा कमाई और ग्रोथ वास्तव में इतनी ऊंची कीमत को सपोर्ट करती हैं?
ग्रो की कमाई और रेवेन्यू की तस्वीर
कंपनी के Q2 FY26 नतीजे मिले-जुले रहे. रेवेन्यू सालाना आधार पर लगभग 9.5 प्रतिशत घटकर 1,018.74 करोड़ रुपये रह गया, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह 1,125.39 करोड़ रुपये था. दूसरी ओर, तिमाही आधार पर रेवेन्यू में बढ़त दिखी और यह लगभग 12.6 प्रतिशत ऊपर गया. मुनाफे के मामले में कंपनी ने बेहतर प्रदर्शन किया और EBITDA में सालाना और तिमाही दोनों आधारों पर सुधार देखने को मिला.
मुनाफे में यह मजबूती बताती है कि कंपनी शायद खर्चों पर ज्यादा कंट्रोल कर चुकी है या प्रति ग्राहक कमाई बढ़ाने के अपने प्रयासों में सफल हो रही है. हालांकि, किसी भी डिजिटल प्लेटफॉर्म में सालाना रेवेन्यू का घट जाना थोड़ा असहज करने वाला संकेत भी माना जाता है.
जेरोधा अब भी मानक, ग्रो अभी सीखने के चरण में
ग्रो का सबसे बड़ा मुकाबला जेरोधा से है, जो लंबे समय से भारतीय ब्रोकिंग इंडस्ट्री का सबसे स्थिर और लाभदायक खिलाड़ी माना जाता है. FY25 में जेरोधा की कमाई और मुनाफे में गिरावट जरूर दर्ज हुई, लेकिन कंपनी अब भी मजबूत नकद भंडार, हाई मार्जिन और लगभग शून्य लोन वाले बिजनेस मॉडल के कारण सबसे सुरक्षित खिलाड़ियों में गिनी जाती है.
बड़ी बात यह है कि उसके पास 22 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कैश रिजर्व है, जो उसे बाजार के उतार-चढ़ाव में सहजता से आगे बढ़ने का मौका देता है. ग्रो अपने नतीजों में सुधार जरूर दिखा रहा है, लेकिन स्थिरता और पैमाने की दृष्टि से वह अभी जेरोधा की बराबरी में नहीं है.
वैल्यूएशन इतना ऊंचा क्यों और क्या यह टिकेगा?
ग्रो की लिस्टिंग के बाद सबसे ज्यादा ध्यान उसके वैल्यूएशन पर गया. 55 से अधिक के PE पर ट्रेडिंग करने वाली यह कंपनी ट्रेडिशनल ब्रोकरेज कंपनियों के मुकाबले लगभग दोगुने वैल्यू पर पहुंच चुकी है. दिलचस्प बात यह है कि Groww का मार्केट कैप अब एशिया के सबसे पुराने एक्सचेंज BSE के बराबर खड़ा है. यह तुलना निश्चित रूप से बड़े सवाल खड़े करती है कि क्या सिर्फ नौ साल पुरानी एक डिजिटल ब्रोकरेज कंपनी की कीमत उस संस्थान के बराबर रखी जा सकती है जो 149 वर्षों से भारत के बाजार को दिशा दे रहा है.
बाजार ने Groww को यह ऊंचा वैल्यूएशन इसलिए दिया क्योंकि इसका यूजर बेस लगातार बढ़ रहा है, नई पीढ़ी इसकी ओर आकर्षित हो रही है, ऐप का अनुभव बेहद सरल है और छोटे शहरों में भी इसकी पकड़ मजबूत होती जा रही है. इक्विटी ट्रेडिंग और SIP में तेजी से बढ़ते आंकड़ों ने भी इसे भारी समर्थन दिया. लेकिन बाजार भविष्य की संभावनाओं के आधार पर जितना उत्साह दिखाता है, उतना ही कठोर भी हो जाता है जब वास्तविक आंकड़े उम्मीदों पर खरे नहीं उतरते.
यह भी पढ़ें: ICICI Pru AMC को सेबी की मंजूरी, दिसंबर में होगी बड़ी लिस्टिंग, जानें क्या है इश्यू साइज और कंपनी का प्लान
आगे की राह और जोखिम
लिस्टिंग के बाद जिस तेजी से Groww का शेयर लगभग 70 प्रतिशत ऊपर गया है, उससे यह साफ है कि बाजार का भरोसा शुरू में बेहद मजबूत था. लेकिन इतनी ऊंची कीमत पर ट्रेडिंग करने वाली कंपनी के लिए छोटी सी चूक भी शेयर की दिशा तेजी से बदल सकती है. बाजार भावना से ऊपर उठना आसान है, पर टिके रहना सिर्फ फंडामेंटल मजबूती से ही संभव है. आने वाले तिमाहियों में Groww को यह साबित करना होगा कि उसका बिजनेस सिर्फ हाइप पर नहीं बल्कि स्थाई ग्रोथ पर आधारित है.
डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल स्टॉक्स की जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.
Latest Stories
पांच साल में 41% तक CAGR के साथ वेल्थ मल्टीप्लायर बने ये 3 इक्विटी ETF, जानें किन थीम्स ने दिखाई ताकत?
डेरिवेटिव सेगमेंट में सुगबुगाहट तेज, 8 प्रमुख स्टॉक्स F&O बैन की संभावित लिस्ट में शामिल
₹12 के इस छुटकू शेयर में हांगकांग की कंपनी ने जताया भरोसा, 5 वर्षों में शेयरों ने दिया 1821% मल्टीबैगर रिटर्न
