अक्टूबर में क्यों बिखर गया शेयर बाजार? चीन फैक्टर के साथ इन वजहों ने भी बनाया दबाव
विदेशी निवेशकों ने इस महीने भारी बिकवाली की है, जिससे बाजार में कोविड महामारी के बाद सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली. हाल ही में भारतीय बाजारों को ग्लोबल और घरेलू दोनों ब्रोकरेज कंपनियों ने डाउनग्रेड किया है.

अक्टूबर में अब तक भारत के मार्केट कैपिटलाइजेशन में 8 फीसदी की गिरावट आई है. बाजार में आई गिरावट की बड़ी वजह विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली है. विदेशी निवेशकों ने इस महीने भारी बिकवाली की है, जिससे बाजार में कोविड महामारी के बाद सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली. देश का मार्केट कैप 7.6 फीसदी गिर गया, जो पिछले महीने के 4.90 ट्रिलियन डॉलर से 37 अरब डॉलर कम होकर 4.53 ट्रिलियन डॉलर पर आ गया. इस वजह से बेल्जियम (11%), पुर्तगाल (10%), वेनेजुएला (8.6%) और नीदरलैंड (8.4) के बाद ग्लोबल स्तर पर यह पांचवीं सबसे बड़ी गिरावट है.
विदेशी निवेशकों की रिकॉर्ड बिकवाली
अक्टूबर में सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में क्रमशः 4.7 फीसदी और 5.7 फीसदी की गिरावट आई, जबकि बीएसई मिडकैप और बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स में 6.7 फीसदी से अधिक की गिरावट दर्ज की गई. इस बीच, एफआईआई ने अक्टूबर में लगभग 10 अरब डॉलर के इक्विटी बेचे, जिसमें सेंकेडरी मार्केट में 11.7 अरब डॉलर की निकासी शामिल थी.
प्राइमरी मार्केट में इसकी भरपाई 1.7 बिलियन डॉलर के निवेश से हुई. दूसरी ओर, घरेलू इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (DII) ने हाई कैश रिजर्व और घरेलू इक्विटी म्यूचुअल फंड में मजबूत फ्लो की वजह से 11.6 अरब डॉलर की इक्विटी की खरीदारी की.
चीन फैक्टर और कमजोर नतीजे
मिडिल ईस्ट में बढ़ते तनाव और अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर बढ़ती अनिश्चितताओं के चलते विदेशी निवशकों ने भारतीय मार्केट से निकलना चुना है. क्योंकि इन दोनों फैक्टर्स ने मार्केट के सेंटीमेंट को कमजोर किया है. इसके अलावा, सितंबर तिमाही में कंपनियों के कमजोर नतीजे भी बाजार की रफ्तार पर ब्रेक लगाने की बड़ी वजह बने हैं. बाकी बचा हुआ काम चीन ने आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज देकर पूरा कर दिया है, जिससे विदेशी निवेशक चीन की तरफ मुनाफे के लिए रुख कर रहे हैं.
ब्रोकरेज ने की टार्गेट में कटौती
हाल ही में भारतीय बाजारों को ग्लोबल और घरेलू दोनों ब्रोकरेज कंपनियों ने डाउनग्रेड किया है. इसमें सेंसेक्स और निफ्टी के टार्गेट में कटौती की गई है. गोल्डमैन सैक्स ने अपने उभरते बाजार पोर्टफोलियो में भारतीय शेयरों की रेटिंग को ओवरवेट से बदलकर न्यूट्रल कर दिया है. इसके पीछे की वजह सुस्त इकोनॉमी ग्रोथ और कमजोर कॉरपोरेट मुनाफे को बताया गया है. ब्रोकरेज ने अपने 12 महीने के निफ्टी लक्ष्य को 27,500 से घटाकर 27,000 कर दिया है.
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