देश का अब हर कोना बन रहा है स्टॉक मार्केट का हिस्सा, NSE ने तोड़ा 220 करोड़ निवेशकों का रिकॉर्ड
भारत में निवेश का माहौल अब नए रंग लेता दिख रहा है. देश के अलग-अलग हिस्सों से आ रही एक ताजा रिपोर्ट से संकेत मिलते हैं कि शेयर बाजार में आम लोगों की भागीदारी लगातार तेज हो रही है. आंकड़े बता रहे हैं कि यह रुझान अब ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच चुका है.

भारतीय शेयर बाजार में निवेश को लेकर जनता की दिलचस्पी अब एक ऐतिहासिक मुकाम पर पहुंच गई है. अप्रैल 2025 में NSE यानी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने 22 करोड़ यूनिक क्लाइंट कोड्स (UCCs) का आंकड़ा पार कर लिया है. यह वही एक्सचेंज है जिसने महज छह महीने पहले, अक्टूबर 2024 में 20 करोड़ अकाउंट्स का आंकड़ा छुआ था. इस तेजी से बढ़ती भागीदारी ने एक बार फिर दिखा दिया है कि भारत का आम निवेशक अब बाजार की धड़कन को पहचानने लगा है.
महाराष्ट्र टॉप पर, यूपी-गुजरात भी रेस में
राज्यों की बात करें तो महाराष्ट्र 3.8 करोड़ अकाउंट्स के साथ पहले स्थान पर है. उसके बाद उत्तर प्रदेश (2.4 करोड़), गुजरात (1.9 करोड़), राजस्थान और पश्चिम बंगाल (1.3 करोड़) आते हैं. इन पांच राज्यों में ही कुल निवेशक अकाउंट्स का लगभग 49 फीसदी हिस्सा है. टॉप 10 राज्य मिलकर तीन-चौथाई यानी लगभग 75 फीसदी हिस्सेदारी रखते हैं.
पिछले पांच सालों में भारतीय शेयर बाजार ने निवेशकों को निराश नहीं किया है. Nifty 50 इंडेक्स ने 22 फीसदी वार्षिक रिटर्न दिया है, जबकि Nifty 500 ने 25 फीसदी तक रिटर्न दिया है. NSE का इन्वेस्टर प्रोटेक्शन फंड भी 23 फीसदी बढ़कर मार्च 2025 तक 2,459 करोड़ रुपये पहुंच चुका है.
डिजिटल इंडिया का असर, छोटे शहरों की भागीदारी
NSE के चीफ बिजनेस डिवेलपमेंट ऑफिसर श्री श्रीराम कृष्णन ने पीटीआई के हवाले से कहा कि निवेशक आधार में यह तेजी डिजिटल बदलाव और मोबाइल ट्रेडिंग की पहुंच के कारण आई है. खासकर टियर 2, 3 और 4 शहरों में निवेशक अब बाजार से सीधे जुड़ पा रहे हैं. आसान KYC प्रक्रिया और फाइनेंशियल लिटरेसी कैंपेन ने इस विस्तार को और तेज किया है.
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शेयर, ETF, बॉन्ड, REITs और InvITs जैसे विकल्पों के जरिये अब निवेश सीमित लोगों का विशेषाधिकार नहीं रहा. टेक्नोलॉजी ने निवेश को लोकतांत्रिक बना दिया है. 22 करोड़ अकाउंट्स इस बात का प्रमाण हैं कि भारत अब केवल उपभोक्ता नहीं, बल्कि पूंजी बाजार का जागरूक सहभागी भी बन चुका है.
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