Jane Street पर डबल मुसीबत, SEBI के बाद अब इनकम टैक्स का शिकंजा, करेगा इस मामले की जांच

अमेरिकी ट्रेडिंग फर्म जेन स्ट्रीट की मुश्किलें बढ़ गई हैं. सेबी ने इसके ट्रेडिंग पर रोक लगाई है और अब आयकर विभाग GAAR और परमानेंट एस्टैब्लिशमेंट नियमों के उल्लंघन की जांच कर सकता है. आरोप है कि जेन स्ट्रीट की भारतीय यूनिट इंट्राडे ट्रेड करती थी, जबकि विदेशी यूनिट्स ऑप्शन ट्रेडिंग से मुनाफा कमाकर टैक्स बचाती थीं.

अब इनकम टैक्स भी जेन स्ट्रीट पर करेगा छानबीन. Image Credit:

Jane Street: अमेरिकी प्रोपराइटरी ट्रेडिंग फर्म जेन स्ट्रीट की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं. सेबी के ट्रेडिंग से बैन लगाने के बाद अब इनकम टैक्स डिपार्टमेंट भी उसकी जांच कर सकता है. फर्म पर आरोप है कि कंपनी ने ट्रेडिंग के दौरान बड़े-पैमाने पर हेराफेरी की गई है, अब इस मामले में आयकर विभाग भी सक्रिय हो गया है और इस बात की जांच पर विचार कर रहा है कि फर्म ने कहीं जनरल एंटी अवॉइडेंस रूल्स (GAAR) और परमानेंट इस्टैब्लिशमेंट के नियमों का भी तो उल्लंघन नहीं किया है.

फर्म पर क्या आरोप

सेबी के मुताबिक, जेन स्ट्रीट की भारतीय यूनिट ने कैश सेगमेंट में इंट्राडे ट्रेड किए, जबकि सिंगापुर और हांगकांग स्थित इसकी ऑफशोर यूनिट ने इंडेक्स ऑप्शन ट्रेड्स से भारी मुनाफा कमाया. सेबी को शक है कि इस दौरान की गई ट्रेडिंग में भारत के टैक्स नियमों का उल्लंघन किया गया है. SEBI ने जेन स्ट्रीट को भारत में सिक्योरिटीज खरीदने-बेचने से रोक दिया और उनके लगभग 4,843 करोड़ रुपये जब्त करने के आदेश दिए है.

इनकम टैक्स किस बात की जांच करेगा

इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इस मामले में सेबी के अधिकारियों से अनौपचारिक चर्चा की है. हालांकि अभी तक विभाग ने जेन स्ट्रीट को कोई भी आधिकारिक नोटिस जारी नहीं किया है. लेकिन सेबी द्वारा जारी किए गए आदेश का गहन अध्ययन कर रहा है और इस बात की जांच कर रहा है कि कहीं इस दौरान इनकम टैक्स एक्ट के नियमों का भी उल्लंघन तो नहीं किया गया है.

क्या होगा इसका असर

रिपोर्ट के मुताबिक, अगर जेन स्ट्रीट ने भारत में टैक्स बचाने के लिए जो स्ट्रक्चर बनाया है, उसमें “वास्तविक व्यापारिक उद्देश्य” (Commercial Substance) की कमी है. इसका मतलब यह है कि जो लेन-देन किया गया, वह सिर्फ टैक्स बचाने के लिए किया गया, ना कि असली व्यापार के लिए. अगर ऐसा पाया जाता है, तो फर्म पर भारत में 38.22 फीसदी तक का टैक्स लग सकता है.

जेन स्ट्रीट ने कैसे काम किया

जेन स्ट्रीट ने अपने कारोबार को चार हिस्सों में बांटा था. भारत में अपनी कंपनियां JSI इन्वेस्टमेंट्स और JSI2 इन्वेस्टमेंट्स से शेयर बाजार में रोजाना खरीद-बिक्री (इंट्राडे ट्रेडिंग) करती थीं, जबकि सिंगापुर और हांगकांग में रजिस्टर्ड कंपनियां इंडेक्स ऑप्शन्स में ट्रेड करके बड़ा मुनाफा कमाती थीं.

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चाल क्या थी

इससे भारत में काम करने वाली कंपनियां सिर्फ छोटे-मोटे ट्रेड करती थीं. असली मुनाफा विदेशी कंपनियां (खासकर सिंगापुर वाली) कमाती थीं. ऐसा इसलिए क्योंकि भारत और सिंगापुर के बीच टैक्स संधि के तहत, सिंगापुर में इस तरह के मुनाफे पर कोई टैक्स नहीं लगता. भारतीय आयकर विभाग को शक है कि जेन स्ट्रीट ने जानबूझकर इस तरह की व्यवस्था बनाई थी ताकि भारत में कम टैक्स देना पड़े और असली मुनाफा टैक्स फ्री देश (सिंगापुर) में बुक किया जा सके.