अनिल अंबानी की वो गलतियां जिससे डूबा RCOM, कभी कहलाता था मल्टीबैगर, अब 100000 को बना दिए 210 रुपये

एक वक्त था जब रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) भारत की सबसे प्रमुख टेलीकॉम कंपनियों में शामिल थी. हालांकि समय बदला और कंपनी को बड़ा घाटा उठाना पड़ा. कभी इसने निवेशकों को दमदार रिटर्न दिया था, लेकिन कुछ वर्षों में 1 लाख रुपये की वैल्यू घटकर मात्र 210 रुपये रह गई. एक समय पर निवेशकों को मल्टीबैगर रिटर्न देने वाला यह शेयर अब मल्टीबेगर बन चुका है. कंपनी की स्थिति आज बेहद खराब हो चुकी है.

रिलायंस कम्युनिकेशंस Image Credit: money9live.com

Reliance Communications: अनिल अंबानी की टेलीकॉम कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (RCom) एक बार फिर चर्चा में है. यह टेलीकॉम कंपनी कभी भारत में निवेशकों की पसंदीदा हुआ करती थी. इसके शेयरों ने कई लोगों को मुनाफा दिलाया था, लेकिन अब यह बुरी तरह गिर चुका है. पहले यह मल्टीबैगर था, मगर अब यह मल्टीबेगर बन गया है. अगर किसी ने 18 साल पहले इसमें 1 लाख रुपये लगाए होते, तो आज उसकी कीमत सिर्फ 210 रुपये रह जाती, यानी 99.8 फीसदी की गिरावट.

हालांकि रिलायंस कम्युनिकेशंस का ट्रेडिंग विंडो बंद है और बंद होने तक इसका भाव 1.61 रुपये था. इसी बीच रिलायंस कम्युनिकेशंस ने एक्सचेंज को बताया है कि भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने उसके लोन अकाउंट को ‘फ्रॉड’ घोषित करने जा रहा है. साथ ही अनिल अंबनी का नाम भी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को रिपोर्ट किया जाएगा. तो चलिए आपको बताते हैं पूरा मामला क्या है और कैसे यह शेयर मल्टीबैगर से मल्टीबेगर बन गया.

क्या है पूरा मामला

रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) ने BSE और NSE को बताया कि SBI उसके लोन अकाउंट को ‘फ्रॉड’ घोषित करने जा रहा है. कंपनी ने यह भी कहा कि SBI, RBI के नियमों के तहत, RCom के पूर्व निदेशक अनिल अंबानी का नाम फ्रॉड केस में रिपोर्ट कर सकता है. RCom पहले से ही दिवालिया हो चुकी है और IBC (इन्सॉल्वेंसी कोड) के तहत कानूनी प्रक्रिया चल रही है.

गौरवशाली था इतिहास

2000 के दशक की शुरुआत में, अनिल अंबानी की रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) ने भारत के टेलीकॉम सेक्टर में क्रांति ला दी थी. कंपनी ने सस्ती दरों पर मोबाइल (501 रुपये) और इंटरनेट सेवाएं दीं, जिससे आम लोगों तक संचार सुविधाएं पहुंच सकीं. इसने न सिर्फ बाजार में तूफान ला दिया, बल्कि निवेशकों के लिए भी एक आकर्षक विकल्प बन गई.

RCom का शेयर उस समय निवेशकों की पहली पसंद था. कंपनी ने मात्र दो साल (2006 से 2008) में 259 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न दिया, जिससे इसका शेयर भाव 220 रुपये से बढ़कर 793 रुपये तक पहुंच गया.

RCom ने अपनी सफलता की शुरुआत CDMA और बाद में GSM टेक्नोलॉजी के जरिए की. इसने नेटवर्क को मजबूत करने के लिए समुद्र के नीचे केबल्स और डेटा सेंटर्स में भी भारी निवेश किया. 2008 तक, यह भारत की शीर्ष टेलीकॉम कंपनियों में शामिल हो गई थी. हालांकि बाद में कर्ज और बदलते बाजार के चलते कंपनी का पतन शुरू हुआ, जो एक बड़े संकट में बदल गया.

ऐसे हुई पतन की शुरुआत

2008 के बाद RCom के लिए मुश्किलें शुरू हो गईं. बाजार में Airtel, Vodafone और अन्य कंपनियों की वजह से जबरदस्त प्रतिस्पर्धा होने लगी. सभी कंपनियों ने सस्ते प्लान ऑफर करने शुरू कर दिए, जिससे मुनाफा कम हो गया. RCom ने तेजी से बढ़ने के लिए अधिक कर्ज ले लिया था, जिसकी वजह से अब उसे संकट का सामना करना पड़ रहा था.

2017 तक RCom का कर्ज 49,000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा हो चुका था. इतने बड़े कर्ज की वजह से ब्याज चुकाना और 4G जैसी नई टेक्नोलॉजी में पैसा लगाना मुश्किल हो गया. इसी बीच, मुकेश अंबानी की कंपनी Jio ने मुफ्त कॉल और सस्ता डेटा देकर बाजार में तहलका मचा दिया. RCom के लाखों ग्राहक Jio के पास चले गए और कंपनी की कमाई तेजी से गिरने लगी.

2020 तक RCom की हालत बेहद खराब हो चुकी थी. कंपनी की सालाना आमदनी 1,685 करोड़ रुपये रह गई, जो 2016 के 25,594 करोड़ रुपये से बहुत कम थी. सबसे बुरा यह हुआ कि 2020 में कंपनी को 42,677 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ.

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2025 में हुआ भारी नुकसान

2017 तक RCom की स्थिति गंभीर हो चुकी थी. कंपनी अपने कर्ज चुकाने में नाकाम रही और बैंकों ने इसे डिफॉल्टर घोषित कर दिया. RCom ने अपने वायरलेस बिजनेस और टावर जैसी संपत्तियां बेचकर कर्ज कम करने की कोशिश की, लेकिन यह योजना काम नहीं आई. आखिरकार 2019 में कंपनी को दिवालिया घोषित करना पड़ा. दिवालिया होने के बाद RCom की संपत्तियों की कीमत बहुत गिर गई.

कभी अरबों रुपये की कीमत वाले स्पेक्ट्रम और प्रॉपर्टीज को बहुत कम दामों पर बेचना पड़ा. 2025 तक RCom की हालत और भी खराब हो गई. कंपनी का सालाना टर्नओवर सिर्फ 358 करोड़ रुपये रह गया, जो पिछले साल से भी कम था. वित्त वर्ष 2024-25 में 9,389 करोड़ रुपये के भारी नुकसान ने कंपनी की मुश्किलें और बढ़ा दीं.