ROCE vs ROE: भावनाओं पर नहीं, नंबरों पर करें निवेश; स्मार्ट निवेशक के लिए जानें दोनों क्यों हैं जरूरी
ROCE और ROE निवेशक के लिए बेहद जरूरी संकेतक हैं. ROE यह बताता है कि कंपनी ने शेयरहोल्डर्स के पैसे पर कितना रिटर्न कमाया, जबकि ROCE यह दर्शाता है कि कंपनी ने अपनी कुल पूंजी से कितना मुनाफा कमाया. यदि ROE ऊंचा लेकिन ROCE कम है तो इसका मतलब कंपनी पर कर्ज का बोझ है. वहीं अगर दोनों ऊंचे हैं तो कंपनी मजबूत और कुशल मानी जाती है. स्मार्ट निवेशक हमेशा ROCE और ROE दोनों को ध्यान में रखकर निवेश का निर्णय लेते हैं.
ROCE vs ROE: शेयर मार्केट में कई लोग ऐसे होते हैं जो सिर्फ भावनाओं पर निवेश करते हैं. कई बार उन्हें इधर-उधर से सलाह मिलती है और वे बाजार में कूद जाते हैं. ऐसे में वे अपना नुकसान कर बैठते हैं. लेकिन शेयर मार्केट में निवेश करने से पहले होमवर्क करना बेहद जरूरी है. कई ऐसे फैक्टर हैं जो आपके निवेश को बेहतर बना सकते हैं. अधिकांश निवेशक ROE (Return on Equity) पर नजर रखते हैं, लेकिन ROCE (Return on Capital Employed) को अनदेखा कर देते हैं. दोनों को समझना मजबूत कंपनियों की पहचान करने की कुंजी है. तो चलिए जानते हैं कि दोनों में क्या अंतर है.
सबसे पहले जानते हैं कि ROE क्या है
ROE यानी Return on Equity बताता है कि कंपनी ने शेयरहोल्डर्स के पैसे पर कितना मुनाफा कमाया है. अगर किसी कंपनी का ROE 20 फीसदी है, तो इसका मतलब है कि हर 100 रुपये के निवेश पर कंपनी ने 20 रुपये का मुनाफा कमाया. इसे निकालने का फॉर्मूला इस प्रकार है:
- ROE = नेट इनकम ÷ इक्विटी
- ROE% = (नेट इनकम ÷ इक्विटी) x 100
- नेट इनकम: टैक्स के बाद का मुनाफा (PAT)
- इक्विटी: शेयरहोल्डर्स का निवेश
उदाहरण के लिए, TCS भारत की प्रमुख आईटी कंपनी है. इसका नेट इनकम 49,511 करोड़ रुपये है और इक्विटी 94,756 करोड़ रुपये है. ऐसे में TCS का ROE% 52.25 फीसदी है.
अब जानते हैं कि ROCE क्या है
ROCE यानी Return on Capital Employed बताता है कि कंपनी ने अपनी कुल पूंजी (इक्विटी + कर्ज) से कितना मुनाफा कमाया. यदि किसी कंपनी का EBIT 100 करोड़ रुपये और Capital Employed 500 करोड़ रुपये है, तो ROCE 20 होगा. इसे निकालने का फॉर्मूला है:
- ROCE = EBIT ÷ Capital Employed
- ROCE% = (EBIT ÷ Capital Employed) x 100
- EBIT: ब्याज और टैक्स से पहले का मुनाफा
- Capital Employed: इक्विटी + कर्ज – कैश
TCS के उदाहरण में, कंपनी का EBIT 66,079 करोड़ रुपये है, इक्विटी 94,756 करोड़ रुपये है, कर्ज 1,02,255 करोड़ रुपये है और नेट कैश फ्लो 1,893 करोड़ रुपये है. इन सबको मिलाकर कंपनी का Capital Employed 1,02,255 करोड़ रुपये है. इस तरह TCS का ROCE% 64.6 फीसदी है.
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ROCE vs ROE: क्यों हैं जरूरी?
- ROCE कंपनी की असली कारोबारी ताकत दिखाता है (कर्ज के प्रभाव से पहले).
- ROE शेयरहोल्डर्स को मिलने वाला रिटर्न दिखाता है (कर्ज के प्रभाव के बाद).
- अगर ROE ऊंचा लेकिन ROCE कम है – इसका मतलब कंपनी ने ज्यादा कर्ज लिया हो सकता है (खतरनाक संकेत).
- अगर ROCE और ROE दोनों ऊंचे हैं – कंपनी मजबूत है और पूंजी का सही इस्तेमाल कर रही है.
- ROCE बताता है कि बिजनेस मॉडल कितना कुशल है.
- ROE बताता है कि शेयरहोल्डर्स को कितना फायदा हो रहा है.
- कर्ज का असर: अगर ROCE > कर्ज की ब्याज दर, तो कर्ज लेना फायदेमंद है.
- स्मार्ट निवेशक हमेशा ROCE और ROE दोनों को साथ में चेक करते हैं.