GMP और ग्रे मार्केट पर लगेगी लगाम! सेबी चीफ का बड़ा एलान, अनलिस्टेड शेयरों के लिए बनेगा नया प्लेटफॉर्म
भारतीय शेयर बाजार के रेगुलरेटर SEBI के प्रमुख तुहिन कांत पांडे चाहते हैं कि अनलिस्टेड कंपनियों की Pre-IPO खरीद-फरोख्त के लिए एक नया प्लेटफॉर्म बनाया जाए. गुरुवार को एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि इससे निवेशकों की सुरक्षा बढ़ेगी.
SEBI अब प्री-IPO शेयरों की ट्रेडिंग को रेगुलेटेड प्लेटफॉर्म पर लाने की तैयारी कर रहा है. SEBI के चेयरमैन तुहिन कांत पांडे ने गुरुवार को FICCI के एक कार्यक्रम में कहा कि निवेशकों के लिए प्री-लिस्टिंग सूचना अक्सर पर्याप्त नहीं होती, ऐसे में एक नया पायलट इनिशिएटिव शुरू किया जा सकता है.
पांडे ने कहा कि सेबी पायलट आधार पर एक रेगुलेटेड प्लेटफॉर्म तैयार करने पर विचार कर रहा है, जहां प्री-IPO कंपनियां कुछ जरूरी डिस्क्लोजर के बाद अपने शेयरों की ट्रेडिंग करा सकेंगी. इस कदम से फंडरेजिंग, डिस्क्लोजर और इन्वेस्टर ऑनबोर्डिंग की अड़चनें दूर हो सकती हैं.
ग्रे मार्केट पर लग सकती है लगाम
अभी तक IPO अलॉटमेंट और लिस्टिंग के बीच 3 दिन की समय होता है. इस दौरान अनरेगुलेटेड ग्रे मार्केट में अनलिस्टेड शेयरों की सौदेबाजी होती है. सेबी का यह नया प्लेटफॉर्म निवेशकों को उसी अवधि में रेगुलेटेड ट्रेडिंग की सुविधा देगा, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी और जोखिम कम होगा.
नई कैपिटल जरूरतों पर फोकस
इसके साथ ही सेबी प्रमुख ने कहा कि यह पहल केवल IPO तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि उभरते क्षेत्रों, नए प्रोडक्ट्स और ऐसे एसेट क्लास पर भी नजर रखेगी, जहां पूंजी की मांग और सप्लाई दोनों मौजूद हैं. इससे एक तरफ कंपनियों को फंडिंग मिलेगी और दूसरी तरफ निवेशकों को रेगुलेटेड प्लेटफॉर्म के जरिये निवेश के ज्यादा अवसर मिलेंगे.
डिपॉजिटरी पर अभी चर्चा नहीं
जब पांडे से पूछा गया कि क्या इस नए प्लेटफॉर्म पर डिपॉजिटरी के साथ कोई चर्चा हुई है, तो उन्होंने साफ किया कि फिलहाल यह सिर्फ सैद्धांतिक विचार है. इस संबंध में डिपॉजिटरी और एक्सचेंज के साथ अभी कोई बात नहीं हुई है. लेकिन, जब कोई फैसला लिया जाएगा, तो सभी मार्केट इन्फ्रा इंस्टीट्यूशन को इसमें शामिल किया जाएगा.
निवेशकों को क्या फायदा?
इस पहल से निवेशकों को सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि अब उन्हें IPO से पहले शेयर खरीदने-बेचने का सुरक्षित और रेगुलेटेड प्लेटफॉर्म मिलेगा. अभी तक यह काम अनरेगुलेटेड ग्रे मार्केट में होता है, जहां पारदर्शिता की कमी और जोखिम अधिक रहता है. नया प्लेटफॉर्म निवेशकों को भरोसेमंद डिस्क्लोजर, निष्पक्ष प्राइस डिस्कवरी और सुरक्षित लेन-देन का मौका देगा, जिससे उनका निर्णय लेने की क्षमता मजबूत होगी और संभावित नुकसान का जोखिम घटेगा.