नॉमिनी से लीगल हेयर को सिक्योरिटीज ट्रांसफर करना होगा आसान, SEBI ने बदले नियम; ‘TLH’ कोड से होगा काम

SEBI ने निवेशकों और उनके परिवारों को बड़ी राहत देते हुए सिक्योरिटीज ट्रांसफर प्रक्रिया को आसान बना दिया है. अब नॉमिनी से लीगल हेयर को शेयर या बॉन्ड ट्रांसफर करते समय नया स्टैंडर्ड कोड ‘TLH’ (Transmission to Legal Heirs) इस्तेमाल होगा. जानें विस्तार में क्या है पूरा मामला और कैसे होगा फायदा.

SEBI Legal Heirs Process Eases: सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी SEBI ने निवेशकों और उनके परिवारों के लिए एक बड़ी राहत का ऐलान किया है. अब किसी निवेशक के निधन के बाद नॉमिनी से लीगल हेयर यानी कानूनी उत्तराधिकारी को सिक्योरिटीज ट्रांसफर करने की प्रक्रिया और आसान हो जाएगी. इसके लिए सेबी ने एक नया स्टैंडर्ड कोड TLH यानी Transmission to Legal Heirs लागू किया है, जो 1 जनवरी 2026 से प्रभावी होगा.

अभी तक क्या समस्या थी?

जब किसी निवेशक की मृत्यु हो जाती है तो उसकी शेयर, बॉन्ड या दूसरी सिक्योरिटीज नॉमिनी को मिल जाती हैं. लेकिन असल मालिकाना हक कानूनी उत्तराधिकारी का होता है. नॉमिनी सिर्फ एक ट्रस्टी यानी देखरेख करने वाला होता है, जिसे आगे जाकर ये सिक्योरिटीज लीगल हेयर को सौंपनी होती हैं. समस्या यह थी कि जब नॉमिनी, सिक्योरिटीज को लीगल हेयर को ट्रांसफर करता था, तो टैक्स डिपार्टमेंट कई बार इसे ‘ट्रांसफर’ मानकर कैपिटल गेन टैक्स लगा देता था. जबकि इनकम टैक्स एक्ट 1961 की धारा 47(iii) के तहत यह प्रक्रिया “ट्रांसफर” नहीं मानी जाती और इस पर टैक्स नहीं लगना चाहिए. ऐसी स्थिति में नॉमिनी को पहले टैक्स भरना पड़ता था और फिर रिफंड के लिए अप्लाई करना पड़ता था, जो समय लेने वाली और असुविधाजनक प्रक्रिया थी.

सेबी का नया समाधान- कोड ‘TLH’

इस परेशानी को खत्म करने के लिए सेबी ने CBDT (सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस) के साथ मिलकर एक वर्किंग ग्रुप बनाया. इस ग्रुप की सिफारिश पर अब सेबी ने सभी रिपोर्टिंग एंटिटीज (जैसे RTA, लिस्टेड कंपनियां, डिपॉजिटरी और डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट्स) को निर्देश दिया है कि वे ऐसी हर रिपोर्टिंग में नया कोड ‘TLH’ इस्तेमाल करें. इसका मतलब यह है कि जब भी नॉमिनी से लीगल हेयर को सिक्योरिटीज ट्रांसफर होंगी, तो टैक्स डिपार्टमेंट तक यह साफ मैसेज जाएगा कि यह ट्रांसफर धारा 47(iii) के अंतर्गत टैक्स फ्री है. इस तरह न तो नॉमिनी को टैक्स देना होगा और न ही रिफंड की झंझट झेलनी होगी.

निवेशकों और परिवारों के लिए राहत

यह कदम खासतौर पर उन परिवारों के लिए राहत लाएगा जिनके पास शेयर मार्केट या बॉन्ड मार्केट में निवेश है. पहले ऐसी स्थितियों में टैक्सेशन की उलझनें बढ़ जाती थीं, लेकिन अब नए कोड से यह पूरी प्रक्रिया ट्रांसपेरेंट और आसान हो जाएगी. सेबी का यह नया कोड 1 जनवरी 2026 से लागू होगा. इसके बाद सभी रिपोर्टिंग संस्थानों को यही कोड इस्तेमाल करना अनिवार्य होगा.

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