सेबी ने खारिज की ‘अपहरण-फिरौती’ की दलील, फंड डायवर्जन मामले में सीकॉस्ट शिपिंग पर 5 साल का बैन
सेबी ने सीकॉस्ट शिपिंग सर्विसेज और प्रमोटर्स पर निवेशक फंड डायवर्जन के आरोपों में 5 साल तक का बैन लगाया है. इसके साथ ही 1.97 करोड़ का जुर्माना लगाया है. वहीं, कंपनी के प्रमोटर्स में शामिल मनीष शाह से 47.89 करोड़ की वसूली का आदेश दिया गया है. जानें क्या है पूरा मामला?

फंड डायवर्जन मामले में सेबी ने लॉजिस्टिक्स कंपनी सीकॉस्ट शिपिंग सर्विसेज (SSSL) और उसके प्रमोटर्स पर कड़ा रुख अपनाया है. कंपनी के प्रमोटर्स ने एक चौंकाने वाली दलील दी थी कि राइट्स इश्यू से जुटाए गए फंड का इस्तेमाल उनके बेटे के अपहरण के बाद ‘रैनसम’ के रूप में किया गया. हालांकि, सेबी ने इस कहानी को पूरी तरह से खारिज करते हुए कंपनी और उसके शीर्ष अधिकारियों को बाजार गतिविधियों से 1 से 5 साल तक के लिए प्रतिबंधित कर दिया है.
झूठी साबित हुई अपहरण की कहानी
सेबी की जांच में पता चला कि SSSL ने राइट्स इश्यू फंड के उपयोग को साबित करने के लिए कोई दस्तावेज, इनवॉइस या लेजर तक पेश नहीं किया. कंपनी ने 20 जून, 2025 को एक बयान में दावा किया कि फंड का उपयोग व्यापार के लिए नहीं हुआ, क्योंकि उस समय मनीष शाह के बेटे का अपहरण हो गया था और पैसे उत्सव पटेल और अक्षय पटेल को दिए गए. सेबी ने कहा कि इस तरह का दावा, बिना पुलिस शिकायत या कोई साक्ष्य के, बेहद असामान्य है.
विरोधाभासी बातों से हुआ शक
जांच के दौरान कंपनी नेतृत्व के बयानों में लगातार विरोधाभास देखने को मिला. फरवरी 2024 में मनीष शाह ने एफिडेविट में कहा कि राइट्स इश्यू फंड का इस्तेमाल खरीदारी के लिए किया गया, न कि रैनसम के लिए. जबकि एक अन्य निदेशक ने दावा किया कि पैसे अपहरण के बाद लिए गए थे, मगर परिवार ने कभी पुलिस से संपर्क नहीं किया. स्वतंत्र निदेशकों ने तो यह तक कहा कि उन्हें राइट्स इश्यू के बारे में जानकारी ही नहीं थी.
फंड डायवर्जन और वित्तीय धोखाधड़ी
सेबी ने साफ कहा कि राइट्स इश्यू फंड का उपयोग कंपनी की तरफ से नहीं किया गया और इसे डायवर्ट कर दिया गया. सेबी के ऑर्डर में कहा गया कि SSSL ने वित्तीय रिपोर्ट को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया, 1.5 करोड़ शेयरों का धोखाधड़ीपूर्ण अलॉटमेंट किया और राइट्स इश्यू से 43.42 करोड़ और बैंक क्रेडिट से 10.83 करोड़ रुपए का डायवर्जन किया गया. FY21-24 के रिजल्ट में 85% काल्पनिक बिक्री और 98% काल्पनिक संपत्तियों की रिपोर्टिंग भी सामने आई. सेबी ने कहा कि इस तरह की फर्जी जानकारी ने जनता को कंपनी की वित्तीय स्थिति के बारे में गुमराह किया और शेयरधारकों की संख्या तथा शेयर प्राइस पर प्रभाव डाला.
प्रमोटर का सेबी पर आरोप
जांच के दौरान मनीष शाह ने दावा किया कि सेबी के अधिकारियों ने उन्हें डराया और अन्य एजेंसियों जैसे ED, CBI, IT, कस्टम्स और GST के जरिए जांच की धमकी दी. हालांकि, उन्होंने कोई शिकायत दर्ज नहीं करवाई. सेबी ने कहा कि इस दावे का कोई सबूत नहीं है और विरोधाभासी बयान उनकी विश्वसनीयता को कमजोर करते हैं.
सेबी की कार्रवाई और जुर्माना
23 सितंबर को सेबी ने SSSL और उसके प्रमोटर्स पर कुल 1.97 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया. मनीष शाह को 47.89 करोड़ रुपये की अवैध कमाई का डिस्गॉर्जमेंट (वसूली) 12% वार्षिक ब्याज सहित 45 दिन में सेबी के निवेशक सुरक्षा कोष में जमा करने का आदेश दिया है.
कैसे सामने आया मामला?
यह मामला BSE की रिपोर्ट से शुरू हुआ, जिसमें अप्रैल 2020 से दिसंबर 2023 के बीच कंपनी के संदिग्ध संबंधित पार्टी लेनदेन की जानकारी मिली. सामान्य जांच से पता चला कि एक मिड-साइज शिपिंग फर्म ने फंड डायवर्जन को छिपाने के लिए काल्पनिक कहानी, बढ़ा-चढ़ाकर वित्तीय आंकड़े और अपहरण की नाटकीय कहानी का सहारा लिया.
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