Dr Reddy’s Lab और Cipla छोड़िए… ये 5 फार्मा स्टॉक पकड़ रहे हैं ग्रोथ की रफ्तार, देखें फंडामेंटल

छोटी फार्मा कंपनियां धीरे-धीरे ग्रोथ की रफ्तार पकड़ कर रही हैं. ये कंपनियां भले ही कम चर्चा में हों, लेकिन इनमें लंबे समय के लिए निवेश का अच्छा मौका हो सकता है. कुछ कंपनियां विदेशों में मंजूरी ले रही हैं, निर्यात बढ़ा रही हैं या नई दवाइयां बना रही हैं.

ये 5 फार्मा स्टॉक पकड़ रहे हैं ग्रोथ की रफ्तार Image Credit: Canva

Top 5 Best Pharma Stocks: भारतीय फार्मा सेक्टर में ज्यादातर लोग सन फार्मा, डॉ. रेड्डीज़ और सिप्ला जैसे बड़े नामों को ही जानते हैं. ये कंपनियां मशहूर हैं और निवेशकों की नजर में रहती हैं. लेकिन इनके अलावा कुछ छोटी फार्मा कंपनियां भी हैं जो धीरे-धीरे ग्रोथ की रफ्तार पकड़ कर रही हैं. ये कंपनियां भले ही कम चर्चा में हों, लेकिन इनमें लंबे समय के लिए निवेश का अच्छा मौका हो सकता है. कुछ कंपनियां विदेशों में मंजूरी ले रही हैं, निर्यात बढ़ा रही हैं या नई दवाइयां बना रही हैं जो भविष्य में जरूरी हो सकती हैं. ऐसे में आइए, ऐसी पांच फार्मा कंपनियों के बारे में विस्तार से जानते हैं.

इंडोको रेमेडीज (Indoco Remedies)

इंडोको रेमेडीज मुंबई की एक फार्मा कंपनी है. यह दवाइयां बनाती है, Contract के तहत प्रोडक्शन करती है और रिसर्च भी करती है. इसकी इनकम तीन हिस्सों से आती है:

  • घरेलू दवाइयां (48 फीसदी इनकम): पेट, सांस और महिलाओं की सेहत से जुड़ी दवाइयां.
  • एक्सपोर्ट (43 फीसदी इनकम): 55 देशों में दवाइयां बेचती है, जैसे यूरोप, अमेरिका और अन्य उभरते बाजार.
  • API और रिसर्च (9 फीसदी इनकम): दवाइयों के कच्चे माल और क्लिनिकल रिसर्च.
  • रिटर्न: 5 साल में 26.83 फीसदी

इंडोको की कुछ दवाइयां जैसे सेंसोडेंट-के, साइक्लोपाम और कार्वोल प्लस अपनी कैटेग्री में नंबर एक हैं. कंपनी के पास 11 कारखाने हैं, जो सभी ग्लोबल मानकों को पूरा करते हैं. इसके 400 से ज्यादा वैज्ञानिक दवाइयों पर काम करते हैं. हाल में अमेरिका में कुछ नियमों के उल्लंघन के कारण वहां की इनकम घटी, लेकिन कंपनी इसे ठीक कर रही है और सितंबर 2025 से USFDA से दोबारा जांच करवाएगी. जून 2025 तक कंपनी की इनकम 430 करोड़ रुपये थी, लेकिन कुछ चुनौतियों के कारण मुनाफा थोड़ा कम हुआ. कंपनी ने कारखानों को बेहतर करने के लिए 220 करोड़ रुपये का निवेश किया है.

साई लाइफ साइंसेज (Sai Life Sciences)

साई लाइफ साइंसेज हैदराबाद की कंपनी है. यह ग्लोबल फार्मा कंपनियों के लिए रिसर्च और प्रोडक्शन करती है. यह साल 1999 में शुरू हुई और दुनिया की 25 में से 18 बड़ी फार्मा कंपनियों के साथ काम करती है. यह कैंसर, दिमागी बीमारियों, सूजन और वायरस से जुड़ी दवाइयों पर काम करती है. इसकी 90 फीसदी इनकम अमेरिका और यूरोप जैसे बाजारों से आती है. कंपनी की इनकम दो हिस्सों से आती है:

  • Contract प्रोडक्शन: (63 फीसदी इनकम)
  • Contract रिसर्च: (37 फीसदी इनकम)
  • रिटर्न: 5 साल में 11.88 फीसदी

साल 2024 तक, कंपनी 38 API और 28 व्यावसायिक दवाइयों को सपोर्ट करती थी, जिनमें सात ब्लॉकबस्टर दवाइयां थीं. साल 2025 में कंपनी की इनकम 1690 करोड़ रुपये थी. यह पिछले साल से 16 फीसदी ज्यादा है. मुनाफा 170 करोड़ रुपये था. यह दोगुना हो गया. दिसंबर 2024 में कंपनी ने 3040 करोड़ रुपये का IPO लॉन्च किया. कंपनी को भरोसा है कि ग्लोबल मांग और उनके एकीकृत मॉडल से भविष्य में बढ़ोतरी होगी.

कोहन्स लाइफसाइंसेज (Kohn’s Lifesciences)

कोहन्स लाइफसाइंसेज 50 से ज्यादा ग्लोबल फार्मा कंपनियों के लिए रिसर्च और प्रोडक्शन करती है. इसकी इनकम तीन हिस्सों से आती है:

  • फार्मा सीडीएमओ (72 फीसदी इनकम): दवाइयों का Contract उत्पादन.
  • स्पेशलिटी केमिकल्स (6 फीसदी इनकम): इसमें कमी आई है, लेकिन कंपनी इसे बेहतर करने की कोशिश कर रही है.
  • फॉर्मूलेशन (22 फीसदी इनकम): 28 फीसदी की बढ़ोतरी
  • रिटर्न: 5 साल में 16.35 फीसदी

कंपनी के पास आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में तीन कारखाने और दो रिसर्च सेंटर हैं. साल 2025 में इसने 69 करोड़ रुपये का निवेश किया. कंपनी ने हाल में एनजे बायो और सपाला ऑर्गेनिक्स में हिस्सेदारी खरीदी. साल 2025 में इनकम 2800 करोड़ रुपये थी और मुनाफा मार्जिन 34 फीसदी था. कंपनी का टारगेट अगले पांच साल में कारोबार को दोगुना करना और साल 2030 तक 8300 करोड़ रुपये की इनकम हासिल करना है.

ज्यूबिलेंट फार्मोवा (Jubilant Farmova)

ज्यूबिलेंट फार्मोवा एक ग्लोबल कंपनी है. यह रेडियो फार्मा, एलर्जी, जेनेरिक्स और अनुबंध रिसर्च करती है. इसकी इनकम के मुख्य हिस्से हैं:

  • रेडियो फार्मा: 44 फीसदी इनकम
  • सीडीएमओ :17 फीसदी इनकम
  • जेनेरिक्स:12 फीसदी
  • रिटर्न: 5 साल में 83.31 फीसदी

कंपनी के पास 6 कारखाने और 2 रिसर्च सेंटर हैं. इसने 2023-25 में 4750 करोड़ रुपये का निवेश किया. साल 2025 में इसने 2 रिन्यूएबल में हिस्सेदारी खरीदी और सोफी बायोसाइंसेज से 1160 करोड़ रुपये में बाहर निकल रही है. साल 2026 की पहली तिमाही में इनकम 10 फीसदी बढ़ी और मुनाफा मार्जिन भी बढ़ा.

डिशमैन कार्बोजेन एम्सिस (Dishman Carbogen Amcis)

डिशमैन एक ग्लोबल कंपनी है. यह 90 फीसदी इनकम निर्यात से कमाती है. इसका मेन काम contract रिसर्च और प्रोडक्शन (88 फीसदी इनकम) है. बाकी इनकम स्पेशलिटी केमिकल्स और जेनेरिक एपीआई से आती है. कंपनी के पास भारत, स्विट्जरलैंड, यूके, फ्रांस, चीन और नीदरलैंड में 25 कारखाने और 28 रिसर्च लैब हैं. यह 250 छोटी-मझोली फार्मा कंपनियों के साथ काम करती है. साल 2025 में इनकम 2710 करोड़ रुपये थी. यह पिछले साल से 3.7 फीसदी ज्यादा है. मुनाफा 470 करोड़ रुपये था. कंपनी को भविष्य में बढ़ोतरी की उम्मीद है. कंपनी ने 5 साल में 22.69 फीसदी रिटर्न दिया है.

डेटा सोर्स: Groww, BSE, Screener

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