Titan vs Ethos: मेड-इन-इंडिया दिग्गज बनाम विदेशी लग्जरी की शान, कौन हैं घड़ी बाजार का बादशाह? दिया 274% का रिटर्न!

बढ़ती इनकम, बदलती पसंद और लग्जरी खरीदारी की बढ़ती चाहत ने घड़ी मार्केट में मुकाबले को और तीखा कर दिया है. ऐसे में सवाल बड़ा यह है कि क्या अनुभव-आधारित लग्जरी रिटेल मॉडल Ethos को इतना मजबूत बना सकता है कि वह Titan की वर्षों पुरानी बाजार में पकड़ को चुनौती दे सके?

Titan vs Ethos Image Credit: Money 9 Live

Titan vs Ethos: भारत का घड़ी बाजार इस समय एक दिलचस्प मोड़ पर खड़ा है, जहां एक तरफ Titan अपनी Made-in-India ताकत, बड़े पैमाने के प्रोडक्शन और देशभर में फैले रिटेल नेटवर्क के दम पर दशकों से आम भारतीय की पहली पसंद बनी हुई है. वहीं दूसरी ओर Ethos, विदेशी लग्जरी ब्रांडों की चमक, क्यूरेटेड बुटीक और प्रीमियम खरीदारी अनुभव के साथ तेजी से उभरता नया सितारा बन रहा है.

बढ़ती इनकम, बदलती पसंद और लग्जरी खरीदारी की बढ़ती चाहत ने इस मुकाबले को और तीखा कर दिया है. ऐसे में सवाल बड़ा यह है कि क्या अनुभव-आधारित लग्जरी रिटेल मॉडल Ethos को इतना मजबूत बना सकता है कि वह Titan की वर्षों पुरानी बाजार में पकड़ को चुनौती दे सके? भारत के सबसे दिलचस्प घड़ी मुकाबले में कौन आगे निकल सकता है. आइए विस्तार से पूरा कंपेरिजन करते है.

डिजाइन से लेकर दुकान तक अपना कंट्रोल

Titan एक ऐसा बिजनेस मॉडल चलाता है जिसमें घड़ी की डिजाइन, निर्माण, ब्रांडिंग और बिक्री सब कुछ एक ही छत के नीचे होता है. इससे कंपनी को लागत कंट्रोल करने, बड़े पैमाने पर प्रोडक्शन करने और सभी दामों पर प्रोडक्ट उपलब्ध कराने में मदद मिलती है. Titan के पास Titan, Fastrack, Sonata, Raga जैसे कई ब्रांड हैं, जो 1000 रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक की घड़ियां बेचते हैं. देशभर में 10000 से ज्यादा टचप्वाइंट और मजबूत ब्रांड पहचान के कारण Titan आम और मध्यम वर्ग का पहला चुनाव बना हुआ है.

Ethos का मॉडल

Ethos घड़ियां खुद नहीं बनाता, बल्कि यह 80 से ज्यादा विदेशी लग्जरी ब्रांडों का पार्टनर है. Rolex, Omega, TAG Heuer, Cartier, Panerai और कई बड़े नाम Ethos के स्टोर्स पर मिलते हैं. कंपनी के 26 शहरों में 83 से ज्यादा स्टोर्स हैं, और इसका पूरा फोकस है-

  • लग्जरी अनुभव
  • पर्सनल कंसल्टेशन
  • हाई-एंड कलेक्शन
  • प्री-ओन्ड लग्जरी वॉचेज (Second Movement प्लेटफॉर्म)
  • Ethos की घड़ियां 13000 रुपये से शुरू होकर 8 करोड़ रुपये तक जाती हैं.

भारत में बढ़ता लग्जरी मार्केट

भारत का लग्जरी बाजार तेजी से बढ़ रहा है. साल 2024 में यह करीब 18 अरब डॉलर का था और साल 2030 तक 85 अरब डॉलर से ज्यादा होने का अनुमान है. तेजी से बढ़ती इनकम, नए लग्जरी मॉल और हाई-स्ट्रीट लोकेशन Ethos के लिए खासतौर पर फायदेमंद हो रहे हैं. सबसे बड़ा प्लस पॉइंट प्री-ओन्ड लग्जरी वॉचेज का बढ़ता ट्रेंड, जिसमें Ethos की मजबूत मौजूदगी है.

Ethos के सामने जोखिम

  • विदेशी ब्रांडों पर निर्भरता
  • फ्रैंक (CHF) महंगा होने से लागत बढ़ना
  • नए स्टोर्स पर भारी खर्च
  • Titan की तुलना में अभी भी छोटा स्केल

क्या Titan की Helios चुनौती दे सकती है?

Titan की Helios स्टोर्स भी कई प्रीमियम ब्रांड बेचते हैं, लेकिन Ethos जितनी ब्रांड विविधता वहां नहीं है. Rolex, Omega, IWC, Panerai जैसे हाई-एंड ब्रांड केवल Ethos के पास हैं. इसलिए Helios मध्यम-लक्जरी सेगमेंट में मुकाबला कर सकती है, लेकिन Ultra-luxury में नहीं. Ethos ने साल-दर-साल 29 फीसदी सेल्स ग्रोथ दिखाई है और प्री-ओन्ड सेगमेंट भी 25 फीसदी बढ़ा है. Titan का घड़ी बिजनेस अब भी बड़ी तेजी से आगे बढ़ रहा है, Q2FY26 में 13 फीसदी बढ़ोतरी के साथ.

कौन आगे?

मास मार्केट और बड़े पैमाने की बिक्री में Titan को कोई टक्कर नहीं. लक्जरी और प्रीमियम सेगमेंट में Ethos अपनी मजबूत पहचान बना रहा है. प्री-ओन्ड घड़ियों का बढ़ता बाजार Ethos के लिए बड़ा फायदा है. आने वाले समय में, Titan की मास-अडवांटेज और Ethos की लग्जरी पकड़ दोनों अपने-अपने क्षेत्र में मजबूत रहेंगे.

डेटा सोर्स: TB, Groww, Trendlyne

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