SEBI जांच की रेड लाइट पर जाम में फंसा Trafiksol का IPO, 345 गुना सब्सक्रिप्शन मिला, लिस्टिंग फिर टली

नोएडा स्थिति Trafiksol एडवांस टेक्नोलॉजी के जरिये हैवी ट्रैफिक का मैनेजमेंट करने में दक्षता रखने का दावा करती है. एसएमई कैटेगरी में कंपनी का 345 गुना सब्सक्रिप्शन वाला आईपीओ फिलहाल बाजार नियामक सेबी की जांच के चलते अटका हुआ है. शुक्रवार को सेबी ने बीएसई को दिए एक आदेश में कंपनी की लिस्टिंग को रोके रखने के लिए कहा है.

ब्रोकर ज्यादा लिमिट के साथ ज्यादा शेयर होल्ड कर पाएंगे Image Credit: TV9 Bharatvarsh

सितंबर में बाजार से 44.8 करोड़ रुपये जुटाने के लिए SME कैटेगरी में आए Trafiksol के आईपीओ को निवेशकों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली थी. आलम ये था कि कंपनी के शेयर की ग्रे मार्केट प्राइस 120% से ऊपर चल रही थी. तमाम निवेशकों को उम्मीद थी कि उनका पैसा झटपट डबल होने वाला है. लेकिन, अचानक से ट्रैफिक सोल्यूशन बेचने वाली कंपनी ट्रैफिकसोल सेबी जांच के जाम में फंस गई.

शुक्रवार को सेबी ने इस संबंध में एक सर्कुलर जारी किया है. सेबी ने स्टॉक एक्सचेंज बीएसई को कहा है कि 17 सितंबर को जिन कारणों से ट्रैफिकसोल की लिस्टिंग को रोका गया है, वे अब भी कामय हैं. लिहाजा, जब तक कंपनी की विस्तृत जांच नहीं हो जाती है, इसकी लिस्टिंग को रोके रखा जाए. सेबी ने सर्कुलर में कहा कि कंपनी की तरफ से ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (डीआरएचपी) में दी गई जानकारियों की विस्तृत जांच जरूरी है.

IPO सब्सक्रिप्शन की रकम पर मिलेगा ब्याज

44.8 करोड़ रुपये के इस पब्लिक ऑफर में 64 लाख शेयरों का फ्रेश इश्यू रखा गया था. इसे 345 गुना सब्सक्राइब किया गया. कंपनी की तरफ से जिन लोगों को शेयर अलॉट किए गए हैं, उनके हित को ध्यान में रखकर सेबी ने बीएसई से कहा है कि आईपीओ में सब्सक्रिप्शन के तौर पर निवेशकों की जो रकम मिली है, उसे एक ऐसी एस्क्रो अकाउंट में रखा जाए, जिसपर ब्याज मिलता रहे. इस खाते का ट्रैफिकसोल या इसके सहयोगियों को अगले आदेश तक कोई एक्सेस नहीं दिया जाए.

30 दिन में पूरी होगी जांच

सेबी ने सर्कुलर में साफ किया है कि कंपनी की तरफ से दी गई जानकारियों की गहन जांच करीब एक महीने में पूरी की जाएगी. नोएडा स्थित ट्रैफिकसोल आईटीएस टेक्नोलॉजीज ने 10 सितंबर को 66 से 70 रुपये प्रति शेयर के प्राइस बैंड के साथ अपना आईपीओ लॉन्च किया था. इस इश्यू का प्रबंधन एकदृष्ट कैपिटल प्राइवेट लिमिटेड ने किया था.

किस मामले में हो रही जांच

सेबी की जांच आईपीओ से मिलने वाली रकम के इस्तेमाल को लेकर है. ट्रैफिकसोल की तरफ से डीआरएचपी मे बताया गया था कि कंपनी आईपीओ से मिलने वाली रकम में से 17.70 करोड़ रुपये एक तीसरे पक्ष के विक्रेता से सॉफ्टवेयर खरीदने के लिए करेगी. यह इंटीग्रेटेड सॉफ्टवेयर कंट्रोल सेंटर कंपनी के भावी व्यवसाय की रीढ़ होगा. इस मामले में सेबी और बीएसई को कुछ शिकायतें मिली हैं.

सेबी को किस बात पर हुई आपत्ति

सेबी के आदेश के मुताबिक तीसरे पक्ष के विक्रेता से जुड़े वित्तीय विवरणों पर आईपीओ खुलने से ठीक एक सप्ताह पहले हस्ताक्षर किए गए थे. इसके अतिरिक्त विक्रेता ने जनवरी 2024 में ही अपना माल और सेवा कर (जीएसटी) पंजीकरण प्राप्त किया था, और इसका व्यवसाय मुख्य रूप से सॉफ्टवेयर विकास के बजाय खुदरा व्यापार बताया गया था.

कंपनी ने क्या जवाब दिया

कंपनी ने नियामक और बीएसई को सूचित किया है कि उसने डीआरएचपी में उल्लिखित सॉफ्टवेयर खरीद योजना को रद्द कर दिया है. इसके साथ ही बीएसई को दी गई एक फाइलिंग में यह भी बताया कि वह विक्रेताओं से नए प्रस्ताव मांगेगा और शेयरधारकों की मंजूरी के बाद ही खरीद की जाएगी. बहरहाल, सेबी कंपनी के चाल-चलन से संतुष्ट नहीं है, क्योंकि कंपनी ने जांच शुरू होते ही डीआरएचपी में बताए सौदे को ही रद्द कर दिया है. इसे देखते हुए कंपनी की व्यापक जांच जरूरी है.