क्या फ्लैप फेलियर बना अहमदाबाद प्लेन हादसे की वजह? जानें कैसे करता है काम; टेक ऑफ-लैंडिंग का है सबसे जरूरी पार्ट

हालिया एयर इंडिया हादसे के बाद विमान के विंग फ्लैप्स की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं. दरअसल फ्लैप्स टेक-ऑफ और लैंडिंग में अहम भूमिका निभाते हैं और इनकी खराबी गंभीर हादसे को जन्म देती है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि विंग फ्लैप्स क्या होते हैं, क्यों इतने जरूरी हैं और इनकी गड़बड़ी से कैसे बड़ा हादसा हो सकता है.

क्या फ्लैप्स फेलियर कि वजह से हुआ अहमदाबाद एयर इंडिया हादसा Image Credit:

Ahmedabad Plane Crash: गुजरात के अहमदाबाद में जो भयानक दर्दनाक हादसा हुआ. उसने पूरे देश को झकझोर दिया है. एयर इंडिया 171 (बोइंग 787 ड्रीमलाइनर) विमान हादसा पर विमानन विशेषज्ञ अब ‘विंग फ्लैप’ की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं. शुरुआती जांच और सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में कुछ जानकारों का कहना है कि हादसे के वक्त फ्लैप शायद पूरी तरह से खुले नहीं थे या सही से काम नहीं कर रहे थे. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि विंग फ्लैप क्या होते हैं, क्यों इतने जरूरी हैं और इनकी गड़बड़ी से कैसे बड़ा हादसा हो सकता है.

क्या होते हैं विंग फ्लैप ?

फ्लैप्स दरअसल विमान के पंखों के पिछले हिस्से यानी ट्रेलिंग एज पर लगे ऐसे मुड़ने वाले पैनल होते हैं जो विमान को धीमी रफ्तार पर भी हवा में टिकाए रखने में मदद करते हैं. इन्हें हाई-लिफ्ट डिवाइस कहा जाता है. टेक-ऑफ और लैंडिंग के वक्त फ्लैप्स का इस्तेमाल होता है ताकि कम रफ्तार और कम रनवे में ही विमान उड़ सके या उतर सके. फ्लैप लगाने से लिफ्ट तो बढ़ती है लेकिन साथ ही ड्रैग यानी खिंचाव भी बढ़ता है. इस वजह से जब इनकी जरूरत नहीं होती, तो इन्हें अंदर कर लिया जाता है.

क्यों हैं इतने जरूरी ?

फ्लैप की खासियत ये है कि जब विमान धीमी रफ्तार से उड़ रहा होता है या उतरने वाला होता है, तब ये बाहर की ओर निकलते हैं. इससे पंखों का आकार बड़ा और घुमावदार हो जाता है, जिससे लिफ्ट बढ़ती है. ये लिफ्ट विमान को हवा में टिकाए रखती है, जिससे सुरक्षित टेक-ऑफ और लैंडिंग संभव हो पाती है.

फ्लैप का काम कैसे होता है उड़ान के समय?

टेक-ऑफ से पहले फ्लैप को एक तय पोजिशन तक सेट किया जाता है. यह काम टैक्सीवे या रनवे पर आने से पहले होता है और ये पूरी प्रक्रिया बिफोर टेक-ऑफ चेकलिस्ट का हिस्सा होती है. फ्लैप के बिना विमान को उड़ाने के लिए ज्यादा स्पीड और लंबी रनवे की जरूरत होती है जो जोखिम से भरा होता है.

अब बात करते हैं टेक-ऑफ के वक्त की तीन अहम स्पीड की जिसमें,

अहमदाबाद हादसे के वीडियो में देखा गया कि एयर इंडिया 171 ने V1 और Vr को पार कर लिया था लेकिन चढ़ाई के वक्त यानी क्लाइंब फेज में कुछ गड़बड़ी आई.

बोइंग 787 ड्रीमलाइनर में फ्लैप कैसे काम करते हैं?

बात करें बोइंग 787 ड्रीमलाइनर की तो इसमें डबल-स्लॉटेड फ्लैप्स लगे होते हैं जो दो हिस्सों में खुलते हैं. इनसे विमान को धीमी गति पर भी उड़ने और उतरने में मदद मिलती है. फ्लैप को हाइड्रॉलिक पावर और कंप्यूटर कंट्रोल सिस्टम से चलाया जाता है. पंखों के अंदर और बाहर दोनों हिस्सों में इनके अलग-अलग सेट होते हैं.

अगर फ्लैप्स फेल हो जाएं तो क्या होता है?

अगर फ्लैप्स फेल हो जाएं तो हालात काफी नाजुक हो सकते हैं. यदि,

बोइंग 787 में सुरक्षा के क्या इंतजाम?

बोइंग 787 में इन खतरों से निपटने के लिए कई सुरक्षा उपाय होते हैं. इनमें,

अब बात करें पायलट की भूमिका की तो ऐसे वक्त में पायलट क्या करते हैं.

बोइंग 787 जैसी आधुनिक विमानन तकनीकों में फ्लैप फेल होने की स्थिति से निपटने के पूरे इंतजाम होते हैं लेकिन फिर भी अगर फ्लैप सही से काम ना करें तो खतरा बना रहता है. हादसे की असल वजह क्या थी, इसका जवाब जांच एजेंसियों की रिपोर्ट से ही साफ होगा.

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