मस्क की स्टारलिंक को मिली भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड लॉन्च करने की अंतिम मंजूरी, अब कंपनी करेगी ये काम

Starlink in India: हरी झंडी मिलने के बाद स्टारलिंक को अब सरकार से स्पेक्ट्रम प्राप्त करना होगा. जमीनी इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करना होगा. टेलीकॉम विभाग (DoT) भी सुरक्षा अनुपालन प्रदर्शनों को पूरा करने के लिए स्टारलिंक को परीक्षण स्पेक्ट्रम प्रदान करने के लिए तैयार है.

स्टारलिंक को मिली मंजूरी. Image Credit: money9live

Starlink in India: एलन मस्क की स्टारलिंक को भारत के स्पेस रेगुलेटर, भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) से मंजूरी मिल गई है. इससे स्टारलिंक के लिए देश में कमर्शियल सेटेलाइट ब्रॉडबैंड ऑपरेशन शुरू करने की राह में अंतिम नियामक बाधा दूर हो गई है. भारत के अंतरिक्ष नियामक ने 9 जुलाई को स्टारलिंक को अपने नॉन-भारतीय जीएसओ और एनजीएसओ सेटेलाइट समूह, विशेष रूप से स्टारलिंक Gen1 समूह को भारत में उपग्रह ब्रॉडबैंड क्षमता प्रदान करने के ऑपरेशन को अनुमति प्रदान की. IN-SPACe वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, यह अनुमति 7 जुलाई 2030 तक के लिए मिली है.

स्पेसिफिक फ्रीक्वेंसी बैंड

अप्रूवल के एक भाग के रूप में, IN-SPACe ने उपयोग के लिए स्पेसिफिक फ्रीक्वेंसी बैंड को भी मंजूरी दे दी है. गेटवे बीम के लिए, स्टारलिंक को 27.5–29.1 GHz और 29.5–30 GHz के अपलिंक बैंड, और 17.8–18.6 GHz और 18.8–19.3 GHz के डाउनलिंक बैंड में, दाएं और बाएं दोनों सर्कुलर पोलेराइजेशन का उपयोग करते हुए करने की अनुमति है. उपयोगकर्ता बीम के लिए, स्वीकृत बैंड में 14.0–14.5 GHz अपलिंक (LHCP) और 10.7–12.7 GHz डाउनलिंक (RHCP) शामिल हैं.

सैटेलाइट इंटरनेट वाली तीसरी कंपनी

यह मंजूरी स्टारलिंक द्वारा टेलीकॉम विभाग (DoT) से ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन बाय सैटेलाइट (GMPCS) लाइसेंस प्राप्त करने के कुछ ही हफ्तों बाद मिली है. इस तरह यह यूटेलसैट वनवेब और रिलायंस जियो के बाद भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवाओं के लिए पूर्ण नियामक अप्रूवल प्राप्त करने वाली तीसरी कंपनी बन गई है.

तैयार करेगी इंफ्रास्ट्रक्चर

हरी झंडी मिलने के बाद स्टारलिंक को अब सरकार से स्पेक्ट्रम प्राप्त करना होगा. जमीनी इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करना होगा. ट्रायल और टेस्टिंग के जरिए से राष्ट्रीय सुरक्षा आवश्यकताओं के अनुपालन का प्रदर्शन करना होगा. अपनी रोलआउट योजना के तहत, कंपनी देश भर में कम से कम तीन गेटवे स्टेशन स्थापित करने का इरादा रखती है.

सेटेलाइट स्पेक्ट्रम आवंटन

टेलीकॉम विभाग (DoT) भी सुरक्षा अनुपालन प्रदर्शनों को पूरा करने के लिए स्टारलिंक को परीक्षण स्पेक्ट्रम प्रदान करने के लिए तैयार है. टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) की हालिया सिफारिशों के आधार पर, DoT द्वारा प्रशासनिक सेटेलाइट स्पेक्ट्रम आवंटन के नियमों और मूल्य निर्धारण को जल्द ही अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है.

कमर्शियल समझौता

मनीकंट्रोल की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, स्टारलिंक ने भारत में वीसैट प्रोवाइडर के साथ अपने पहले कमर्शियल समझौतों पर साइन कर दिए हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि वह सेटेलाइट स्पेक्ट्रम आवंटन को अंतिम रूप दिए जाने से पहले ही वेंचर और सरकारी ब्रॉडबैंड सेवाओं से मॉनेटाइज़ेशन शुरू करने की योजना बना रही है. इन साझेदारियों के साथ स्टारलिंक का लक्ष्य B2B और बी2G, दोनों क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना है और साथ ही भविष्य में उपभोक्ता-केंद्रित सेवाओं की शुरुआत की नींव रखना है.

यह भी पढ़ें: Suzlon के शेयर फिर करेंगे कमाल… भरेंगे ऊंची उड़ान, जान लीजिए नया टारगेट प्राइस; एक्सपर्ट ने दी ये सलाह