क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का असल दुनिया में कैसे हो रहा इस्तेमाल, क्या होते हैं स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट?
क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल सिर्फ वर्चुअल दुनिया में नहीं हो रहा है. बल्कि, असल दुनिया में भी इन दोनों की मदद से कई जटिल समस्याओं का समाधान मिल रहा है. क्लिनिकल ट्रायल्स से लेकर वोटिंग तक इनका इस्तेमाल हो रहा है. खासतौर पर स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट अहम भूमिका निभा रहे हैं. जानते हैं क्या ये क्या हैं और कैसे काम करते हैं?

Real World Use of Cryptocurrency and Blockchain Tech: ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी ने क्रिप्टोकरेंसी के साथ ही कई ऐसे टूल्स दिए हैं, जिनसे असल दुनिया की कई जटिल समस्याओं के समाधान निकल रहे हैं. खासतौर पर स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स ने रोजमर्रा की जिंदगी के कई काम आसान और सुरक्षित बना दिए हैं. जानते हैं कि कैसे और कहां ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित स्मार्टकॉन्ट्रैक्ट क्रिप्टोकरेंसी के साथ मिलकर यह काम कर रहे हैं.
क्या होते हैं स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट?
स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स ब्लॉकचेन नेटवर्क पर स्टोर डिजिटल प्रोग्राम हैं. ये प्रोग्राम पहले से तय नियम और शर्तों के पूरे होते ही खुद ही क्रियान्वित हो जाते हैं. इन्हें लागू करने के लिए किसी तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं होती है. स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के रियल वर्ल्ड यूज के मामलों की तादाद लगातार बढ़ रही है.
कहां से आया कंसेप्ट?
स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स का कंसेप्ट 1990 के दशक में क्रिप्टोग्राफर निक स्जाबो ने दिया. उन्होंने पहले से तय वादों को एक प्रोग्राम का रूप दिया. इसे प्रोग्राम के प्रोटोकॉल को इस तरह बनाया गया कि संबंधित पक्ष तय वादों के मुताबिक काम करें. अगर कोई एक पक्ष तय वादे के मुताबिक काम नहीं करता है, तो शर्तों के मुताबिक यह प्रोग्राम आगे की कार्रवाई खुद संचालित कर दे.
क्यों उपयोगी साबित हो रहे स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट?
रोजमर्रा के सिंपट ट्रांजैक्शन से लेकर जटिल सौदेबाजी में हर जगह स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट बिचौलियों की जरूरत को खत्म कर रहे हैं. इससे तमाम उद्योग, जो हमेशा से बिचौलिए के भरोसे चलते आए हैं, अब स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं. इन कॉन्ट्रैक्टस के जरिये अब दोनों पक्ष एक-दूसरे पर भरोसा किए बिना भी सौदा कर सकते हैं, क्योंकि कोई भी पक्ष अगर शर्तों का उल्लंघन करता है, तो स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट आगे की कार्रवाई खुद पूरी कर देते हैं. मोटे तौर पर इनसे वकील, बिचौलिये या डीलर्स जैसी एंटिटी की जरूरत के बिना सौदेबाजी की सुविधा मिलती है.
कहां-कहां हो रहा इस्तेमाल?
स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट का इस्तेमाल साधारण लेनदेन से लेकर क्लिनिकल ट्रायल, म्युजिक इंडस्ट्री, सप्लाई चेन मैनेजमेंट, प्रॉपर्टी डील, लोन, इंश्योरेंस, डिजिटल आईडेंटिटी, रिटेल इंडस्ट्री, फाइनेंशियल सर्विसेज और वोटिंग तक काम आ रहे हैं.
क्लिनिकल ट्रायल
क्लिनिकल ट्रायल्स के दौरान प्रभावी नतीजों के लिए अलग-अलग संस्थानों के बीच डाटा शेयरिंग जरूरी होती है. स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स की मदद से इस तरह के डाटा के चोरी होने या किसी और के श्रेय लेने का डर नहीं रहता है. इसके अलावा डाटा में किसी तरह की गड़बड़ी या फेरबदल नहीं किया जा सकता है, जिससे यह उन लोगों के लिए एक गेमचेंजर है, जो व्यापक पहुंच वाले क्लिनिकल ट्रायल करना चाहते हैं.
म्यूजिक इंडस्ट्री
उभरते हुए संगीत कलाकार म्युजिक इंडस्ट्री में शुरुआती दौर में स्ट्रीमिंग से होने वाली इनकम पर निर्भर रहते हैं. स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट एप्लिकेशन रॉयल्टी के भुगतान को आसान बनाते हैं. मसलन, कोई गाना कितनी बार बजाया गया और कहां-कहां बजाया गया इसके आधार पर कलाकार को तुरंत भुगतान हो सकता है. इसमें डिस्ट्रिब्यूटर की तरफ से छिपाने के लिए कुछ नहीं रहता है. इसके अलावा कलाकार अपने गाने को स्ट्रीमिंग टोकन से सीधे सुनने वालों को बेच सकते हैं. इसमें स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म की फीस और कलाकार का भुगतान बिना किसी तीसरे पक्ष की भगीदारी के हो जाते हैं.
कैसे आसान हो रही जिंदगी?
अमेजन की पूरी सप्लाई चेन ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर काम करती है. अमेजन की तरह ज्यादातर रिटेल चेन, लॉजिस्टिक्स कंपनी, सप्लायर और ऐसे तमाम उद्योग जहां बहुत सारी वस्तुएं, लोग या चीजें शामिल होती हैं इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहे हैं. यहां तक कि होम लोन, प्रॉपर्टी ऑनरशिप, रेंट, लीज और इंश्योरेंस सेक्टर में भी इसका इस्तेमाल हो रहा है.
Latest Stories

स्कॉलरशिप के नाम पर बच्चों से ठगी, प्रोसेसिंग फीस के बहाने उड़ा रहे लाखों; ऐसे करें खुद को सेफ

मस्क ने लॉन्च किया एक्स चैट, WhatsApp-Telegram को देगा टक्कर, जानें कब से कर पाएंगे इस्तेमाल?

रिलायंस दुनिया की टॉप 30 टेक कंपनियों में शामिल, नया ऑयल साबित हुआ डाटा
