क्या होती है हॉटलाइन, जिसने भारत-पाकिस्तान के सीजफायर में निभाई अहम भूमिका
भारत-पाकिस्तान के बीच 11 मई को सीजफायर की घोषणा हुई. इसके लिए दोनों देशों ने हॉटलाइन सेवा के जरिए बातचीत की थी.यह सेवा एक सुरक्षित और डायरेक्ट कम्युकेशन सिस्टम है जो दोनों देशों के DGMO को तत्काल बातचीत का माध्यम देती है. इसका उद्देश्य युद्ध, झड़प और तनाव को टालना होता है. यह 1971 के युद्ध के बाद शुरू हुई और 1990 के दशक में इसे और सशक्त बनाया गया. हाल की बातचीत में इसने सीमा पर शांति बहाल करने में अहम भूमिका निभाई.
India Pakistan Hotline: कश्मीर में सैलानियों पर हुए हमले के बाद भारत-पाकिस्तान में चल रहा संघर्ष 11 मई को रुक गया. दोनों देश सीजफायर के लिए तैयार हो गए. इसको लेकर दोनों के DGMO ने हॉटलाइन पर बात की थी. सीजफायर के ऐलान के बाद से बॉर्डर पर माहौल शांत हो गया है. इस पूरे घटनाक्रम में एक चीज जिसने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा, वह है हॉटलाइन. युद्ध के दौरान जब दोनों देशों ने एक-दूसरे के टीवी, रेडियो और सोशल मीडिया पर बैन लगा रखा था, तब भी यह सेवा जारी रही और इसी के माध्यम से दोनों देशों के बीच संघर्ष रुका. तो आइए जानते हैं कि हॉटलाइन क्या होती है और यह कैसे काम करती है.
क्या होती है हॉटलाइन सेवा?
हॉटलाइन सेवा एक डायरेक्ट और सुरक्षित कम्युनिकेशन लाइन है, जो दो देशों की सेनाओं या उच्च स्तर के अधिकारियों के बीच बातचीत के लिए होती है. इसका उद्देश्य बॉर्डर पर तनाव, किसी भी गलतफहमी से बचाव और दोनों देशों के बीच संभावित युद्ध व झड़पों को रोकना होता है.
इसके लिए दोनों देश एक कंट्रोल रूम बनाते हैं, जहां 24×7 इसकी निगरानी की जाती है. इसमें बातचीत के लिए अंग्रेजी या फिर कोई भी ऐसी भाषा जिसपर दोनों पक्ष सहमत है उसका उपयोग किया जाता है. इसमें संपर्क के लिए वॉइस कॉल, टेक्स्ट मैसेज या फिर ईमेल का उपयोग होता है. इसका उपयोग केवल विशेष परिस्थितियों में किया जाता है.
कैसे काम करती है हॉटलाइन सेवा?
हॉटलाइन सेवा के लिए एक डेडिकेटेड फाइबर केबल, सैटेलाइट या सुरक्षित इंटरनेट कनेक्शन स्थापित किया जाता है. जिससे किसी भी समय संपर्क किया जा सके, इसके लिए इसे 24×7 सक्रिय रखा जाता है. इसमें किसी सामान्य कॉल की तरह नंबर नहीं डायल करना पड़ता, क्योंकि यह लाइन हमेशा खुली रहती है.
यह दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच की बातचीत के लिए होती है, इसलिए यह एन्क्रिप्टेड, यानी पूरी तरह सुरक्षित होती है ताकि इसे कोई हैक न कर सके. इसीलिए इसका उपयोग केवल अधिकृत सैन्य अधिकारी ही करते हैं. भारत और पाकिस्तान, दोनों देशों में इसकी जिम्मेदारी डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन्स (DGMO) स्तर के अधिकारी निभाते हैं.
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भारत-पाकिस्तान के बीच कब शुरू हुई थी यह सेवा?
हालिया संघर्ष में अहम भूमिका निभाने वाली यह सेवा कई वर्षों से काम कर रही है. दोनों देशों के बीच यह आधिकारिक सैन्य हॉटलाइन की शुरुआत 1971 के युद्ध के बाद हुई थी. इसे 1990 के दशक में और भी मजबूत किया गया, ताकि सीजफायर उल्लंघन, सीमा पर गोलीबारी, घुसपैठ या संघर्ष की स्थिति में तुरंत बातचीत की जा सके.