अब इस राज्य में आधी रात को नहीं खेल सकेंगे ऑनलाइन गेम, सरकार ने फिक्स किया टाइम, कोर्ट की मुहर
तमिलनाडु में अब आधी रात को ऑनलाइन गेमिंग पर ब्रेक लग गया है. सरकार ने रात 12 से सुबह 5 बजे तक गेमिंग पर रोक लगाई है, जिसे मद्रास हाई कोर्ट ने भी जायज ठहराया. यह कदम युवाओं को नींद, मानसिक स्वास्थ्य और कर्ज़ के जाल से बचाने के लिए उठाया गया है. आइए जानते हैं कि कोर्ट ने क्या रुख अपनाया.
बीते कुछ वर्षों में देश में ऑनलाइन गेमिंग काफी लोकप्रिय हुआ है. लेकिन तमिलनाडु में ऑनलाइन गेम खेलना कठिन हो गया है. अब यहां रात 12 बजे से लेकर सुबह 5 बजे तक गेमर्स गेम लॉगिन नहीं कर पाएंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि राज्य सरकार ने ऑनलाइन गेमर्स पर शिकंजा कसने के लिए नया कानून बनाया है. इसके लिए सरकार ने राज्य में तमिलनाडु ऑनलाइन गेमिंग ऑथोरिटी रेगुलेशंस, 2025 लागू किया. इसके तहत अब आधी रात को गेमर्स ऑनलाइन गेम नहीं खेल पाएंगे. सरकार के इस फैसले को मद्रास हाई कोर्ट ने भी सही ठहराया है. लोग खेल-खेल में पैसा कमाने के लिए कर्ज लेकर भी ऑनलाइन गेम खेलते हैं. इसका दुष्प्रभाव यह है कि गेमर्स कर्ज के जाल में फंस जाते हैं. साथ ही आधार आधारित केवाईसी वेरिफिकेशन कराना भी अनिवार्य है.आइए जानते हैं कि सरकार के इस कदम पर मद्रास हाई कोर्ट ने क्या रुख अपनाया और कितना बड़ा है भारत में गेमिंग इंडस्ट्री.
ब्लैंक ऑवर में ऑनलाइन गेम्स पर रोक!
मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार की ओर से ऑनलाइन रियल मनी गेम्स पर लागू नियमों को वैध ठहराया है. सरकार ने रात 12 बजे से सुबह 5 बजे तक ऐसे खेलों पर रोक लगाई है. मतलब अब गेमर्स ब्लैंक ऑवर में ऑनलाइन गेम्स नहीं खेल पाएंगे. इसके साथ ही गेमर्स को अब गेम खेलने के लिए आधार आधिरत केवाईसी वेरिफिकेशन करना होगा.
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याचिकाकर्ता का पक्ष
याचिकाकर्ता ने तमिलनाडु ऑनलाइन गेमिंग ऑथोरिटी रेगुलेशंस, 2025 को मनमाना और असंवैधानिक और निजता के खिलाफ बताया. उनका कहना है कि राज्य सरकार आईटी एक्ट के तहत आने वाले विषयों पर कानून नहीं बना सकती. यह अधिकार केंद्र के पास है. केवाईसी के लिए आधार की बाध्यता भी अनुचित है क्योंकि रिजर्व बैंक की ओर से स्वीकृत अन्य दस्तावेजों से भी वेरिफिकेशन संभव है.
कोर्ट ने क्या कहा?
मद्रास हाई कोर्ट ने याचियों के तर्कों को खारिज करते हुए कहा कि निजता का अधिकार पूर्ण नहीं है. सार्वजनिक हित में उचित सीमा लगाया जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि ब्लैंक ऑवर्स में लॉगिन पर रोक लगाना जरूरी कदम है. ये समय आमतौर पर नींद और मानसिक विश्राम का होता है. इस दौरान गेमिंग की अनुमति देना स्वास्थ्य पर असर डाल सकता है. यह नियम राज्य के अधिकार क्षेत्र में है.
30,747 करोड़ का है ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर 2029 तक दो गुना बढ़कर 75,000 करोड़ रुपये का हो जाएगा, जिसमें मुख्य रूप से रियल मनी गेम्स का दबदबा होगा. सैन फ्रांसिस्को में गेम डेवलपर्स कॉन्फ्रेंस (GDC) में जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया था कि 2024 में भारत का ऑनलाइन गेमिंग मार्केट रेवेन्यू 30,747 करोड़ रुपये का होगा, जिसमें रियल मनी गेमिंग सेगमेंट की हिस्सेदारी करीब 86% होगी.
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