डॉलर में आई 10 साल की बड़ी गिरावट, निवेशकों का हिला भरोसा; जापानी येन और स्विस फ्रैंक हुए मजबूत

अमेरिकी डॉलर दुनिया की कई बड़ी करेंसियों के मुकाबले कमजोर हुआ. इसकी वजह अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते टैरिफ वॉर थी. इस वॉर ने निवेशकों का भरोसा हिला दिया है. चीन ने अमेरिका से आने वाले सामानों पर टैरिफ बढ़ाकर 125 फीसदी कर दिया. ये पहले यह 84 फीसदी था. य

ट्रेड वॉर Image Credit: Money 9

US-China Trade War: टैरिफ वॉर का असर हर दिन किसी न किसी रूप में दिख रहा है. इसी कड़ी में शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर दुनिया की कई बड़ी करेंसियों के मुकाबले कमजोर हुआ. इसकी वजह अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते टैरिफ वॉर थी. इस वॉर ने निवेशकों का भरोसा हिला दिया है. चीन ने अमेरिका से आने वाले सामानों पर टैरिफ बढ़ाकर 125 फीसदी कर दिया. ये पहले यह 84 फीसदी था. यह कदम अमेरिका के उस फैसले के जवाब में आया, जिसमें राष्ट्रपति ट्रंप ने चीनी सामानों पर टैक्स बढ़ाकर 145 फीसदी कर दिया था.

सरकारी बॉन्ड पर भी पड़ा असर

इस तनाव का असर सिर्फ करेंसी पर ही नहीं पड़ा, बल्कि पूरी दुनिया के शेयर बाजारों और अमेरिका के सरकारी बॉन्ड पर भी पड़ा है. ये बॉन्ड्स आमतौर पर सुरक्षित माने जाते हैं. लेकिन इस बार इनमें भी भारी गिरावट आई है. न्यूयॉर्क की एक फाइनेंशियल कंपनी BBH के एक्सपर्ट विन थिन ने कहा कि डॉलर की कमजोरी अब सिर्फ मंदी या फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरें घटाने की वजह से नहीं है. अब यह भरोसे की कमी की बात है. लोग अब डॉलर को सुरक्षित नहीं मान रहे.

जापानी येन और स्विस फ्रैंक हुए मजबूत

आमतौर पर जब बाजार में डर होता है तो डॉलर मजबूत होता है. लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ. इसकी जगह जापानी येन और स्विस फ्रैंक मजबूत हुए हैं. इस बीच एक रिपोर्ट में बताया गया कि अमेरिका में लोगों की consumer sentiment अप्रैल में बहुत नीचे गिर गई और लोग महंगाई को लेकर काफी चिंतित हैं. डॉलर में 10 साल की बड़ी गिरावट आई है.

ये भी पढ़ें- चीन के साथ ट्रेड डील करना चाहता है अमेरिका! टैरिफ वॉर के बीच व्हाइट हाउस का बड़ा बयान

सोने पर भी पड़ा असर

डॉलर की गिरावट का असर सोने पर भी पड़ा. सोने की कीमत $3,200 से ऊपर चली गई. यूरो ने डॉलर के मुकाबले 1.12 फीसदी की मजबूती दिखाई और यह फरवरी 2022 के बाद सबसे ऊपर पहुंच गया. यूरो ने पाउंड और युआन के मुकाबले भी अच्छा प्रदर्शन किया. एक जापानी रणनीतिकार नाका मात्सु जावा ने कहा कि अब निवेशक अमेरिकी सरकार की नीतियों पर भरोसा नहीं कर रहे हैं.

Latest Stories