ट्रंप के आने से दुनियाभर की करेंसी में हाहाकार, ईरान का रियाल सबसे ज्यादा बेहाल, जानें क्यों मचा भूचाल

बुधवार को एशियाई करेंसी में सिंगापुर डॉलर और थाईलैंड की भात में सबसे ज्यादा गिरावट देखी गई, जबकि मैक्सिकन पेसो अपने दो साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया. थाईलैंड की भात 1.9 प्रतिशत गिरकर दो महीने के निचले स्तर पर आ गई है, जो फरवरी के बाद एक दिन में सबसे बड़ी गिरावट है. वहीं, डोनाल्ड ट्रंप की वापसी की खबर ने ईरान के रियाल में भूचाल ला दिया है.

ट्रंप के आने से दुनियाभर की करेंसी में हाहाकार Image Credit: Peter Dazeley/Moment/Getty Images

ट्रंप के बारे में एक बात आमतौर पर बहुत फेमस है कि उन्हें व्यापार की समझ बहुत ही शानदार है. उनकी वापसी से एक तरफ डॉलर में तेजी देखी जा रही है, तो वहीं दुनिया की अन्य करेंसी में गिरावट बनी हुई है. सबसे ज्यादा गिरावट ईरान की करेंसी में देखी जा रही है. एशियाई करेंसी में सिंगापुर डॉलर और थाईलैंड की भात में सबसे ज्यादा गिरावट देखी गई है.

क्या हाल है करेंसी का

ट्रंप की वापसी से कई करेंसी में गिरावट देखी जा रही है, जिसमें ईरानी रियाल, भारतीय रुपया, सिंगापुर डॉलर, थाईलैंड की भात और मैक्सिकन पेसो के अलावा कई अन्य करेंसी शामिल हैं.

क्यों हुआ ऐसा

ट्रंप के आने की खबर से दुनिया की करेंसी में गिरावट आई है, लेकिन इस गिरावट के पीछे विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप की टैरिफ और इमिग्रेशन पॉलिसी इसका कारण है, जिसके चलते डॉलर में तेजी देखी जा रही है और अन्य करेंसी में गिरावट हो रही है. साथ ही, विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप की टैक्स कटौती पॉलिसी और उद्योग-धंधों पर कम नियंत्रण की वजह से अमेरिकी विकास को बढ़ावा मिलने की संभावना है, जिससे निवेशक अन्य करेंसी की तुलना में अमेरिकी डॉलर को प्राथमिकता देंगे. उनका कहना है कि व्यापारिक खतरों के कारण यूरो और एशियाई करेंसी में कमजोरी आने की संभावना है.

ईरान के रियाल में भूचाल

डोनाल्ड ट्रंप की वापसी से सबसे ज्यादा कोई करेंसी प्रभावित हुई है, तो उसमें ईरान का रियाल सबसे आगे है. बुधवार को 1 डॉलर के मुकाबले रियाल 703,300 तक पहुंच गया, हालांकि बाद में इसमें थोड़ा सुधार देखा गया और रियाल 696,150 पर आ गया. एक ओर जहां ईरान को पहले से ही कई प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है, अब संभावना है कि ये प्रतिबंध और बढ़ेंगे. एक तरफ जहां उसे आर्थिक मोर्चों पर पहले ही काफी संघर्ष करना पड़ रहा है, वहीं ट्रंप की वापसी से उसकी मुश्किलें और बढ़ सकती है.

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