महंगे H-1B वीजा से रिस्क में भारत का 35 अरब डॉलर, घटेगा विदेश से आने वाला पैसा, रुपये पर भी बढ़ेगा प्रेशर
अमेरिका ने H-1B वीजा पर नया नियम लागू किया है, जिसके तहत नए आवेदकों को सालाना 1 लाख डॉलर फीस चुकानी होगी. इससे भारत के 35 अरब डॉलर के रेमिटेंस पर खतरा और रुपये पर दबाव बढ़ सकता है. आईटी सेक्टर की लागत बढ़ेगी और भारतीय पेशेवरों के अमेरिका में काम करने पर असर पड़ेगा.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के H-1B वीजा को लेकर नया कार्यकारी आदेश जारी किया. इस आदेश के तहत अब हर नए H-1B वीजा आवेदक को अमेरिकी सरकार को सालाना 1 लाख डॉलर (करीब 88 लाख रुपये) फीस चुकानी होगी. यह नियम 21 सितंबर 2025 से लागू है. ट्रंप के इस फैसले से भारत के सर्विस सेक्टर पर बड़ा असर पड़ सकता है, खासकर उन भारतीय पेशेवरों पर जो अमेरिका में काम करते हैं और वहां से भारत में पैसे भेजते हैं. न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग ने बताया है कि इस फैसले से भारत के 35 अरब डॉलर के रेमिटेंस पर खतरा मंडरा सकता है. इसके साथ ही भारतीय रुपये पर दबाव भी बढ़ सकता है. आइए जानते हैं कैसे.
कैसे पड़ेगा रेमिटेंस पर असर
भारत हर साल विदेश में काम कर रहे भारतीयों से बड़ी रकम पाता है, जिसे रेमिटेंस कहते हैं. इसमें सबसे बड़ा हिस्सा अमेरिका से आता है. न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका से भारत को हर साल करीब 35 अरब डॉलर की रकम आती है. यह भारत के कुल रेमिटेंस का 28 फीसदी हिस्सा है. लेकिन अब H-1B वीजा धारकों की संख्या घटने से यह रकम भी घट सकती है. जेपी मॉर्गन ने चेतावनी दी कि अगर H-1B वीजा पर जाने वाले भारतीयों की संख्या आने वाले सालों में कम होती गई, तो भारत को मिलने वाले रेमिटेंस में गिरावट होगी. मान लीजिए H-1B वीजा पर भारतीयों का नया प्रवेश पूरी तरह रुक जाए, तो हर साल भारत को 400 मिलियन डॉलर (करीब 3,300 करोड़ रुपये) का नुकसान होगा.
इसके अलावा रेमिटेंस घटने का असर भारत की करेंसी पर भी पड़ रहा है. सोमवार को शुरुआती कारोबार में रुपया 0.23 फीसदी टूटकर 88.31 प्रति डॉलर पर आ गया. रुपया पहले से ही एशिया की सबसे कमजोर मुद्राओं में गिना जा रहा है.
टेक सेक्टर पर असर
भारत का आईटी सेक्टर H-1B वीजा पर बहुत निर्भर है. 280 अरब डॉलर का यह उद्योग अमेरिकी क्लाइंट्स के लिए भारतीय इंजीनियरों को वहीं भेजकर सर्विस देता है. नई भारी फीस से कंपनियों की लागत बढ़ेगी और कामकाज पर असर पड़ेगा. इसका असर शेयर बाजार में भी साफ दिखा है.
सोमवार को इन्फोसिस के शेयर 2.57 फीसदी की गिरावट के साथ 1500.20 रुपये पर बंद हुए. टेकमहिंद्रा के शेयर में 3.44 फीसदी गिरावट के साथ 1500.90 रुपये रहा. TCS के शेयर में भी 3.04 फीसदी की गिरावट देखने को मिली. ऐसे में आईटी सेक्टर का महत्व इसलिए भी बड़ा है क्योंकि यह भारत की जीडीपी में करीब 7 फीसदी से अधिक योगदान देता है और इसमें करीब 60 लाख लोग काम करते हैं.
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