कनाडा-UK समेत इन देशों ने फिलीस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र की दी मान्यता, इजराइल ने किया खारिज, जानें क्या है आगे की चुनौती

गाजा युद्ध से उपजे असंतोष के बीच ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और पुर्तगाल ने फिलीस्तीन को औपचारिक रूप से स्वतंत्र राष्ट्र की मान्यता दी है. यह कदम टू नेशन सॉल्यूशन को आगे बढ़ाने की दिशा में अहम माना जा रहा है. इजराइल ने इसका कड़ा विरोध किया है, जबकि फिलीस्तीन ने इसे शांति और उम्मीद की नई शुरुआत बताया.

Four western nation recognise Palestinian state Image Credit: Canva/ Money9

पिछले दो वर्षों से जारी युद्ध और अलग-थलग की स्थिति में फंसे फिलीस्तीन को अब पश्चिमी देशों से समर्थन मिलना शुरू हो गया है. गाजा युद्ध को लेकर बढ़ती असंतोष के चलते ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और पुर्तगाल ने रविवार को फिलीस्तीन को औपचारिक रूप से एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दी है. यह कदम टू नेशन सॉल्यूशन को आगे बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है. हालांकि, इजराइल ने इस फैसले का कड़ा विरोध दर्ज कराया है. 

वर्तमान में 140 से अधिक देश फिलीस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दे चुके हैं. इन चारों देशों के अमेरिका के साथ गहरे कूटनीतिक संबंध हैं, जबकि अमेरिकी प्रशासन इस युद्ध में स्पष्ट रूप से इजराइल का समर्थन कर रहा है. ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और पुर्तगाल के इस निर्णय का उनके अमेरिका के साथ रिश्तों पर क्या प्रभाव पड़ता है.

ब्रिटेन का फिलीस्तीन को समर्थन

ब्रिटेन का यह निर्णय खास महत्वपूर्ण है. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन ने ही आधुनिक इसराइल की स्थापना में बड़ी भूमिका निभाई थी. प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने कहा, आज हम फिलीस्तीनियों और इसराइली लोगों के लिए शांति की उम्मीद जगाने के लिए यूनाइटेड किंगडम (UK) फिलिस्तीन राज्य को मान्यता देता है. उन्होंने गाजा में मानवीय संकट पर दुख जताया. स्टार्मर ने कहा, गाजा पर इसराइली हमले, भुखमरी और तबाही असहनीय है.

कनाडा, पुर्तगाल और ऑस्ट्रेलिया ने भी दी फिलीस्तीन को मान्यता

कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने कहा, यह कदम शांति चाहने वालों को ताकत देगा. उन्होंने जोर दिया, यह आतंकवाद को कोई इनाम नहीं है. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, पुर्तगाल के विदेश मंत्री पाउलो रेंगेल ने कहा, यह हमारी विदेश नीति का मूल सिद्धांत है. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में कहा, टू नेशन सॉल्यूशन ही शांति का रास्ता है. तत्काल युद्धविराम जरूरी है. ऑस्ट्रेलिया ने भी इसी भावना से फिलीस्तीन को मान्यता दी. फ्रांस जैसे अन्य देश इस हफ्ते संयुक्त राष्ट्र महासभा में इसी कदम पर विचार कर रहे हैं.

बेंजामिन नेतन्याहू ने की निंदा

इसराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस कदम की कड़ी निंदा की है. उन्होंने कहा, 7 अक्टूबर के भयानक नरसंहार के बाद फिलीस्तीन को मान्यता देना आतंकवाद को बड़ा इनाम है. यह कभी नहीं होगा. जॉर्डन नदी के पश्चिम में फिलीस्तीनी राज्य नहीं बनेगा. 

हमास के 2023 के हमले में 1200 इसराइली मारे गए थे. 251 को बंधक बनाया गया. जवाबी कार्रवाई में गाजा में 65 हजार से ज्यादा फिलीस्तीनी मारे गए. ज्यादातर नागरिक थे. वहां भुखमरी फैली और ज्यादातर इमारतें ढह गईं. लाखों लोग बेघर हो गए.

फिलीस्तीन ने किया स्वागत

फिलीस्तीनी लोगों ने इस मान्यता का स्वागत किया. हमास ने कहा, यह अच्छा कदम है लेकिन गाजा युद्ध रोकने और वेस्ट बैंक पर कब्जे को रोकने के व्यावहारिक उपाय जरूरी हैं. रॉयटर्स के अनुसार, फिलीस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने कहा, इससे फिलीस्तीन और इसराइल शांति से साथ रह सकेंगे. लंदन में फिलीस्तीनी मिशन प्रमुख हुसाम जॉमलोट ने कहा, ब्रिटेन ने इतिहास सुधारने का काम किया.

क्या हैं आगे की चुनौतियां?

अमेरिका ने अभी कोई टिप्पणी नहीं की. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पहले ही ऐसे कदमों के खिलाफ हैं. इसराइली सुरक्षा मंत्री इतमार बेन-ग्विर ने वेस्ट बैंक पर संप्रभुता लागू करने का प्रस्ताव रखा. यह 1967 के युद्ध में कब्जे वाली जमीन पर कब्जा होगा. पश्चिमी देशों में जनता गाजा की तस्वीरों से गुस्से में है. वे हथियारों की आपूर्ति रोकने की मांग कर रहे हैं. यह मान्यता शांति प्रक्रिया को नई गति दे सकती है.