चाबहार पोर्ट पर अमेरिका ने मानी भारत की बात, 2026 तक मिली छूट, ट्रेड करना होगा आसान
चाबहार पोर्ट पर अमेरिकी प्रतिबंधों से भारत को एक बड़ी राहत मिली है. इस कदम से भारत की अफगानिस्तान और मध्य एशिया (Central Asia) तक पहुंचने की रीजनल कनेक्टिविटी योजना को नया बल मिलेगा. अमेरिकी प्रतिबंधों से छूट की अवधि 28 अक्टूबर को समाप्त होने वाली थी, लेकिन भारत ने गहन राजनयिक वार्ताओं के बाद इसे बढ़ाने में सफलता हासिल की.
Chabahar Port: भारत को चाबहार पोर्ट पर अमेरिकी प्रतिबंधों से मिली छूट की अवधि 6 महीने तक बढ़ा दी गई है. इस कदम से भारत की अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक पहुंचने की रीजनल कनेक्टिविटी योजना को नई गति मिलेगी. यह बंदरगाह न केवल भारत की रीजनल कनेक्टिवटी का अहम हिस्सा है, बल्कि अफगानिस्तान और मध्य एशिया–पूर्वी रूस तक भारत की आर्थिक और सामरिक पहुंच का महत्वपूर्ण द्वार भी माना जाता है.
PTI की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी प्रतिबंधों से छूट की अवधि 28 अक्टूबर को खत्म होनी थी. लेकिन भारत ने लगातार और गहन राजनयिक वार्ताओं के बाद इस छूट को 6 महीने तक बढ़ाने में सफलता हासिल की है. यह छूट अगले साल के शुरुआती महीनों तक जारी रहेगी.
भारत के लिए क्यों अहम है चाबहार पोर्ट?
13 मई 2024 को भारत ने ईरान की पोर्ट एंड मरीन ऑर्गनाइजेशन के साथ चाबहार पोर्ट के संचालन के लिए 10 साल की अवधि का समझौता किया था. यह करार इंडियन पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) और ईरान के बीच हुआ था. यह बंदरगाह भारत–अफगानिस्तान आर्थिक सहयोग को विस्तार देने, मानवीय सहायता पहुंचाने और हाल ही में अफगानिस्तान को दी गई एम्बुलेंस जैसी आपूर्तियों में भी अहम भूमिका निभा रहा है.
इसके अलावा तालिबान शासन ने भी चाबहार पोर्ट के उपयोग में रुचि दिखाई है ताकि अफगानिस्तान की वैश्विक पहुंच को नया आयाम मिल सके. भारत की योजना है कि चाबहार पोर्ट को इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) और मध्य एशियाई देशों से जोड़ा जाए, जिससे व्यापार और आपसी संपर्क को मजबूती मिले.
सेंट्रल एशिया और रूस से जुड़ने की रणनीति
भारत के रणनीतिक साझेदार उज्बेकिस्तान ने भी भारत से अपेक्षा जताई है कि वह चाबहार पोर्ट के संचालन में तेजी लाए. उज्बेकिस्तान मल्टीपोलेरिटी के सिद्धांत के तहत चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहना चाहता और भारत के साथ इस कनेक्टिविटी विकल्प को मजबूत बनाना चाहता है. साथ ही, रूस भी कजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान के माध्यम से चाबहार पोर्ट का उपयोग कर भारत और एशिया के दूसरे हिस्सों से व्यापारिक संपर्क बढ़ाने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है. इस तरह चाबहार पोर्ट दक्षिण एशिया, मध्य एशिया और रूस के बीच एक अहम व्यापारिक पुल बनने की ओर बढ़ रहा है.
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