H-1B वीजा पर क्यों सख्त हुए थे ट्रंप, वजह आई सामने; व्हाइट हाउस ने अपनी ही कंपनियों को लिया आड़े हाथ
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने H-1B वीजा नियमों में बदलाव करते हुए नए आवेदकों पर 1 लाख डॉलर का शुल्क अनिवार्य कर दिया है. पुराने वीजा धारकों पर इसका असर नहीं होगा. इस फैसले के बाद अब व्हाइट हाउस ने इस नए शुल्क के पीछे की वजह भी बता दी है.
H-1B Visa New Rule Reason: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में H-1B वीजा नियमों में बड़ा बदलाव करते हुए यह स्पष्ट किया है कि एक लाख अमेरिकी डॉलर का नया शुल्क केवल नए आवेदकों पर लागू होगा. पुराने वीजा धारकों या पहले से जमा किए गए आवेदनों पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा. इस फैसले से अमेरिका में काम कर रहे हजारों भारतीय पेशेवरों को बड़ी राहत मिली है, जो इस नए नियम को लेकर चिंतित थे. लेकिन फैसले के तुरंत बाद तक, भारत सहित दूसरे देशों के वीजा धारकों के माथे पर शिकन आ गई थी. लेकिन इन सभी बातों से इतर, असल मुद्दा ये है कि ट्रंप प्रशासन ने आखिर ये फैसला लिया क्यों था. इसका जवाब अब खुद व्हाइट हाउस ने दिया.
कंपनियों ने छंटनी कर विदेशियों को दी नौकरी!
व्हाइट हाउस ने इस निर्णय की वजह भी साफ कर दी है. सरकार का कहना है कि कई अमेरिकी कंपनियों ने H-1B वीजा प्रोग्राम का गलत इस्तेमाल किया. उदाहरण के तौर पर, एक कंपनी को जब 5,189 H-1B वीजा मिले तो उसने 16,000 अमेरिकी कर्मचारियों की छंटनी कर दी. इसी तरह, दूसरी कंपनी को 1,698 वीजा मिलने के बाद 2,400 लोगों को नौकरी से निकालना पड़ा. एक और कंपनी पर आरोप है कि उसने 2022 से अब तक 27,000 अमेरिकियों की नौकरियां छीन लीं. चौथी कंपनी ने भी 1,000 अमेरिकी कामगारों को निकालकर विदेशियों को हायर कर लिया. इन आंकड़ों को सामने रखते हुए व्हाइट हाउस ने कहा कि अगर समय रहते इस पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो यह अमेरिकी नागरिकों के रोजगार और देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता था.
क्यों जरूरी समझा गया यह कदम?
सरकार का तर्क है कि H-1B वीजा का मकसद केवल उन कंपनियों को मदद करना था जो वास्तव में कुशल और योग्य विदेशी कामगारों की आवश्यकता रखती हैं. लेकिन कुछ कंपनियां इसका गलत इस्तेमाल कर घरेलू कर्मचारियों को हटाकर सस्ते विदेशी कर्मचारियों को भर्ती कर रही थीं. राष्ट्रपति ट्रंप ने चुनावी वादों में कहा था कि वे अमेरिकी कामगारों की नौकरियों को सुरक्षित करेंगे और यह नया नियम उसी वादे का हिस्सा है.
किस पर लागू होगा नया शुल्क?
अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा (USCIS) के अनुसार-
- नया शुल्क केवल नए H-1B वीजा आवेदकों पर लागू होगा.
- 21 सितंबर 2025 से पहले जमा किए गए आवेदन इस नियम के दायरे में नहीं आएंगे.
- जो लोग पहले से अमेरिका में काम कर रहे हैं या जिनके पास वैलिड वीजा है, उन्हें दोबारा प्रवेश पर कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना होगा.
प्रवक्ताओं और अधिकारियों की प्रतिक्रिया
व्हाइट हाउस की प्रवक्ता टेलर रोजर्स ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप का यह कदम अमेरिकी कामगारों को प्राथमिकता देने की दिशा में एक समझदारी भरा फैसला है. उनके मुताबिक, इससे उन अमेरिकी व्यवसायों को भी मदद मिलेगी जो वास्तव में प्रतिभाशाली और कुशल विदेशी कामगारों को भर्ती करना चाहते हैं, लेकिन अब तक व्यवस्था की गड़बड़ियों के कारण उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ता था. USCIS निदेशक जोसेफ एडलो ने भी इस फैसले को स्पष्ट करते हुए कहा कि यह नियम केवल उन्हीं पर लागू होगा जो अब आवेदन करेंगे. पहले से मान्य वीज़ा धारकों या पहले से स्वीकृत आवेदनों वाले लोगों पर इसका कोई असर नहीं होगा.
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