H-1B फीस पर जारी रार के बीच UK का बड़ा प्लान, टॉप ग्लोबल टैलेंट के लिए वीजा फीस हटाने की तैयारी, इन्हें मिल सकता है फायदा
अमेरिका के H-1B वीजा पर लगाई गई 100,000 डॉलर की फीस ने भारतीय IT कंपनियों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. लेकिन अब ब्रिटेन ने इसके ठीक उलट रणनीति अपनाने का संकेत दिया है. फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट की मानें तो ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर की सरकार विदेशी "टॉप ग्लोबल टैलेंट" के लिए वीजा फीस खत्म करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है.आइये इसे समझते हैं...
फाइनेंशियल टाइम्स ने सोमवार को जानकारी दी कि अमेरिका के H-1B वीजा पर कड़ा रुख अपनाने के बीच ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर टॉप ग्लोबल टैलेंट के लिए वीजा शुल्क को समाप्त करने के प्रस्तावों पर विचार कर रहे हैं. स्टारमर की ग्लोबल टैलेंट टास्क फोर्स आर्थिक विकास को गति देने के लिए दुनिया के सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों और डिजिटल विशेषज्ञों को ब्रिटेन में आकर्षित करने के विचारों पर काम कर रही है, रिपोर्ट में नंबर 10 और ट्रेजरी के अंदर हुई चर्चाओं से अवगत लोगों के हवाले से कहा गया है. अगर ऐसा होता है तो इस कदम से Infosys और TCS जैसी भारतीय IT कंपनियों को ब्रिटेन में टैलेंट डिप्लॉयमेंट और बिजनेस विस्तार में बड़ी राहत मिल सकती है.
क्या है UK का प्रस्ताव
फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटेन सरकार विदेशी टॉप ग्लोबल टैलेंट के लिए वीजा फीस को पूरी तरह खत्म करने पर विचार कर रही है. इसके तहत दुनिया की टॉप 5 यूनिवर्सिटी के ग्रेजुएट्स और नोबेल, ट्यूरिंग जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार विजेता प्रतिभाओं को सीधे फास्ट ट्रैक वीजा मिल सकता है. ब्रिटेन सरकार की ग्लोबल टैलेंट टास्क फोर्स इस दिशा में काम कर रही है. इस प्रस्ताव का उद्देश्य ब्रिटेन को ग्लोबल इनोवेशन हब बनाना और देश की आर्थिक ग्रोथ को तेज करना है.
कितनी है ब्रिटेन के ग्लोबल टैलेंट वीजा की फीस
ब्रिटेन के ग्लोबल टैलेंट वीजा के लिए आवेदन की फीस 766 पाउंड ($1,030) है. भारतीय रुपये में यह फीस करीब 90,862 होती है. वहीं, अमेरिका ने H-1B वीजा पर 100,000 डॉलर की फीस लगाकर भारतीय IT कंपनियों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं.
भारत पर क्या असर होगा
अगर इसे मंजूरी मिलती है IT सेक्टर की Infosys, TCS, HCL Tech और Wipro जैसी कंपनियों के लिए यह राहत की खबर है. भारतीय IT कंपनियों का UK में बिजनेस तेजी से बढ़ा है. Infosys और TCS के पास पहले से ही UK में मजबूत क्लाइंट बेस है. टैलेंट मोबिलिटी आसान होने से कंपनियां कम लागत पर स्किल्ड स्टाफ को तैनात कर सकेंगी. इससे अमेरिका पर निर्भरता घटेगी. और ब्रिटेन एक बड़े ऑफशोरिंग सेंटर के रूप में उभर सकता है.
इसके अलावा भारतीय टेक स्टार्टअप्स भी ब्रिटेन को R&D और ग्लोबल ऑपरेशन के लिए अपना बेस बना सकते हैं. टैलेंट मोबिलिटी से ग्लोबल टैलेंट की आसान उपलब्धता कंपनियों की प्रतिस्पर्धा और मार्जिन दोनों को मजबूत करने में मदद करेंगी.
कुल मिलाकर अमेरिकी की पॉलिसी भारतीय IT सेक्टर के लिए महंगी और चुनौतीपूर्ण होती जा रही हैं. वहीं UK का यह प्रस्ताव भारतीय कंपनियों के लिए एक बड़ा गेमचेंजर साबित हो सकता है. भारतीय टेक कंपनियों के लिए यह प्रस्ताव ब्रिटेन में रोजगार के नए अवसरों के दरवाजे खोल सकता है.