पाकिस्तान में ढाई फीसदी घटी कर्ज की दर, फिर भी ब्याज दर भारत से है दोगुनी!
महंगाई और कर्ज के भंवर में फंसे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था अब पटरी पर लौटने लगी है. हालांकि, पटरी पर लौटकर भी यह कितनी बेपटरी है इसका अंदाजा इस तथ्य से लगता है कि पाकिस्तानी केंद्रीय बैंक ने कर्ज की दर में 2.5% की भारी कटौती की है. लेकिन, इसके बाद भी वहां ब्याज दर भारत की तुलना में दोगुना हैं.
पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक ने सोमवार को महंगाई के आंकड़ों में राहत मिलने के बाद कर्ज की दर में बड़ी कटौती का एलान किया है. स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) ने सोमवार को बताया कि उसकी मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन करने के बाद ब्याज दर घटाने का फैसला लिया है.
एसबीपी के वक्तव्य के मुताबिक पाकिस्तान में मुद्रास्फीति में पर्याप्त गिरावट आई है. इसे ध्यान में रखकर प्रमुख नीति दर को 250 आधार अंक (बीपीएस) यानी 2.50% घटाकर 17.5 फीसदी से 15 फीसदी कर दिया गया है. इस कटौती के बाद भी भारत की तुलना में देखा जाए, तो पाकिस्तान में ब्याज दर दोगुने से ज्यादा है. भारत में फिलहाल, यह दर 6.50% है.
बैंक ने एक बयान में कहा कि आज मौद्रिक समिति की बैठक में एमपीसी ने नीति दर को 250 आधार अंकों से घटाकर 15 फीसदी करने का फैसला किया, जो 5 नवंबर, 2024 से प्रभावी होगा. इसके साथ ही समिति ने कहा कि मुद्रास्फीति में अपेक्षा से अधिक तेजी से गिरावट आई है और यह अक्टूबर में मध्यम अवधि के लक्ष्य सीमा के करीब पहुंच गई है. इसके साथ ही समिति ने खाद्य मुद्रास्फीति में तेज गिरावट, अनुकूल वैश्विक तेल कीमतों और गैस टैरिफ पर चर्चा करते हुए बताया कि अक्टूबर के लिए मुद्रास्फीति के आंकड़े 7.2 फीसदी दर्ज किए गए.
महंगाई के मोर्चे पर मिली राहत
इसी तरह उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के जरिये मापी गई मुख्य मुद्रास्फीति अगस्त में धीमी होकर 9.6 फीसदी हो गई थी. पाकिस्तान में यह तीन साल से पहली बार हुआ है, जब महंगाई दर एकल अंक में रही है. नवंबर 2021 में पाकिस्तान में महंगाई दर ने 10 फीसदी का आंकड़ा पार किया था, इसके बाद से जुलाई 2024 तक लगातार 33 महीनों तक दोहरे अंकों में रही. इस बीच मई 2023 में यह 38 फीसदी के शिखर पर पहुंच गई.
सुधर रही आर्थिक सेहत
मुद्रास्फीति के दबाव का मुकाबला करने के लिए एसबीपी ने अगस्त 2021 में अपनी नीति दर को धीरे-धीरे 7 फीसदी से बढ़ाकर अप्रैल 2023 तक 22 फीसदी के शिखर पर पहुंचा दिया था. इसके बाद इस साल मई तक पाकिस्तान में ब्याज दरें 22 फीसदी पर बनी रहीं. हलांकि, इसके बाद से पाकिस्तान में ब्याज दर में लगातार कटौती हो रही है, जो उसकी सुधरती आर्थिक सेहत का संकेत है.
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