लागत चवन्नी, आमदनी रुपया का इंतजाम, सरकार दे रही 75 फीसदी सब्सिडी,जानें कैसे मिलेगा योजना का फायदा
अगर न्यूनतम 10 डिब्बों से भी मधुमक्खी पालन शुरू किया जाए, तो इसमें शुरुआती लागत करीब 20 हजार आएगी, जबकि एक साल के भीतर प्रत्येक डिब्बे से करीब 4 हजार का शहद बेचा जा सकता है, इस तरह सालभर में ही लागत निकालकर मुनाफा कमाया जा सकता है.

क्या आप ऐसे बिजनेस की तलाश में हैं, जिसके लिए सरकार मोटी सब्सिडी दे रही है और अपनी जेब से मोटी रकम लगाए बिना कम समय में अच्छी कमाई का अवसर दे सकता है. आपकी तलाश राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (एनबीएचएम) के साथ पूरी हो सकती है. इस योजना के तहत आप केंद्र सरकार से 75 फीसदी तक सब्सिडी ले सकते हैं. इसके अलावा मीठी क्रांति के तहत सरकार इस शहद को बेचने में भी आपकी मदद करती रहेगी.
जीवन के लिए जरूरी मधुमक्खियां
अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था कि अगर धरती से मधुमक्खियां गायब हो जाएं, तो समझना कि पृथ्वी पर इंसानों के लिए सिर्फ चार साल का जीवन बचा है, क्योंकि मधुमक्खियां नहीं होंगी, तो परागण नहीं होगा और परागण नहीं होगा तो पेड़-पौधे नहीं होंगे, जिनके अभाव में पृथ्वी पर कोई जानवर और आदमी भी नहीं बचेगा. बहरहाल, मधुमक्खियां जीवन के साथ ही जीविकोपार्जन के लिए भी अहम साबित हो रही हैं.
कम लागत में शुरुआत संभव
मधुमक्खी पालन कम लागत में बढ़िया मुनाफा देने वाले कारोबारों में शामिल है. छोटे स्तर पर सरकार भी किसानों को मधुमक्खी पालन के लिए प्रोत्साहित कर रही है. अगर न्यूनतम10 डिब्बों से यह काम शुरू किया जाए, तो करीब 20 हजार की लागत आती है. जबकि, एक साल के भीतर प्रत्येक डिब्बे से करीब 4 हजार की आमदनी हो सकती है. इस तरह सालभर में ही लागत निकालकर मुनाफा कमाया जा सकता है. इसके बाद साल दर साल मधुमक्खियां की तादाद बढ़ती रहती है और शहद उत्पादन भी बढ़ता है, जिससे मुनाफा भी बढ़ता जाता है.
केंद्र सरकार दे रही 75 फीसदी तक सब्सिडी
किसानों को मधुमक्खी पालन में मदद करने के लिए राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (एनबीबी) नाबार्ड के साथ मिलकर मधुमक्खी पालन के लिए वित्तपोषण कर रहा है. इसके अलावा एनबीएचएम के तहत केंद्र सरकार 50 से 75 फीसदी तक सब्सिडी दे रही है. केंद्र सरकार की तरफ से राज्यों के जरिये व्यक्तिगत लाभार्थियों, सोसाइटियों, फर्मों व कंपनियों को मधुमक्खी पालन पर 50 फीसदी तक सब्सिडी दी जाती है. इसके अलावा स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी), मधुमक्खी पालक किसान समूहों व सहकारी संघों को को 75 फीसदी तक सब्सिडी मिलती है. इसके अलावा एनबीबी, आईसीएआर, राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय सरकारी संगठनों, कृषि विश्वविद्यालयों को मधुमक्खी पालन के लिए 100 फीसदी सब्सिडी दी जाती है.
कैसे करें शुरुआत
मधुमक्खी पालन के कारोबार में उतरने से पहले यह जरूरी है कि आप अपने क्षेत्र में चल रहीं मधुमक्खी पालन गतिविधियों से परिचित हों. मधुमक्खी पालन शुरू करने के लिए कुछ जरूरी शर्तें हैं. मसलन, मधुमक्खी पालन का ज्ञान और प्रशिक्षण. इसके लिए अपने स्थानीय कृषि विभाग या कृषि विश्वविद्यालय से संपर्क करें, साथ ही स्थानीय मधुमक्खी वनस्पतियों की जानकारी जरूर हासिल करें. इसके अलावा प्रवासी मधुमक्खियों के पालन की जानकारी भी हासिल करें.
बढ़ेगा फसल उत्पादन
मधुमक्खी पालन का एक अप्रत्यक्ष लाभ यह भी है कि मधुमक्खी परागण से फसलों के उत्पादन में खासी बढ़ोतरी होती है. मसलन, बादाम, सेब, खुबानी, आड़ू, स्ट्रॉबेरी, नींबू और लीची, गोभी, धनिया, खीरा, फूलगोभी, गाजर, खरबूजा, प्याज, कद्दू, मूली, शलजम, सूरजमुखी, सरसों, कुसुम, नाइजर, रेपसीड, जिंजेली, ल्यूसर्न और तिपतिया घास जैसी फसलों को मधुमक्खी परागण से उपज में लाभ मिलता है. मिसाल के तौर पर सरसों की उपज 44 फीसदी, सूरजमुखी की 32-45 फीसदी, कपास की 17-20 फीसदी, ल्यूसर्न की 110 फीसदी, प्याज की 90 और सेब की उपज 45 फीसदी तक बढ़ जाती है.
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