फिर सातवें आसमान पर पहुंचे टमाटर के भाव, एक महीने में 26% चढ़ा, इन फैक्‍टर्स ने बिगाड़ा खेल

टमाटर की कीमतों में जबरदस्‍त उछाल देखने को मिल रहा है. थाेक में भाव बढ़ने से रिटेल मार्केट में भी टमाटर की कीमतें सातवें आसमान पर पहुंच गई हैं. इसके महंगे होने से आम आदमी का बजट गड़बड़ा गया है. तो क्‍या है टमाटर के महंगे होने की वजह, जानें डिटेल.

टमाटर के चलते बढ़ी महंगाई. Image Credit: tv9

देशभर में टमाटर की कीमतें एक बार फिर उछाल पर है. इसकी कीमतों में हो रहे बेतहाशा इजाफे से आम आदमी का बजट गड़बड़ा गया है. डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स के मुताबिक, टमाटर का रिटेल प्राइस पिछले एक महीने में 26% बढ़ गया है. थोक मार्केट में टमाटर महंगा होने से रिटेल में भी इसकी कीमत बढ़ गई है.

इन वजहों से बढ़े दाम

रिपोर्ट के मुताबिक जल्दी सर्दी आने से मांग बढ़ गई है और अक्टूबर की बारिश ने फसल को नुकसान पहुंचाया है, जिससे सप्लाई पर सीधा असर पड़ा है. जिसके चलते बाजार में टमाटर के दाम तेजी से ऊपर जा रहे हैं. जानकारों के मुताबिक रिटेल दाम कुछ हफ्तों तक ऊंचे ही रहेंगे. उत्पादन फिलहाल दबाव में है, जिसके चलते प्रमुख शहरों में प्रीमियम टमाटर ₹60–₹70 प्रति किलो तक बिक रहे हैं.

पिछले साल के मुकाबले कीमतें कम

टमाटर की कीमतें नवंबर में भले ही 26 फीसदी बढ़ गई हो, तब भी मौजूदा रिटेल कीमतें एक साल पहले की तुलना में करीब 4% कम हैं. मई 2025 से टमाटर की सालाना महंगाई नकारात्मक जोन में बनी हुई है क्योंकि पिछले साल दाम काफी ऊंचे थे. अक्टूबर 2025 में तो कीमतें सालाना आधार पर 54% नीचे थीं, क्योंकि सप्लाई बहुत ज्यादा आई थी.

बारिश ने फेरा पानी

अक्टूबर की भारी बारिश ने इस बार टमाटर का पूरा गणित बिगाड़ दिया है. इससे फसलों को नुकसान हुआ और सप्लाई घट गई है. आंध्र प्रदेश के मदनपल्ले कृषि बाजार, जो एशिया के सबसे बड़े टमाटर हब में से एक है इनमें दो हफ्ते पहले टमाटर की थोक कीमतें ₹40 प्रति किलो से उछलकर ₹61 प्रति किलो तक पहुंच गई थीं. बारिश से उपज कम होने, आवक घटने और ट्रांसपोर्ट कॉस्ट बढ़ने की वजह से टमाटर महंगा हुआ है. ट्रेडर्स के मुताबिक पिछले एक महीने से कीमतें लगातार ऊपर जा रही हैं और अगले दो महीने तक टमाटर की कीमतों में उतार-चढ़ाव जारी रहेगा.

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उत्पादन भी कम होने का अनुमान

2024–25 में टमाटर उत्पादन 19.46 मिलियन टन रहने का अनुमान है, जबकि 2023–24 में यह 21.32 मिलियन टन था. भारत के 18 राज्य, जिनमें मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु और पंजाब शामिल हैं. ये मुख्‍य रूप से देश में टमाटर सप्लाई करते हैं. कंज्यूमर अफेयर्स विभाग का कहना है कि अलग-अलग राज्यों में अलग समय पर बुवाई और कटाई होती है, जिसकी वजह से सीजनल उतार-चढ़ाव आते हैं. जून–अगस्त और अक्टूबर–नवंबर को लीन सीजन माना जाता है, जब कीमतें आमतौर पर बढ़ती हैं.