पुष्पा में खूब दिखा है चंदन का बिजनेस, जानें कैसे करें खेती और कितनी होगी कमाई
लाल चंदन एंटी बैक्टेरियल होता है. इसके चलते ब्यूटी प्रोडक्ट्स बनाने में सबसे अधिक इसका इस्तेमाल किया जाता है. इससे साबुन, इत्र और अगरबत्ती भी बनाए जाते हैं. इसके अलावा लाल चंदन का उपयोग दवाइयां बनाने में भी किया जाता है.
पुष्पा 2 के रिलीज होते ही फिर से लाल चंदन चर्चा में आ गया है. क्योंकि ‘पुष्पा द राइज़’ में अल्लू अर्जुन ने लाल चंदन के तस्कर का किरदार निभाया था. फिल्म में दिखाया गया है कि शेषांचलम के जंगलों से लाल चंदन की तस्करी चेन्नई के रास्ते जापान और चीन तक होती है. इसमें लाख नहीं करोड़ों की कमाई है. ऐसे में लाल चंदन के प्रति लोगों की दिलचस्पी बढ़ गई है. लोगों को लग रहा है कि लाल चंदन प्राकृतिक रूप से केवल जंगलों में ही उगता है, लेकिन ऐसी बात नहीं. किसान चाहें, तो इसकी खेती भी कर सकते हैं. बिहार, यूपी, राजस्थान और झारखंड सहित कई राज्यों में किसानों ने लाल चंदन की खेती भी शुरू कर दी है. इससे उन्हें आने वाले सालों में बंपर कमाई की उम्मीद है.
लाल चंदन की खेती के लिए गर्म और शुष्क जलवायु बेहतर माना गया है. लेकिन रेतीली और बर्फीली इलाकों में इसकी खेती नहीं की जा सकती है. हालांकि, दोमट मिट्टी लाल चंदन की खेती के लिए अच्ची होती है. मिट्टी का पीएच मान 4.5 से 6.5 के बीच होना चाहिए. इसके पौधों की रोपाई करने का सबसे अच्छा समय मई से जून का महीना है. इस दौरान पौधों की रोपाई करने पर अच्छी ग्रोथ होती है.
इस तरह करें पौधों की रोपाई
अगर आप लाल चंदन की खेती करना चाहते हैं, तो सबसे पहले खेत की अच्छी तरह से जुताई कर लें, ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए. इसके बाद गोबर की खाद खेत में डाल दें और पाटा चलाकर मिट्टी को समतल कर लें. फिर आप 45 सेंटीमीटर चौड़ा और 45 सेंटीमीटर लंबा गड्ढा खोद कर लाल चंदन के पौधों की रोपाई कर सकते हैं. खास बात यह है कि रोपाई करते समय एक पौधे से दूसरे पौधे के बीच की दूरी कम से कम 10 फूट जरूर रखें. साथ ही पौधों के पास जल निकासी की अच्छी तरह से व्यवस्था कर लें, नहीं तो फसल को नुकसान भी पहुंच सकता है. मार्केट में 100 से 150 रुपये के बीच चंदन का एक पौधा आ जाता है.
साल 2001 में हटा प्रतिबंध
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, पहले चंदन की खेती पर प्रतिबंध था. लेकिन केंद्र सरकार ने साल 2001 में इसकी खेती पर से प्रतिबंध हटा दिया. अब बिहार, यूपी और राजस्थान जैसे राज्यों में भी किसान चंदन की खेती कर रहे हैं. खास कर लाल चंदन की खेती के प्रति किसानों की ज्यादा रूचि देखने को मिल रही है. क्योंकि लाल चंदन का पेड़ जितना अधिक पुराना होता है उसकी कीमत उतनी ही अधिक होती है. 15 साल पुराने एक पेड़ को आप 70 हजार से 2 लाख रुपये के बीच बेच सकते हैं. इस तरह आप अगर लाल चंदन के 50 पेड़ लगाए हैं, तो 15 साल बाद बेचकर 1 करोड़ रुपये तक की कमाई कर सकते हैं.
चंदन का वैज्ञानिक नाम
चंदन की कई किस्में हैं. लेकिन लाल चंदन, सफेद चंदन, मयूर आयर और नागा चंदन सबसे ज्यादा प्रचलित हैं. लेकिन मार्केट में सबसे ज्यादा मांग लाल चंदन की है, क्योंकि इसकी लकड़ी से बहुत अधिक खुशबू निकलती है. साथ ही इसकी कीमत भी अधिक होती है. यही वजह है कि खास खासियत के चलते लाल चंदन को अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है. लोग इसे रूबी, रक्तचंदनम, शेन चंदनम और रतनजली के नाम से भी जानते हैं. लेकिन लाल चंदन का वैज्ञानिक नाम पेरोकार्पस सैंटलिनस है.
विदेशों में ज्यादा मांग
लाल चंदन एंटी बैक्टेरियल होता है. इसके चलते ब्यूटी प्रोडक्ट्स बनाने में सबसे अधिक इसका इस्तेमाल किया जाता है. इससे साबुन, इत्र और अगरबत्ती भी बनाए जाते हैं. इसके अलावा लाल चंदन का उपयोग दवाइयां बनाने में भी किया जाता है. खास बात यह है कि विदेशों में लाल चंदन की ज्यादा मांग है. वहां पर इसकी कीमत भी अधिक होती है
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