सब्सिडी योजना में धांधली की आशंका? निजी कंपनियां मनमाने तरीके से इस रेट पर बेच रहीं गेहूं के बीज
हरियाणा बीज विकास निगम, राष्ट्रीय बीज निगम और इफको जैसी अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर 2,875 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से प्रमाणित गेहूं के बीज बेच रहा है. खास बात यह है कि सरकार ने यह कीमत 3,875 रुपये प्रति क्विंटल का आधार मूल्य मानकर और 1,000 रुपये की सब्सिडी देकर तय की है.
हरियाणा सरकार ने इस साल किसानों को गेहूं के बीज खरीदने पर 1000 रुपये क्विंटल की दर से सब्सिडी देने का फैसला किया है. लेकिन अब इसके ऊपर राजनीति शुरू हो गई है. भारतीय किसान एकता (बीकेई) के अध्यक्ष लखविंदर सिंह औलख ने हरियाणा सरकार पर रबी सीजन के लिए गेहूं सब्सिडी योजना में धोखाधड़ी का आरोप लगाया है. औलख ने कहा कि सरकार की 1,000 रुपये प्रति क्विंटल की सब्सिडी भ्रामक और किसानों के लिए अप्रयाप्त है. उन्होंने कहा कि निजी कंपनियां बिना किसी सब्सिडी के बीज बेच रही हैं.
औलख के अनुसार, हरियाणा बीज विकास निगम, राष्ट्रीय बीज निगम और इफको जैसी अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर 2,875 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से प्रमाणित गेहूं के बीज बेच रहा है. खास बात यह है कि सरकार ने यह कीमत 3,875 रुपये प्रति क्विंटल का आधार मूल्य मानकर और 1,000 रुपये की सब्सिडी देकर तय की है. हालांकि, निजी बीज कंपनियां बिना किसी सब्सिडी के यही बीज 3,100-3,200 रुपये प्रति क्विंटल बेच रही हैं.
इतनी होनी चाहिए बीज की कीमत
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, इसकी तुलना में पिछले साल सरकारी एजेंसियों ने किसानों से 2,275 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से गेहूं खरीदा था, साथ ही 100 से 350 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस भी दिया था. वहीं, प्रोसेसिंग के दौरान किसानों को टूटे या छोटे दाने भी लौटाए गए थे. श्रम, पैकेजिंग और भंडारण सहित सभी खर्चों को ध्यान में रखते हुए, कुल प्रोसेसिंग लागत 550 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक नहीं होनी चाहिए, जिसके चलते वास्तविक बीज की कीमत लगभग 2,825 रुपये प्रति क्विंटल होगी.
किसान नेता ने उठाई जांच की मांग
औलाख ने सवाल उठाया कि सरकार की सब्सिडी से किसानों को लाभ क्यों नहीं हुआ, जबकि अंतिम बीज की कीमत निजी कंपनी की दरों के करीब रही. उन्हें सब्सिडी वितरण में बड़ी विसंगति का संदेह है और उन्होंने इस बात की जांच की मांग की कि लक्षित लाभार्थियों के बजाय इसका लाभ कौन उठा रहा है. उन्होंने किसानों को सहायता देने के लिए 1,000 रुपये प्रति क्विंटल की सब्सिडी का पता लगाने के लिए उच्च स्तरीय जांच की मांग की. औलाख ने इस बात पर जोर दिया कि यह सुनिश्चित करने के लिए स्पष्ट जांच आवश्यक है कि भविष्य की नीतियां किसानों का शोषण करने के बजाय वास्तव में उन्हें लाभ पहुंचाएं.