बारिश-धूप की चिंता छोड़िए, पॉलीहाउस पर मिल रही है 50 फीसदी सब्सिडी; ऑफ-सीजन में भी होगी बंपर पैदावार

आजकल पॉलीहाउस का क्रेज दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है. किसान इसमें अपनी फसलें उगा रहे हैं और किसी भी ऑफ-सीजन में भी बढ़िया पैदावार ले रहे हैं. हालांकि, कई लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि पॉलीहाउस तो काफी महंगा होता है. यदि आप भी ऐसा सोचते हैं तो चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि पॉलीहाउस खेती पर 50 प्रतिशत तक सब्सिडी मिल रही है.

पॉलीहाउस/ग्रीनहाउस सब्सिडी योजना Image Credit: money9live.com

Polyhouse Subsidy Scheme: उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में लोग एग्रीकल्चर पर निर्भर हैं. अक्सर बारिश और खराब मौसम के कारण फसलों को भारी नुकसान होता है. इन्हीं नुकसानों से बचाने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों की आमदनी बढ़ाने और आधुनिक कृषि को बढ़ावा देने के लिए ग्रीनहाउस व पॉलीहाउस तकनीक को प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया है. राज्य के 44 जिलों में इन सुविधाओं के माध्यम से किसान अब ऑफ-सीजन में भी सब्जियों और अनाज की खेती कर सकेंगे. बुधवार को जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, इनमें से 24 जिलों में यह सुविधा पहले से ही शुरू हो चुकी है, जबकि 20 जिलों में निर्माण कार्य प्रगति पर है.

क्या हैं ग्रीनहाउस और पॉलीहाउस

यह विशेष प्रकार की संरचनाएं होती हैं जो फसलों को अत्यधिक गर्मी, ठंड, बारिश और कीटों से सुरक्षा प्रदान करती हैं. इनमें तापमान, नमी और प्रकाश को नियंत्रित कर टमाटर, मिर्च, शिमला मिर्च, खीरा, बीन्स और विभिन्न अनाजों की सालभर खेती की जा सकती है. इससे न केवल उत्पादन की गुणवत्ता बेहतर होती है, बल्कि किसानों को बाजार में बेहतर मूल्य भी प्राप्त होता है.

किसानों को मिल रहा लाभ

राज्य सरकार ने ‘एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड स्कीम’ और ‘एकीकृत बागवानी विकास मिशन’ के अंतर्गत इस पहल को बड़े पैमाने पर लागू किया है. अब तक 37 ग्रीनहाउस बन चुके हैं, जबकि 29 का निर्माण अंतिम चरण में है. लखनऊ, मेरठ, अमेठी, आगरा और गाजीपुर जैसे जिलों में किसान पहले ही इस तकनीक का लाभ उठा रहे हैं.

मिल रहा है 50 फीसदी अनुदान

किसानों को ग्रीनहाउस/पॉलीहाउस निर्माण लागत का 50 फीसदी तक अनुदान दिया जा रहा है. इसके अतिरिक्त, उन्हें तकनीकी प्रशिक्षण और विशेषज्ञ मार्गदर्शन भी प्रदान किया जा रहा है. यह योजना पारंपरिक खेती को वाणिज्यिक मॉडल में परिवर्तित करने और किसानों की आय सुनिश्चित करने में सहायक होगी.

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क्यों जरूरी है यह पहल

बहुत चर्चा में है पॉलीहाउस खेती

पॉलीहाउस के भीतर की जाने वाली खेती इन दिनों भारत में काफी चर्चा में है. इस तकनीक का बड़े स्तर पर उपयोग इजरायल में किया जाता है. इसकी मदद से ऑफ-सीजन में भी खेती संभव होती है. इसमें न केवल कीटाणुओं से फसलों की रक्षा होती है, बल्कि कम मात्रा में खाद और पानी की आवश्यकता होती है. भारत में खेती का रकबा लगातार घटता जा रहा है, ऐसे में यह तकनीक एक व्यवहारिक विकल्प हो सकती है.

पॉलीहाउस में सबसे बड़ा खर्च उसके निर्माण में आता है, लेकिन एक बार यदि यह बन गया तो किसान को बेहतर मुनाफा मिल सकता है. कई जगहों पर बांस से बने पॉलीहाउस भी तैयार किए जा रहे हैं, जो पारंपरिक पॉलीहाउस की तुलना में काफी सस्ते होते हैं. इसके अलावा, यदि कोई किसान कम लागत वाला पॉलीहाउस चाहता है तो लो टनल खेती या वॉक-इन टनल खेती भी एक अच्छा विकल्प हो सकती है.