गेहूं खरीद में इस वर्ष बड़ी छलांग, अब तक 286.6 लाख टन खरीदारी; पिछले साल से आगे निकला आंकड़ा
सरकार ने मार्केटिंग ईयर 2025-26 में अब तक 286.6 लाख टन गेहूं की खरीद की है, जो पिछले साल के मुकाबले अधिक है. FCI और राज्य एजेंसियों द्वारा पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से ज्यादा खरीद दर्ज की गई है. अब तक 62,346.23 करोड़ रुपये MSP के रूप में 22.7 लाख किसानों को दिए जा चुके हैं.

Wheat Procurement: गेहूं की खरीदारी में इस साल सरकार को बड़ी सफलता मिली है. केंद्र सरकार ने चालू मार्केटिंग ईयर 2025-26 में अब तक 286.6 लाख टन गेहूं की खरीद कर ली है. यह आंकड़ा पिछले वर्ष की कुल खरीद 265.9 लाख टन से अधिक है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, यह उपलब्धि 2022-23 के बाद की सबसे बड़ी गेहूं खरीद है.
इस वर्ष कितना होगा उत्पादन
सरकार ने इस वर्ष गेहूं उत्पादन के रिकॉर्ड स्तर 115.3 मिलियन टन तक पहुंचने का अनुमान जताया है, जिससे खरीद में तेजी आई है. मार्केटिंग ईयर अप्रैल से मार्च तक चलता है, लेकिन अधिकांश खरीद अप्रैल-जून के बीच ही होती है.
इन राज्यों में हुई ज्यादा खरीदारी
भारतीय खाद्य निगम (FCI) और राज्य एजेंसियां किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर गेहूं खरीदती हैं. FCI के आंकड़ों के अनुसार, पांच प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में इस साल पिछले वर्ष की तुलना में अधिक खरीद हुई है.
16 मई तक पंजाब में सबसे अधिक 115.7 लाख टन गेहूं खरीदा गया है, इसके बाद मध्य प्रदेश में 74 लाख टन, हरियाणा में 70.1 लाख टन और राजस्थान में 16.4 लाख टन की खरीद हुई है. उत्तर प्रदेश में भी खरीद पिछले साल से बेहतर रही है, हालांकि सटीक आंकड़े नहीं दिए गए हैं.
62,346.23 करोड़ रुपये की MSP
अब तक 62,346.23 करोड़ रुपये की MSP राशि किसानों को दी जा चुकी है, जिससे लगभग 22.7 लाख किसानों को लाभ मिला है. मध्य प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में गेहूं की कटाई पूरी हो चुकी है, जबकि पंजाब, उत्तर प्रदेश और बिहार में आंशिक कटाई बाकी है.
यह भी पढ़ें: तुर्की के सेब और कश्मीर-हिमाचल के सेब में क्या अंतर, जानें कौन है महंगा
लक्ष्य से पीछे हुई खरीदारी
हालांकि अब तक की खरीद उत्साहजनक रही है, लेकिन यह अभी भी 2025-26 के लिए तय किए गए 312 लाख टन के लक्ष्य से पीछे है. आने वाले हफ्तों में उत्तर प्रदेश और बिहार से खरीद में और तेजी आने की संभावना है. सरकार का जोर अब किसानों से शेष गेहूं तेजी से खरीदने पर है, ताकि भंडारण जरूरतें पूरी की जा सकें और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.
Latest Stories

तुर्की के सेब और कश्मीर-हिमाचल के सेब में क्या अंतर, जानें कौन है महंगा

इंटरनेशनल मार्केट में DAP की फिर बढ़ी कीमतें, सरकार पर बढ़ेगा बोझ, फिलहाल किसानों पर असर नहीं

अंडमान निकोबार में मानसून की हुई एंट्री, केरल में भी जल्दी आने के संकेत; IMD ने जारी किया अलर्ट
