पूर्व DRDO प्रमुख बोले- भारत को जल्द मिलने वाली है हाइपरसोनिक सफलता, दुनिया की सबसे तेज मिसाइल पर चल रहा काम

Hypersonic Breakthrough: पूर्व DRDO प्रमुख ने खुलासा किया कि, DRDO ने हाल ही में एक हाइपरसोनिक इंजन के लिए सफल परीक्षण किए हैं. मिश्रा ने कहा कि दो-तीन हफ्ते पहले हमने एक हाइपरसोनिक इंजन का परीक्षण किया था.

सबसे तेज मिसाइल पर चल रहा काम. Image Credit: Tv9

Hypersonic Breakthrough: भारत-पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के बीच पूर्व डीआरडीओ प्रमुख डॉ. सुधीर कुमार मिश्रा ने भारत के मिसाइल सिस्टम को लेकर बड़ा खुलासा किया है. उन्होंने कहा है कि भारत 5 मैक की गति से उड़ान भरने में सक्षम स्वदेशी हाइपरसोनिक मिसाइल के आगामी आगमन के साथ, एक प्रमुख डिफेंस माइलस्टोन हासिल करने की कगार पर है. शुक्रवार 16 मई को एक न्यूज चैनल के कार्यक्रम में पूर्व DRDO प्रमुख ने खुलासा किया कि, DRDO ने हाल ही में एक हाइपरसोनिक इंजन के लिए सफल परीक्षण किए हैं और अब मिसाइल सिस्टम का अनावरण करने की तैयारी कर रहा है.

हाइपरसोनिक इंजन का परीक्षण

मिश्रा ने कहा कि दो-तीन हफ्ते पहले हमने एक हाइपरसोनिक इंजन का परीक्षण किया था. जल्द ही हम एक हाइपरसोनिक मिसाइल लेकर आएंगे जो मैक 5 की गति तक पहुंचेगी. ब्रह्मोस के लिए सभी तकनीकें DRDO ने ही डेवलप की हैं. हमने दुनिया का सबसे बड़ा लॉन्चर भी खुद ही बनाया है. उन्होंने आगे कहा कि जब दूसरे देश मिसाइल सिस्टम की तुलना करते हैं और भारत के सिस्टम को शामिल करना चाहते हैं, तो इसका मतलब है कि हमारा सिस्टम सबसे अच्छा है.

पावरफुल यूनिवर्सल हथियार है ब्रह्मोस

मिश्रा ने ब्रह्मोस को एक बेहद पावरफुल यूनिवर्सल हथियार बताया, जो ब्रूट फोर्स के साथ हमला करता है जिससे इसे रोकना लगभग असंभव हो जाता है. मिसाइल सिस्टम की विश्वसनीयता पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि हर बार पैरामीटर में लगातार सुधार के साथ 130 से अधिक परीक्षण किए गए हैं.

क्वालिटी पर जोर

लागत से अधिक क्वालिटी के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने ने कहा कि DRDO पारंपरिक L1 (सबसे कम बोली लगाने वाला) रूट से बचता है. इसके बजाय T1 का विकल्प चुनता है, जो सबसे बेस्ट तकनीकी पेशकश है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि परफॉर्मेंस से समझौता न हो.

उन्होंने कहा कि आकाश, ब्रह्मोस और अन्य स्वदेशी इलेक्ट्रॉनिक तकनीकों जैसे भारतीय सिस्टम चाहे वे एडवांस्ड मोर्चे पर हों या सहायक भूमिकाओं में, सशस्त्र बलों के आत्मविश्वास को बहुत बढ़ाया है.

डिफेंस टेक्नोलॉजी रिटर्न

उन्होंने डिफेंस टेक्नोलॉजी रिटर्न के लिए लंबी जेस्टेशनल अवधि को भी जिक्र किया और निवेशकों को आगाह किया कि वे केवल 2-3 वर्षों में परिणाम की उम्मीद न करें. उन्होंने कहा कि वास्तविक रक्षा रिसर्च एंड डेवलपमेंट में कम से कम एक दशक लगता है.

ड्रोन सेक्टर पर कठोर टिप्पणी

डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम की खंडित स्थिति को संबोधित करते हुए मिश्रा ने बेहतर कंसोलिडेशन का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि अगर प्रत्येक वर्टिकल में 3,000 कंपनियां हैं, तो खरीदारों के लिए उनका समर्थन करना कठिन हो जाता है. आप उन्हें एक समूह में क्यों नहीं करते. ड्रोन सेक्टर पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने एक कठोर भविष्यवाणी की. मिश्रा ने कहा कि आज 400 ड्रोन कंपनियां हैं. मैं आपको बता रहा हूं कि ये आने वाले समय में 20 से अधिक नहीं बचेंगी.

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