खरीद रहे हैं नई कार, Tiago-Victoris समेत इनमें नहीं मिलेगी स्टेपनी, जानें इसके पीछे का कारण

नई कारों में स्टेपनी का गायब होना अब आम बात हो रही है. इसका कारण है नए नियम, वजन कम करना, माइलेज बढ़ाना और डिक्की में ज्यादा जगह देना. इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड कारों में ये ट्रेंड ज्यादा दिखता है. अगर आप नई कार खरीदने जा रहे हैं, तो चेक कर लें कि उसमें स्टेपनी है या नहीं. अगर नहीं, तो टायर रिपेयर किट का इस्तेमाल करना सीख लें.

इन कारों में नहीं मिलेगी स्टेपनी Image Credit: Canva

Car without Stepney: अगर आपने हाल ही में नई कार खरीदी है या नई कारें देखी हैं, तो आपने शायद एक अजीब चीज नोटिस की होगी. कई नई कारों में अब स्पेयर टायर (stepney) नहीं मिलता. वो कार की डिक्की से अब धीरे-धीरे गायब हो रहा है. पहले चाहे आप छोटी कार खरीदें, SUV या ट्रक, हर गाड़ी में डिक्की में स्पेयर टायर जरूर मिलता था. आमतौर पर ये डिक्की के नीचे या SUV और ट्रकों में पीछे की तरफ होता था. लेकिन पिछले कुछ सालों में नई कारों में स्पेयर टायर गायब होने लगा है. ऐसे में आइए जानते है कि अगर आप नई कार खरीद रहे हैं तो आपको किन कारों में स्टेपनी नहीं मिलेगी.

ऐसा क्यों हो रहा है?

पहले हर नई कार में एक टायर, जिसे हम स्टेपनी कहते हैं वो जरूर मिलता था. कुछ कारों में तो ये भी नहीं मिलता. एक रिपोर्ट के मुताबिक, हाल के सालों में बिकने वाली करीब 30 फीसदी नई कारों में स्टेपनी नहीं होती. स्टेपनी एक एक्सट्रा टायर होता है, जो कार के साथ मिलता है. अगर रास्ते में आपकी कार का टायर पंक्चर हो जाए तो आप स्टेपनी लगाकर अपनी यात्रा जारी रख सकते हैं. पहले ये हर कार में डिक्की के नीचे या SUV और ट्रकों में पीछे की तरफ मिलता था. लेकिन अब कार कंपनियां इसे हटा रही हैं.

स्टेपनी क्यों हटाई जा रही है?

  1. स्टेपनी का वजन कार को भारी बनाता है. भारी कार ज्यादा पेट्रोल या बिजली खर्च करती है. स्टेपनी हटाकर कंपनियां कार का वजन कम करती हैं, जिससे माइलेज बेहतर होता है.
  2. इलेक्ट्रिक कारों में बैटरी के लिए ज्यादा जगह चाहिए. स्टेपनी हटाने से डिक्की में ज्यादा सामान रखने की जगह मिलती है.
  3. साल 2020 में भारत सरकार ने नियम बदले. अब 8 सीटों से कम वाली कारों (M1 कैटेगरी) और 2.5 टन तक के हल्के मालवाहक वाहनों (N1 कैटेगरी) में स्टेपनी देना जरूरी नहीं है. लेकिन इसके लिए कार में ट्यूबलेस टायर, टायर प्रेशर मॉनिटरिंग सिस्टम (TPMS) और टायर रिपेयर किट होना चाहिए. ये नियम 1 अक्टूबर 2020 के बाद बनी सभी कारों पर लागू हैं.
  4. आजकल ट्यूबलेस टायर और रिपेयर किट से छोटे-मोटे पंक्चर आसानी से ठीक हो जाते हैं. इसलिए कंपनियां स्टेपनी की जरूरत कम समझती हैं.

भारत में कौन-सी सस्ती कारें बिना स्टेपनी आ रही हैं?

यहां उन सस्ती कारों की लिस्ट है, जिनमें स्टेपनी नहीं मिलती. इनमें टायर रिपेयर किट, हवा भरने वाला पंप और TPMS मिलता है.

टाटा टियागो EV

ये भारत की पहली सस्ती कार थी, जिसमें स्टेपनी नहीं दी गई. इलेक्ट्रिक कार होने की वजह से बैटरी के लिए जगह चाहिए थी. इसलिए स्टेपनी की जगह टायर रिपेयर किट और पंप दिया गया है.
टाटा पंच EV

टाटा की ये छोटी SUV भी इलेक्ट्रिक है. इसमें स्टेपनी नहीं है. इसके बजाय टायर रिपेयर किट, पंप और TPMS मिलता है.
टाटा हैरियर

टाटा हैरियर की ऊंची वैरिएंट्स में स्टेपनी मिलती है, लेकिन बेसिक मॉडल (Smart और Pure) में नहीं. इनमें टायर रिपेयर किट और पंप दिया जाता है.
टाटा सफारी

हैरियर की तरह सफारी के बेसिक मॉडल (Smart और Pure) में भी स्टेपनी नहीं मिलती. ऊंचे मॉडल में 18 इंच के बड़े टायर मिलते हैं.
मारुति सुजुकी ग्रैंड विटारा

इस SUV के स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड मॉडल में स्टेपनी नहीं है. बैटरी की वजह से डिक्की में जगह कम है. इसमें TPMS, टायर रिपेयर किट और पंप मिलता है.
मारुति सुजुकी विक्टोरिस

इस नई मिड-साइज SUV के सभी मॉडल में स्टेपनी नहीं है. मारुति का कहना है कि इससे कार का वजन कम होता है और माइलेज बेहतर होता है.
मारुति सुजुकी फ्रॉन्क्स

फ्रॉन्क्स के टर्बो मॉडल में स्टेपनी नहीं मिलती. इसके बजाय टायर रिपेयर किट और पंप दिया जाता है.
MG कॉमेट EV

ये मार्केट की सबसे छोटी इलेक्ट्रिक कार है. इसमें जगह की कमी की वजह से स्टेपनी नहीं है. टायर सीलेंट जेल, पंप और TPMS मिलता है.
MG विंडसर EV

इस बड़ी इलेक्ट्रिक कार में भी स्टेपनी नहीं है. बैटरी और डिक्की की जगह बचाने के लिए टायर सीलेंट जेल, पंप और TPMS दिया गया है.
विनफास्ट VF6

वियतनाम की इस इलेक्ट्रिक कार में स्टेपनी नहीं है. इसके ट्यूबलेस टायर खुद पंक्चर ठीक कर सकते हैं. साथ में टायर रिपेयर किट और पंप भी मिलता है.
विनफास्ट VF7

VF6 की तरह इसमें भी स्टेपनी नहीं है. वजन कम करने और डिक्की की जगह बचाने के लिए टायर रिपेयर किट और पंप दिया गया है.

क्या करें अगर स्टेपनी नहीं है?

टायर रिपेयर किट का इस्तेमाल करें. छोटे पंक्चर के लिए ये किट बहुत काम आती है. इसमें सीलेंट जेल डालकर टायर को अस्थायी रूप से ठीक किया जाता है. अगर पंक्चर बड़ा है, तो जल्दी से सर्विस सेंटर पहुंचें. TPMS चेक करें. ये सिस्टम टायर की हवा कम होने पर आपको अलर्ट करता है. अगर आपको स्टेपनी जरूरी लगती है, तो आप अलग से खरीद सकते हैं, लेकिन इसके लिए डिक्की में जगह चाहिए.

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