पुरानी कार खरीदने के बाद बीमा ट्रांसफर भी जरूरी, नहीं तो अटक सकता है क्लेम, जानें प्रॉसेस

अगर आपने सेकेंड हैंड कार की बीमा पॉलिसी अपने नाम नहीं कराई, तो आगे चलकर न क्लेम मिलेगा और न ही कानूनी सुरक्षा. ऐसे में चलिए जानते हैं कि पुरानी कार का बीमा अपने नाम कैसे ट्रांसफर किया जाता है साथ ही किन-किन दस्तावेजों की जरूरत होती है और क्या-क्या गलती नहीं करनी चाहिए.

सेकेंड हैंड कार का इंश्योरेंस Image Credit: Canva

Used car Insurance transfer India,: पुरानी कार खरीदना तो आसान है, लेकिन असली झंझट तो उसके बाद शुरू होती है. जब आप उस कार की इंश्योरेंस पॉलिसी को भी अपने नाम ट्रांसफर नहीं कराते हैं. कई लोग सिर्फ आरसी यानी Registration Certificate अपने नाम कराके समझते हैं कि काम पूरा हो गया, लेकिन ऐसा नहीं है. अगर आपने कार की बीमा पॉलिसी अपने नाम नहीं कराई, तो आगे चलकर न क्लेम मिलेगा और न ही कानूनी सुरक्षा. ऐसे में चलिए जानते हैं कि पुरानी कार का बीमा अपने नाम कैसे ट्रांसफर किया जाता है, किन-किन दस्तावेजों की जरूरत होती है और क्या-क्या गलती नहीं करनी चाहिए.

इंश्योरेंस ट्रांसफर की प्रक्रिया क्या है?

भारत में सेकंड हैंड गाड़ियों के लिए इंश्योरेंस ट्रांसफर करने की प्रक्रिया आसान तो है, लेकिन कुछ जरूरी स्टेप्स फॉलो करने होते हैं, इनमें,

इन जरूरी दस्तावेजों के साथ करें आवेदन

नया मालिक यानी आपने जब गाड़ी खरीदी है, तो बीमा ट्रांसफर करवाने के लिए ये दस्तावेज इंश्योरेंस कंपनी को देने होंगे,


RC में नाम अपडेट करवाना जरूरी है

इंश्योरेंस ट्रांसफर से पहले ये जरूरी है कि RC में आपका नाम अपडेट हो चुका हो. इसके बाद बीमा कंपनी गाड़ी का निरीक्षण कर सकती है और उसी हिसाब से नया प्रीमियम तय किया जाएगा.

अगर गाड़ी पर लोन है तो NOC लेना न भूलें

अगर आपने जिस गाड़ी को खरीदा है उस पर पहले से कोई लोन चल रहा है, तो फाइनेंसर से No Objection Certificate (NOC) लेना जरूरी है. तभी RC से Hypothecation हटेगा और ट्रांसफर प्रक्रिया पूरी मानी जाएगी.

सिर्फ RC बदलवाने से नहीं मिलता बीमा

बता दें सिर्फ RC बदलवाना काफी नहीं है. SBI जनरल इंश्योरेंस के अनुसार, इंश्योरेंस तब तक क्लेम नहीं देता जब तक दुर्घटना के दिन गाड़ी बीमित व्यक्ति के नाम पर न हो. मतलब ये कि RC और बीमा दोनों में नाम आपका होना जरूरी है.

पुरानी कार खरीदते वक्त इन बातों का रखें ध्यान

बहुत से लोग कुछ आम गलती कर बैठते हैं जिनसे आगे चलकर काफी नुकसान हो सकता है,

14 दिन में कराएं बीमा ट्रांसफर

मोटर वाहन अधिनियम की धारा 157 के मुताबिक, जब आप किसी सेकंड हैंड गाड़ी को खरीदते हैं, तो 14 दिनों के भीतर इंश्योरेंस ट्रांसफर कराना जरूरी होता है. अगर आप देरी करते हैं और इस बीच कोई दुर्घटना हो जाए, तो आपका क्लेम रिजेक्ट हो सकता है.

लोन और ऐड-ऑन कवर की स्थिति क्या होती है?

अगर गाड़ी पर पहले से कोई लोन चल रहा है, तो सबसे पहले उसे चुकाकर हाइपोथिकेशन हटवाएं. जहां तक ऐड-ऑन कवर की बात है, तो बीमा कंपनियां आमतौर पर वही कवर जारी रखती हैं, लेकिन वे गाड़ी की स्थिति जांचने के बाद ही ऐसा करती हैं.

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