लंदन की अदालत ने एयरसेल के पूर्व प्रमोटर शिवशंकरन को दिया झटका, IDBI बैंक के 1,250 करोड़ चुकाने का आदेश
Siva Industries-IDBI Bank: शिवा इंडस्ट्रीज ने कर्ज के लिए एक लेटर ऑफ कंफर्ट प्रोवाइड किया था, जो आईडीबीआई बैंक की अब बंद हो चुकी दुबई इंटरनेशनल फाइनेंशियल सेंटर ब्रॉन्च द्वारा जारी किया गया था. यह विवाद शिवा इंडस्ट्रीज की सहायक कंपनी एक्सेल सनशाइन द्वारा 2014 में लिए गए लोन से जुड़ा है.

Siva Industries-IDBI Bank: लंदन की एक अदालत ने आईडीबीआई बैंक के पक्ष में फैसला सुनाया है, जिसमें एयरसेल के पूर्व प्रमोटर चिन्नाकन्नन शिवशंकरन से जुड़ी एक फर्म को डिफॉल्ट लोन पर प्रिंसिपल और ब्याज के रूप में 143.7 मिलियन डॉलर (लगभग 1,250 करोड़ रुपये) का भुगतान करने का निर्देश दिया गया है. यह विवाद 2014 में शिवा इंडस्ट्रीज एंड होल्डिंग्स लिमिटेड की ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स बेस्ड सब्सिडिरी कंपनी एक्सेल सनशाइन लिमिटेड द्वारा लिए गए 67 मिलियन डॉलर के कर्ज से उपजा है.
शिवा इंडस्ट्रीज ने कर्ज के लिए एक लेटर ऑफ कंफर्ट प्रोवाइड किया था, जो आईडीबीआई बैंक की अब बंद हो चुकी दुबई इंटरनेशनल फाइनेंशियल सेंटर ब्रॉन्च द्वारा जारी किया गया था.
कोलेटरल के रूप में शेयरों को गिरवी रखा
शिवशंकरन शिवा ग्रुप के प्रमोटर हैं और एक्सेल शिवा इंडस्ट्रीज की सब्सिडियरी कंपनी है. लोन एग्रीमेंट के हिस्से के रूप में एक्सेल ने टाटा टेलीसर्विसेज लिमिटेड (TTSL) के शेयरों को कोलेटरल के रूप में गिरवी रखा, जिसकी वैल्यू 106 रुपये प्रति शेयर था, ताकि आईडीबीआई बैंक से 86 मिलियन डॉलर का लोन प्राप्त किया जा सके. हालांकि, एक्सेल द्वारा डिफॉल्ट किए जाने के बाद, शिवा इंडस्ट्रीज ने लोन चुकाने से इंकार कर दिया. इसके पीछे यह तर्क दिया कि लेटर ऑफ कम्फर्ट उसी तरह से देनदारी नहीं बनती, जिस तरह से कॉर्पोरेट गारंटी लगाती है.
शिवा इंडस्ट्रीज का तर्क खारिज
27 फरवरी के आदेश में इंग्लैंड और वेल्स उच्च न्यायालय ने इस तर्क को खारिज कर दिया, जिसमें न्यायाधीश लियोनेल पर्सी के.सी. ने फैसला सुनाया कि लेटर ऑफ कम्फर्ट में स्पष्ट कानूनी दायित्व हैं, जो प्रभावी रूप से गारंटी और क्षतिपूर्ति दोनों के रूप में कार्य करते हैं.
लेटर ऑफ कम्फर्ट
अदालत में खुद का पक्ष रखते हुए शिवा इंडस्ट्रीज ने दावा किया था कि आईडीबीआई बैंक ने संकटग्रस्त लोन को आंतरिक रूप से उचित ठहराने के लिए केवल प्रक्रियागत औपचारिकता के रूप में ‘लेटर ऑफ कम्फर्ट’ की मांग की थी. हालांकि, अदालत ने आईडीबीआई बैंक के दावे को बरकरार रखते हुए इस बचाव को खारिज कर दिया.
आईडीबीआई बैंक ने ब्रिटेन में केस जीत लिया है, लेकिन भारत में बकाया वसूलने में कानूनी अड़चनें हैं. अगर एक्सेल सनशाइन और शिवा इंडस्ट्रीज दोनों दिवालियापन की प्रक्रिया से गुजर रही हैं तो वसूली प्रक्रिया जटिल हो सकती है.
Latest Stories

IIT-IIM से पढ़ाई, लाखों की नौकरी छोड़ बने गार्ड, फिर क्या हुआ कि बन गए 1600 करोड़ के मालिक

HAL की ताबड़तोड़ डील! मिला बड़ा खजाना, IAF से थर-थर कॉपेंगे चीन-पाक, शेयर पर रखें नजर

Gold Rate Today: सोने की चमक पड़ी फीकी, इंटरनेशनल लेवल पर 16.61 डॉलर प्रति औंस फिसला, MCX पर तेजी
