भारत-पाक टेंशन का असर अब चाइनीज कंपनियों पर, अडानी ग्रुप ने एक हफ्ते में ही तोड़ा ड्रैगनपास से नाता
अडानी एयरपोर्ट होल्डिंग्स ने ड्रैगनपास के साथ अपनी साझेदारी को एक हफ्ते के अंदर ही तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया है. अब ड्रैगनपास ग्राहक अडानी द्वारा संचालित एयरपोर्ट लाउंज का उपयोग नहीं कर पाएंगे. कंपनी ने स्पष्ट किया है कि यह बदलाव अन्य यात्रियों की लाउंज सेवाओं पर कोई प्रभाव नहीं डालेगा. ड्रैगनपास एक वैश्विक सेवा है जो दुनियाभर के एयरपोर्ट लाउंज तक पहुंच उपलब्ध कराती है.
Adani Airport DragonPass: भारत- पाकिस्तान के बीच हुए हालिया संघर्ष का असर तुर्किये के कंपनी के बाद अब चीन के भी कंपनियों पर दिखने लगा है. अडानी एयरपोर्ट होल्डिंग्स ने चीनी कंपनी ड्रैगनपास के साथ अपनी साझेदारी को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया है. इस फैसले के साथ ही अब ड्रैगनपास ग्राहकों को अडानी द्वारा मैनेज किए जा रहे एयरपोर्ट लाउंज की सुविधा नहीं मिलेगी. अडानी एयरपोर्ट होल्डिंग्स की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि ड्रैगनपास ग्राहकों को अब अडानी एयरपोर्ट्स पर लाउंज एक्सेस नहीं मिलेगा. हालांकि, यह बदलाव अन्य यात्रियों की लाउंज एक्सेस पर कोई असर नहीं डालेगा.
एक हफ्ते में ही टूटी पार्टनरशिप
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, यह फैसला दोनों कंपनियों के बीच हुई पार्टनरशिप के महज एक हफ्ते बाद आया है. इस समझौते के तहत ड्रैगनपास को अडानी एयरपोर्ट सहित भारत के अन्य प्रमुख एयरपोर्ट लाउंज में एंट्री मिल जाती. ड्रैगनपास एक ग्लोबल सर्विस प्रोवाइडर है, जो यात्रियों को दुनियाभर के एयरपोर्ट लाउंज की सर्विस देती है. इसके जरिए सदस्य आरामदायक लाउंज सेवाओं का लाभ ले सकते हैं, जिसमें फूड, वाई-फाई, बिजनेस सुविधाएं आदि शामिल होती हैं.
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ड्रैगन पास का चीनी कनेक्शन
ड्रैगनपास एक चीनी कंपनी है, जो 2005 से इस सेक्टर में काम कर रही है. दुनियाभर में इसके 30 मिलियन से अधिक सदस्य हैं. कंपनी की शुरुआत केवल एयरपोर्ट लाउंज सेवा प्रदान करने से हुई थी, लेकिन अब इसने अपना दायरा बढ़ा लिया है. वर्तमान में कंपनी के पास दुनियाभर में 1300 से अधिक लाउंज हैं, जहां यह अपनी सेवाएं प्रदान करती है.
क्या होगा असर
इस फैसले के बाद ड्रैगनपास ग्राहक अब अडानी एयरपोर्ट पर लाउंज का लाभ नहीं ले पाएंगे. हालांकि, अन्य यात्रियों के लिए यह सर्विस पहले जैसी ही होगी. अडानी ग्रुप ने अपने इस फैसले के बारे में कोई विशेष कारण नहीं बताया है, लेकिन भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए संघर्ष के बाद तुर्की के रुख को लेकर देश में उसके बहिष्कार की मुहिम चल रही है. इसी तरह लोग चीन के साथ हुए इस डील को लेकर भी सोशल मीडिया पर निशाना साध रहे थे. कई लोग अडानी ग्रुप द्वारा किए गए समझौते पर सवाल उठा रहे थे और इसे रद्द करने की मांग कर रहे थे.
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