टेलीकॉम इंडस्ट्री की जंग में पीछे हटे अडानी, एयरटेल को बेचेंगे स्पेक्ट्रम, अंबानी का रास्ता साफ!
अडानी गुप ने टेलीकॉम इंडस्ट्री से बाहर निकलने का फैसला किया है. इतना ही नहीं 2022 में समूह की ओर से खरीदे गए स्पेक्ट्रम को एयरटेल को बेचने का निर्णय लिया है. अडानी के इस क्षेत्र से बाहर निकलने से इसके बड़े प्रतिस्पर्धी रिलायंस जियो का रास्ता साफ किया है.

Adani exit telecom plans: टेलीकॉम इंडस्ट्री में मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस जियो का काफी दबदबा है. मगर अडानी ग्रुप के इस क्षेत्र में कदम रखने से हलचल तेज हो गई थी. माना जा रहा था कि अडानी समूह वोडाफोन आइडिया जैसी कंपनियों को खरीद कर अपने टेलीकॉम कारोबार का विस्तार करेगा. हालांकि इन सभी अटकलों को खत्म करते हुए अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी ने अपने टेलीकॉम सेक्टर के इस बड़े प्रोजेक्ट पर ब्रेक लगा दिया है. अडानी ने टेलीकॉम इंडस्ट्री से बाहर निकलने का फैसला किया है. साथ ही 2022 की नीलामी में खरीदे गए स्पेक्ट्रम को एयरटेल एयरटेल को बेचने का निर्णय लिया है.
अडानी के टेलीकॉम इंडस्ट्री से एग्जिट लेने के इस फैसले से दूसरी टेलीकाॅम कंपनियों में मची प्रतिस्पर्धा को काफी हद तक खत्म कर दिया है. इससे मुकेश अंबानी के लिए टेलीकॉम इंडस्ट्री में दबदबा बनाए रखने का रास्ता भी साफ हो गया है. बता दें अडानी ने 2022 की नीलामी में खरीदे गए एयरवेव्स को भारती एयरटेल को बेचने का निर्णय लिया है. अडानी डेटा नेटवर्क्स ने 26GHz बैंड में 400 MHz स्पेक्ट्रम करीब 212 करोड़ रुपये में खरीदा था, जिसे अब एयरटेल अपने कब्जे में लेगा. अडानी समूह, जिसने शुरू में कहा था कि स्पेक्ट्रम का उपयोग निजी जरूरतों के लिए होगा.
डील से ये काम होंगे आसान
एयरटेल ने बयान जारी कर कहा कि भारती एयरटेल और इसकी सहायक कंपनी भारती हेक्साकॉम ने अडानी डेटा नेटवर्क्स, जो अडानी एंटरप्राइजेज की सहायक कंपनी है. इसके साथ कुछ समझौते किए हैं. इस डील के जरिए गुजरात (100MHz), मुंबई (100MHz), आंध्र प्रदेश (50MHz), राजस्थान (50MHz), कर्नाटक (50MHz), और तमिलनाडु (50MHz) में 26GHz बैंड के 400MHz स्पेक्ट्रम के उपयोग के अधिकार हासिल किए जा सकेंगे.” कंपनी ने यह भी बताया कि इस लेन-देन का समापन सामान्य शर्तों (जिनमें स्पेक्ट्रम ट्रेडिंग दिशानिर्देशों में उल्लिखित शर्तें शामिल हैं) और वैधानिक मंजूरियों के पूरा होने पर निर्भर है.
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क्या था अडानी ग्रुप का प्लान?
अडानी समूह हवाई अड्डों, सीमेंट, डेटा सेंटर, बिजली, और अन्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में अपना जलवा कायम करने के बाद टेलीकॉम जगत में भी कुछ बड़ा करने की प्लानिंग में था. माना जा रहा था कि अडानी-अंबानी को इस क्षेत्र में टक्कर देंगे. हालांकि समूह ने स्पष्ट किया कि वह इस क्षेत्र में बड़ा नहीं जाना चाहते, बल्कि स्पेक्ट्रम का उपयोग अपनी निजी जरूरतों के लिए करना चाहते हैं. कुछ जानकारों का मानना है कि अडानी ग्रुप अपने हवाई अड्डों से लेकर बिजली और डेटा सेंटर के कारोबारों को समर्थन देने के लिए एक निजी नेटवर्क बनाने की योजना बना रहा था. मगर भारी निवेश और टेलीकॉम सेक्टर की तीव्र प्रतिस्पर्धा ने उसे इससे एग्जिट लेने के के लिए प्रेरित किया हो सकता है.
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