अमेरिका के लिए डेयरी सेक्टर खोलने से घटेगी किसानों की कमाई, 1.03 लाख करोड़ का हो सकता है नुकसान
India-US Trade Deal: भारत ने अपने डेयरी और कृषि क्षेत्र को अमेरिका के लिए खोलने पर अपना रुख कड़ा कर लिया है. जानकारों का कहना है कि यह कदम जरूरी है, क्योंकि डेयरी क्षेत्र को खोलने से भारी नुकसान हो सकता है. SBI की रिपोर्ट ने कुछ आंकड़े सामने रखे हैं.

India-US Trade Deal: भारत और अमेरिका एक अंतरिम व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की कोशिश में जुटे हैं, लेकिन डेयरी और कृषि क्षेत्र अभी भी पेचीदा मुदा बना हुआ है. भारत ने अपने डेयरी और कृषि क्षेत्र को अमेरिका के लिए खोलने पर अपना रुख कड़ा कर लिया है. जानकारों का कहना है कि यह कदम जरूरी है, क्योंकि डेयरी क्षेत्र को खोलने से भारी नुकसान हो सकता है. भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के एक हालिया विश्लेषण से पता चलता है कि अगर डेयरी सेक्टर अमेरिकी इंपोर्ट के लिए खुल जाता है, तो भारतीय डेयरी किसानों को सालाना 1.03 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है.
8 करोड़ लोगों को मिलता है रोजगार
भारत का डेयरी उद्योग ग्रामीण अर्थव्यवस्था का अभिन्न अंग है, जो नेशनल ग्रॉस वैल्यू एडेड (GVA) का लगभग 2.5-3 फीसदी जेनरेट करता है. यह 7.5-9 लाख करोड़ रुपये के बराबर है. यह सेक्टर लगभग 8 करोड़ व्यक्तियों को सीधे रोजगार प्रदान करता है, जिससे GVA में प्रत्येक 1 लाख रुपये के योगदान पर एक रोजगार का अवसर पैदा होता है.
भारत को अमेरिका के लिए अपना डेयरी सेक्टर क्यों नहीं खोलना चाहिए, इसपर SBI की रिपोर्ट कई चिंताओं को जाहिर करती है. रिपोर्ट अमेरिकी डेयरी उद्योग द्वारा प्राप्त पर्याप्त सब्सिडी को ध्यान में रखते हुए, भारत के छोटे डेयरी किसानों की कमाई पर प्रभाव के बारे में चिंताओं को उजागर करती है.
दूध की कीमतों में गिरावट का अनुमान
SBI की रिपोर्ट के अनुसार, अगर डेयरी सेक्टर को खोल दिया जाता है, तो भारत में दूध की कीमत कम से कम 15 फीसदी तक कम हो सकती है. इससे डेयरी किसानों को 1.03 लाख करोड़ रुपये का संभावित वार्षिक नुकसान हो सकता है. SBI की रिपोर्ट अमेरिकी डेयरी प्रतिस्पर्धा से भारतीय किसानों की आय के लिए पर्याप्त जोखिमों के बारे में भी बताती है. रिपोर्ट के अनुसार, डेयरी सेक्टर को ओपन करने से भारत का दूध इंपोर्ट प्रति वर्ष लगभग 25 मिलियन टन बढ़ सकता है.
किसानों की कमाई पर प्रभाव
एनालिसिस के अनुसार, दूध की कीमतों में 15 फीसदी की कमी से किसानों की कमाई पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और उद्योग का आर्थिक महत्व कम हो जाएगा. चारा, ईंधन, परिवहन और अप्रतिपूरित पारिवारिक वर्कफोर्स (Uncompensated Family Workforce) सहित इनपुट के खर्चों पर विचार करते हुए कैलकुलेट की गई GVA घटकर 0.51 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगी.
कुछ सेक्टरों को मिलेगा फायदा
रिपोर्ट ने वैकल्पिक सेक्टरों में भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों के बढ़ने से लाभ का भी संकेत दिया. वर्तमान में भारत से अमेरिका को जैविक खाद्य और मसालों सहित प्रीमियम कृषि उत्पादों का निर्यात 1 अरब डॉलर से कम है. इसमें अमेरिकी बाजार की मांग को देखते हुए 3 अरब डॉलर से अधिक विस्तार की गुंजाइश है.
आम, लीची, केले और भिंडी सहित ताजा उपज के निर्यात में सैनिटरी और फाइटोसैनिटरी (SPS) प्रतिबंधों को हटाने पर वृद्धि देखने को मिल सकती है. नॉन-टैरिफ बाधाओं को हटाने से आयुष प्रोडक्ट्स और जेनेरिक दवाओं के निर्यात को बढ़ाने का अवसर मिलता है, जिससे संभावित रूप से रेवेन्यू में 1-2 अरब डॉलर की वृद्धि हो सकती है.
प्रत्याशित लाभों में आसान वीजा प्रोसेस, विस्तारित आउटसोर्सिंग संभावनाएं, कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं और सटीक कृषि टेक्नोलॉजी में अमेरिकी निवेश के साथ-साथ चारा, इक्विपमेंट और पशु चिकित्सा आपूर्ति जैसी कृषि आवश्यकताओं की कम लागत शामिल भारत को अन्य देशों के मुकाबले बेहतर स्थिति में लाना है.
1.03 लाख करोड़ का नुकसान
SBI रिपोर्ट के अनुसार, अगर घरेलू दूध की कीमतों में 15 फीसदी की गिरावट होती है, तो कुल रेवेन्यू का नुकसान लगभग 1.8 लाख करोड़ रुपये होगी. किसान की हिस्सेदारी 60 फीसदी मानते हुए और दूध की कीमत में गिरावट के कारण सप्लाई में बदलाव को समायोजित करने पर किसानों को वार्षिक नुकसान लगभग 1.03 लाख करोड़ रुपये का होगा.
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