अंबानी-अडानी हुए एक, मिलकर बेचेंगे पेट्रोल-CNG, रिलायंस Jio-BP और ATG के बीच पार्टनरशिप

ATGL-Reliance Jio-BP: अडानी टोटल गैस (ATGL) और रिलायंस बीपी मोबिलिटी के फ्यूल रिटेल ब्रॉन्ड जियो-बीपी ने बुधवार को बड़ा ऐलान किया है. दोनों कारोबारी घराने की फ्यूल बेचने वाली कंपनियां अब एक साथ मिलकर इसकी बिक्री करेंगी. इसके लिए खाका तैयार हो चुका है.

एक साथ बिजनेस करेगी अडानी और अंबानी की ये कंपनी. Image Credit: Tv9

ATGL-Reliance Jio-BP: भारतीय कारोबार की दुनिया में एक ऐतिहासिक पन्ना लिखा जा रहा है. देश के दो दिग्गज कारोबारी घराने एक होने की तरफ बढ़ रहे हैं, क्योंकि वो देश में बिकने वाले फ्यूल की क्वालिटी में सुधार लाना चाहते हैं. अडानी टोटल गैस (ATGL) और रिलायंस बीपी मोबिलिटी के फ्यूल रिटेल ब्रॉन्ड जियो-बीपी ने बुधवार को कहा कि वो भारत के तेजी से बढ़ते 150 अरब डॉलर के फ्यूल रिटेल मार्केट की चुनिंदा आउटलेट्स पर एक-दूसरे के फ्यूल की बिक्री शुरू करेंगे.

क्या करेंगी दोनों कंपनियां?

अडानी टोटल गैस ने स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग के जरिए बताया है कि इस पार्टनरशिप के तहत चुनिंदा ATGL फ्यूल आउटलेट जियो-बीपी के लिक्विड प्यूल (पेट्रोल और डीजल) की पेशकश करेंगे, जबकि चुनिंदा जियो-बीपी ईंधन आउटलेट ATGL के अथॉराइज्ड जियोग्राफिकल के भीतर ATGL की CNG डिस्पेंसिंग यूनिट को इंटीग्रेट करेंगे.

एक दूसरे की ताकत का मिलेगा फायदा

जियो-बीपी के चेयरमैन सार्थक बेहुरिया ने कहा कि जियो-बीपी हमेशा से ही ग्राहकों को बेहतरीन अनुभव प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध रहा है और यह साझेदारी हमें एक-दूसरे की ताकत का लाभ उठाने का अवसर प्रदान करती है, ताकि हम भारत को और बेहतर वैल्यू प्रदान कर सकें.

अडानी टोटल गैस लिमिटेड के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और सीईओ सुरेश पी मंगलानी ने कहा कि हमारे आउटलेट पर हाई क्वालिटी वाले फ्यूल की पूरी रेंज उपलब्ध कराना हमारा साझा दृष्टिकोण है. यह साझेदारी हमें एक-दूसरे के इंफ्रास्ट्रक्टर का लाभ उठाने में सक्षम बनाएगी, जिससे ग्राहक अनुभव और पेशकश में वृद्धि होगी.

प्राइवेट फ्यूल रिटेलर को क्या मिल रहा फायदा?

प्राइवेट फ्यूल रिटेलर्स रिलायंस इंडस्ट्रीज और रोसनेफ्ट समर्थित नायरा एनर्जी सरकारी कंपनियों द्वारा पंप कीमतों में कटौती से इनकार करने से पैदा हुई मार्केट डिस्टॉर्शन से लाभ उठा रही हैं, जबकि अंतरराष्ट्रीय ईंधन की कीमतों में भारी गिरावट आई है.

सरकारी कंपनियों की कम हो रही हिस्सेदारी

इंडस्ट्री के अधिकारियों के हवाले से ईटी ने लिखा कि रिलायंस इंडस्ट्रीज और नायरा एनर्जी का मार्जिन सरकारी कंपनियों को 3 रुपये प्रति लीटर तक का नुकसान पहुंचा रहा है. रिलायंस इंडस्ट्रीज और नायरा एनर्जी इस मार्जिन का इस्तेमाल सरकारी कंपनियों को घटा पहुंचाने के लिए कर रही हैं. इससे खुदरा पेट्रोल और डीजल कारोबार में उनकी बाजार हिस्सेदारी लगातार कम हो रही है. अप्रैल-मई में डीजल की बिक्री में प्राइवेट सेक्टर की हिस्सेदारी एक साल पहले के 9.6 फीसदी से बढ़कर 11.5 फीसदी हो गई.

सरकारी और प्राइवेट सप्लायर के बीच टक्कर

वहीं, थोक डीजल कारोबार में सरकारी और प्राइवेट सप्लायर के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली, जिसमें खुदरा कीमतों पर भारी छूट देकर फ्यूल की पेशकश की गई. अधिकारियों के अनुसार, इससे पता चलता है कि प्रतिस्पर्धी बाजार में कीमतों में कटौती की कितनी गुंजाइश है. सरकारी कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने अप्रैल-मई के दौरान थोक डीजल सेगमेंट में प्राइवेट खिलाड़ियों से महत्वपूर्ण हिस्सेदारी हासिल की.

इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी का अनुमान है कि भारत 2030 तक वैश्विक तेल मांग वृद्धि का सबसे बड़ा स्रोत बन जाएगा, जबकि इसके विपरीत चीन में ईंधन की मांग पहले ही चरम पर पहुंच चुकी होगी.

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