अनिल अंबानी का नया अवतार ‘डिफेंसमैन’, जर्मनी से फ्रांस तक बने पार्टनर; खुली किस्मत
अनिल अंबानी के सितारे इन दिनों बुलंदियों पर है, यही वजह है कि वे लगातार कई विदेशी कंपनियों से डील कर रहे हैं. एक समय इंफ्रा और टेलीकाॅम में अपनी धाक जमाने वाले अनिल अंबानी अपनी पिछली गलतियों से सबक लेते हुए अब डिफेंस सेक्टर में अपना दबदबा बना रहे हैं.
Anil Ambani in Defense Sector: अनिल अंबानी पिछले कुछ समय से लगातार सुर्खियों में हैं. कर्ज चुकाने के रिवाइवल प्लान से न सिर्फ उनकी कंपनियों के फाइनेंशियल ग्राफ को बूस्ट मिला है, बल्कि इससे निवेशकों का भी भरोसा उन पर बढ़ा है. इंफ्रास्ट्रक्चर और पावर सेक्टर के अलावा अब अनिल अंबानी डिफेंस सेक्टर की ओर मूव कर रहे हैं. उन्होंने ये कदम अपनी पिछली पारी में की गई गलतियों से मिली सीख को ध्यान में रखते हुए लिया है. चूंकि आत्मनिर्भर भारत के तहत रक्षा क्षेत्र को बढ़ावा दिया जा रहा है और ये ट्रेडिंग सेक्टर है. इसी के तहत अब अनिल अंबानी रक्षा क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत कर रहे हैं. इसके लिए उन्होंने कई दिग्गज कंपनियों से डील भी की है. उनके इस नए अवतार को देखते हुए उन्हें डिफेंस मैन कहना गलत नहीं होगा.
रक्षा क्षेत्र अपना दबदबा बनाने के लिए अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस ने जर्मनी से लेकर फ्रांस तक की कंपनियों से डील की है. हाल ही में रिलायंस डिफेंस एंड रिलायंस एयरोस्ट्रक्चर ने फ्रांस की दसॉल्ट एविएशन के साथ करार किया है , जिसके तहत फाल्कन जेट का निर्माण किया जाएगा. तो हाल ही में किन प्रमुख कंपनियों से अनिल अंबानी ने की साझेदारी और क्यों उनकी भूमिका मानी जा रही है अहम, जानें पूरी डिटेल.
2000 बिजनेस जेट्स का करेगी निर्माण
भारत को दुनिया के सबसे बड़े हथियार आयातक के तौर पर माना जाता है. अब ‘मेक इन इंडिया’ के दम पर डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर सुपरपावर बनने की राह पर है. इसके लिए अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस एंड रिलायंस एयरोस्ट्रक्चर ने हाल ही में फ्रांस की दसॉल्ट एविएशन के साथ करार किया है. इसके तहत भारत में 2000 फाल्कन बिजनेस जेट्स बनाए जाएंगे. यह ऐसा पहला मौका है जब दसॉल्ट एविएशन ने पहली बार इसका निर्माण फ्रांस के बाहर करने का फैसला किया है. इसकी मैन्यूफैक्चरिंग नागपुर में होगी. इस डील के बाद ही रिलायंस इंफ्रा के शेयरों में तेजी देखने को मिली.
राइनमेटल के साथ भी मिलाया हाथ
दसॉल्ट के साथ डील के पहले अनिल अंबानी की कंपनी ने 22 मई 2025 को जर्मनी की एक कंपनी के साथ हाथ मिलाया था, जिसका नाम राइनमेटल AG है. रिलायंस डिफेंस लिमिटेड के साथ हुई इस डील के तहत महाराष्ट्र के रत्नागिरी में एक ग्रीनफील्ड प्लांट लगाया जाएगा. इस प्लांट में हर साल 2 लाख आर्टिलरी शेल्स, 10,000 टन विस्फोटक, और 2,000 टन प्रोपेलेंट्स तैयार किए जाएंगे.
जर्मनी की कंपनी मेहरबान
अनिल अंबानी डिफेंस सेक्टर में अपना दबदबा बनाने के लिए धड़ाधड़ डील कर रहे हैं, उनके सपने को पूरा करने में जर्मनी एक एक अहम भूमिका निभा रहा है. जर्मनी की राइनमेट के अलावा वहां की Diehl डिफेंस ने अभी अनिल अंबानी के साथ हाथ मिलाया है. वह रिलायंस डिफेंस (आर-डिफेंस) के साथ हमलकर भारतीय सशस्त्र बलों के लिए अगली पीढ़ी के टर्मिनली गाइडेड म्यूनिशन यानी TGM का प्रोडक्शन करेगी. इस साझेदारी से वल्केनो 155 मिमी प्रेसिजन-गाइडेड म्यूनिशन सिस्टम का लोकल उत्पादन बढ़ेगा. डील के तहत आर-डिफेंस महाराष्ट्र के रत्नागिरी में वाटाड औद्योगिक क्षेत्र में एक बड़ी, हाईटेक, ग्रीनफील्ड, इंटीग्रेटेड गोला-बारूद और विस्फोटक मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करेगी.
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इन गलतियों से ली सीख
अनिल अंबानी का कभी टेलीकॉम और इंफ्रा सेक्टर में अच्छी पकड़ थी. साल 2008 में अनिल अंबानी के पास 3.5 लाख करोड़ की संपत्ति हुआ करती थी. बंटवारे में मिले बिजनेस टेलिकॉम, पावर, इंफ्रास्ट्रक्चर और फाइनेंस जैसे क्षेत्रों में उन्होंने तेजी से विस्तार किया. इसके लिए उन्होंने भारी कर्ज भी लिया. नतीजतन सासन पावर प्रोजेक्ट की लागत अनुमान से 1.45 लाख डॉलर अधिक हो गई, जिससे कंपनी पर 31,700 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज हो गया. इसी तरह रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) ने CDMA तकनीक को अपनाया, मगर उस वक्त GSM का दबदबा था. इसमें भी RCom को नुकसान हुआ. इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में भी उनके कई प्रोजेक्ट अधूरे रह गए, लेकिन इन गलतियों से सीख लेते हुए अंबानी अब रिवाइवल की ओर बढ़ रहे हैं. उनकी कंपनियां न सिर्फ कर्ज मुक्त हो रही हैं, बल्कि अब वे डिफेंस सेक्टर में अपना दबदबा बढ़ा रहे हैं.