Bitcoin Reserve : जानें किस देश के पास बिटकॉइन का कितना बड़ा खजाना, कहां ठहरता है भारत?
Bitcoin में दुनिया की सबसे बड़ी निवेश फर्म ब्लैकरॉक सहित 183 लिस्टेड कंपनियों ने निवेश किया है. सरकारें भी इसमें पीछे नहीं हैं. अमेरिका के अलावा चीन, रूस, जापान, यूएई, सऊदी अरब जैसे देश हैं, जो अपने खजाने में बिटकॉइन जमा कर रहे हैं. जानते हैं इस फेरहिस्त में कौन सबसे आगे है? इसके साथ ही जानते हैं कि इस दौड़ में भारत कहां ठहरता है?

Bitcoin को लेकर 8 जून, 2021 को डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, “बिटकॉइन, एक स्कैम जैसा लता है. मुझे यह पसंद नहीं, क्योंकि यह डॉलर के खिलाफ कंपीट कर रही एक और करेंसी है.” इसके साथ ही ट्रंप ने कहा कि वे चाहते हैं कि डॉलर दुनिया की यूनिवर्सल करेंसी बने. दिलचस्प रूप से उसी दौरान दुनिया के सबसे अमीर शख्स और टेस्ला इंक के सीईओ एलॉन मस्क ने ऐलान किया कि उनकी कंपनी भुगतान के लिए बिटकॉइन स्वीकार नहीं करेगी. इसके बाद कुछ ही दिनों में बिटकॉइन की कीमत में भारी गिरावट आई. लेकिन, इस साल जब जनवरी में ट्रंप राष्ट्रपति बने, तो उन्होंने अपने कार्यकाल के पहले 100 दिनों में जो सबसे बड़े फैसले किए, उनमें से एक US Strategic Crypto Reserve बनाना शामिल है. 6 मार्च, 2025 को ट्रंप ने Strategic Bitcoin Reserve and U.S. Digital Asset Stockpile बनाने का आदेश जारी किया.
अमेरिका अव्वल
अमेरिका फिलहाल 19 लाख से ज्यादा बिटकॉइन के साथ दुनिया में सबसे बड़ा क्रिप्टो रिजर्व रखने वाली सरकार है. अमेरिका के बाद इस सूची में दूसरा नाम चीन का आता है. इसके अलावा ब्रिटेन, यूक्रेन, नॉर्थ कोरिया, भूटान और अल साल्वाडोर का नंबर आता है.

कंपनियों और सरकारों का बढ़ रहा निवेश
Bitcoin Treasuries के मुताबिक पिछले 30 दिन में दुनियाभर की ट्रेजरीज में बिटकॉइन की तादाद में बढ़ोतरी हुई है. फिलहाल, सरकारों, निजी और सार्वजनिक कंपनियों के साथ ही ETF, एक्सचेंज के पास 32 लाख से ज्यादा बिटकॉइन मौजूद हैं. वहीं, अगर संख्या के लिहाज से देखा जाए, तो ऐसी कुल 183 संस्थाएं हैं, जिनके पास बिटकॉइन मौजूद हैं.

सरकारों की दिलचस्पी क्यों?
डोनाल्ड ट्रंप ने आखिर स्कैम लगने वाले बिटकॉइन का रणनीतिक रिजर्व क्यों बनाया? व्हाइट हाउस ने 6 मार्च को जब बिटकॉइन रिजर्व बनाने के फैसले की जानकारी दी, तो बताया कि क्यों इस बिटकॉइन को चुना गया है. इसमें कहा गया है कि, बिटकॉइन एक ऑरिजिनल क्रिप्टोकरेंसी है. बिटकॉइन का ब्लॉकचेन प्रोटोकॉल स्थायी रूप से BTC की कुल आपूर्ति को 2.1 करोड़ बिटकॉइन पर सीमित करता है. इसके अलावा इसे कभी भी हैक नहीं किया गया है. इसकी कमी और सुरक्षा को देखते हुए बिटकॉइन को अक्सर “डिजिटल गोल्ड” कहा जाता है. BTC की निश्चित आपूर्ति है, इसलिए रणनीतिक बिटकॉइन रिजर्व बनाया गया है.

भारत इस दौड़ में कहां?
भारत में क्रिप्टोकरेंसी के किसी भी रूप को लीगल टेंडर के तौर पर मान्यता नहीं दी गई है. हालांकि, डिजिटल ऐसेट्स के तौर पर 30 फीसदी टैक्स के साथ ट्रांजेक्शन की अनुमति दी गई है. फिलहाल, भारत सरकार या इसके किसी भी निकाय के पास बिटकॉइन जैसी कोई संपत्ति नहीं है. हालांकि, भारत में करोड़ों लोग हैं, जिन्होंने बिटकॉइन जैसे एसेट्स में निवेश किया है. Analytics Insight की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कॉइनबेस के पूर्व सीटीओ बालाजी श्रीनिवासन सबसे ज्यादा क्रिप्टो एसेट रखने वाले भारतवंशी हैं.
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