US में कार मैकेनिक को 1 करोड़ का पैकेज, फिर भी पद खाली! आनंद महिंद्रा ने बताया AI के दौर में ये हैं सेफ जॉब
US में कार मैकेनिक को 1 करोड़ रुपये तक की सैलरी मिल रही है, फिर भी हजारों पद खाली हैं. AI के दौर में किस तरह जॉब्स की स्थितियां बदल रही हैं. AI को तमाम व्हाइट कॉलर जॉब्स के लिए खतरा माना जा रहा है. हालांकि, दूसरी तरफ स्किल्ड फिजिकल कामों के लिए लोगों की डिमांड बढ़ रही है.
ग्लोबल जॉब मार्केट में एक हैरान कर देने वाला बदलाव सामने आ रहे हैं. जहां तरफ दुनिया में AI की वजह से व्हाइट कॉलर नौकरियों पर मंडराते खतरे की चर्चा में डूबी है, वहीं, AI की रेस को लीड कर रहे अमेरिका में नौकरियों को लेकर ऐसा संकट खड़ा हो गया, जिसकी शायद ही किसी ने उम्मीद की होगी. असल में अमेरिका में कार मैकेनिक जैसे स्किल्ड फिजिकल लेबर वाले जॉब्स के लिए फिट लोगों की भारी कमी है. इसकी वजह से यहां ऐसे लोगों को 1 करोड़ रुपये की सैलरी ऑफर की जा रही है. लेकिन, इसके बाद भी यहां लोग नहीं मिल रहे हैं.
भारतीय ऑटो दिग्गज महिंद्रा एंड महिंद्रा के मालिक आनंद महिंद्रा ने इसे लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट किया है. इसमें महिंद्रा कहते हैं AI की वजह से उपजी जॉब्स की चिंताएं असल में हमारी सोन के बिल्कुल उलट हैं. क्योंकि, जिन नौकरियों की सबसे ज्यादा जरूरत है, वे भारी सैलरी के बावजूद खाली पड़ी हैं.
महिंद्रा ने X पर Ford के CEO जिम फार्ले का हवाला देते हुए बताया कि अमेरिका में सिर्फ फोर्ड के ही करीब 5,000 मैकेनिक पद खाली हैं. इनमें कई जॉब्स 120,000 डॉलर (करीब 1 करोड़ रुपये) सालाना तक का पैकेज देती हैं, फिर भी कोई आवेदन नहीं कर रहा. उन्होंने कहा कि ये कमी सिर्फ एक कंपनी की नहीं, बल्कि पूरे अमेरिका की है, जहां प्लंबिंग, इलेक्ट्रिशियन, ट्रकिंग और फैक्ट्री ऑपरेशंस में 10 लाख से ज्यादा वैकेंसी पड़ी हैं.
इन नौकरियों को बताया सुरक्षित
महिंद्रा ने कहा कि ये संकट कोई अचानक नहीं आया. दशकों तक समाज ने डिग्रियों और कॉर्पोरेट जॉब्स को ही प्रतिष्ठा का पैमाना मान लिया, जबकि हाथों के कौशल वाली नौकरियां धीरे-धीरे हाशिये पर चली गईं. लेकिन आज वही नौकरियां AI के दौर में सबसे ज्यादा सुरक्षित हैं. क्योंकि मरम्मत, इंस्टॉलेशन, बिल्डिंग, वेल्डिंग, ऑपरेशन जैसे काम मशीनें नहीं कर पा रही हैं.
बदलनी पड़ेगी ड्रीम करियर की परिभाषा
महिंद्रा ने इस स्थिति को लेकर सवाल उठाते कहा कि क्या यह समय ‘ड्रीम करियर’ की परिभाषा बदलने वाला मोड़ है? अगर यही ट्रेंड जारी रहा, तो AI युग के सबसे बड़े विजेता प्रोग्रामर या CXO नहीं, बल्कि स्किल्ड वर्कर्स होंगे, जिनके दम पर दुनिया को चलाया जाएगा.
मार्क्स की क्रांति का किया जिक्र
महिंद्रा ने कार्ल मार्क्स का जिक्र करते हुए कहा कि जो ‘वर्कर राइज’ उन्होंने संघर्ष और क्रांति से जोड़कर देखा था, आज वह अलग रूप में दिख रहा है, वर्कर्स का उदय होगा, वह किसी वर्ग संघर्ष की वजह से नहीं बल्कि वे उठेंगे क्योंकि वे बेहद स्किल्ड, बेहद कम और बेहद जरूरी हो चुके हैं.
AI को लेकर हो गया था ओवरफोकस
सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने कहा कि दुनिया AI के शोर में उन ट्रेड्स को नजरअंदाज कर बैठी जो असल में सब कुछ बनाए रखते हैं. कोड लिखने का काम मशीनें संभाल लेंगी, लेकिन सर्वर की वायरिंग, मशीनों की रिपेयरिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण अब भी इंसान ही करेंगे. कई लोगों ने लिखा कि भारत को भी स्किल्ड ट्रेड्स को सम्मान और बेहतर पे देना जरूरी है.