खुले हाथों से खर्च कर रही केंद्र सरकार, अप्रैल से सितंबर तक फिस्कल डेफिसिट लक्ष्य के 36.5% तक पहुंचा

केंद्र सरकार खुले हाथों से खर्च कर रही है. इसकी वजह से फिस्कल डेफिसिट अप्रैल-सितंबर 2025 में बढ़कर 36.5% पहुंच गया है. सरकार ने अब तक कुल बजट व्यय का 45.5% और Capex लक्ष्य का 51.8% खर्च कर लिया है. हालांकि टैक्स रेवेन्यू में सुस्ती दिखी है, लेकिन सरकार को उम्मीद है कि फेस्टिव सीजन की मांग और बढ़ते उपभोग से राजस्व में सुधार होगा.

अप्रैल से सितंबर तक भारत का राजकोषीय घाटा बढ़ा Image Credit: Freepik

वित्त वर्ष 2025-26 की पहली छमाही यानी अप्रैल से सितंबर के दौरान केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) लक्ष्य के 36.5% तक पहुंच गया है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 29.4% रहा था. वित्त मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, सरकार का खर्च और पूंजीगत निवेश (Capex) दोनों में तेज वृद्धि देखने को मिली है, हालांकि टैक्स कलेक्शन में रफ्तार कुछ धीमी पड़ी है.

कैपेक्स टारगेट 50% पूरा

सरकार ने सितंबर तक पूंजीगत व्यय (Capex) के लक्ष्य का 51.8%, यानी करीब 5.8 लाख करोड़ रुपये खर्च कर दिया है. यह हिस्सा पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 37.3% ज्यादा है. सिर्फ सितंबर महीने में ही सरकार ने 1.5 लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं. यह पिछले साल की तुलना में 30% ज्यादा है. वहीं, अप्रैल में 1.6 लाख करोड़ रुपये का कैपेक्स हुआ था. इसके अलावा Capex से जुड़ा लोन डिस्बर्सल भी दोगुना रहा है. अप्रैल-सितंबर 2024 में यह 55,398 करोड़ था, जबकि इस साल यह आंकड़ा लगभग दोगुना हो गया है.

बजट का 45.5% उपयोग हुआ

वित्त वर्ष 2025-26 के पहले छह महीनों में सरकार का कुल खर्च 23,03,339 करोड़ रुपये रहा, जो बजट टारगेट 50.7 लाख करोड़ रुपये का करीब 45.5% है. इसमें से 17,22,593 करोड़ रुपये राजस्व व्यय में गए हैं और 5,80,746 करोड़ पूंजी व्यय में गए हैं. राजस्व व्यय में से 5,78,182 करोड़ रुपये ब्याज भुगतान पर खर्च हुए हैं. वहीं, 2,02,367 करोड़ रुपये सब्सिडियों पर खर्च हुए हैं.

टैक्स कलेक्शन में सुस्ती

मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही में सरकार का नेट टैक्स रेवेन्यू बजट अनुमान का 43.3% रहा, जो पिछले साल की समान अवधि में 49% था. वित्त मंत्रालय के मुताबिक, केंद्र सरकार को सितंबर 2025 तक 17,30,216 करोड़ की कुल प्राप्तियां हुई हैं. इनमें से 12,29,370 करोड़ रुपये कर राजस्व, 4,66,076 करोड़ गैर कर राजस्व, और 34,770 करोड़ नॉन-डेब्ट कैपिटल रिसीट्स के तौर पर मिले हैं. इस रेवेन्यू में से राज्यों को टैक्स शेयरिंग के तहत 6,31,751 करोड़ ट्रांसफर किए गए हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 86,948 करोड़ रुपये ज्यादा है.

त्योहारों से बढ़ी उम्मीद

सरकार को उम्मीद है कि फेस्टिव सीजन के दौरान खपत में आई तेजी से टैक्स कलेक्शन में सुधार होगा. दुर्गा पूजा और नवरात्रि सीजन के दौरान टू-व्हीलर बिक्री में 21.5% की बढ़ोतरी हुई है. इसके साथ ही, UPI ट्रांजैक्शन और ई-कॉमर्स सेल्स में भी जोरदार उछाल देखने को मिला है. हालांकि, 22 सितंबर से लागू GST रेशनलाइजेशन से शॉर्ट टर्म में टैक्स रेवेन्यू पर असर पड़ सकता है.

संतुलन बनाना मुश्किल काम

सरकार ने इस बार Capex फ्रंट पर मजबूत प्रदर्शन दिखाया है, जो इंफ्रास्ट्रक्चर ग्रोथ और रोजगार सृजन के लिए पॉजिटिव संकेत है. हालांकि, राजस्व संग्रह में सुस्ती और राजकोषीय घाटे में बढ़ोतरी से वित्तीय संतुलन बनाए रखना चुनौतीपूर्ण रहेगा. आने वाले महीनों में फेस्टिव सीजन की खपत और कर संग्रह की रफ्तार यह तय करेगी कि सरकार वित्त वर्ष 2025-26 के 5.1% फिस्कल डेफिसिट टारगेट को साध पाती है या नहीं.