चाबहार पोर्ट पर 29 सितंबर से अमेरिकी प्रतिबंध होंगे लागू, भारत को दी विशेष छूट खत्म, जानें क्या होगा असर?

अमेरिका और भारत के बीच संबंध अभी पूरी तरह पटरी पर लौटे नहीं है. लेकिन, उससे पहले ही अमेरिका ने भारत को परेशान करने के लिए एक और चाल चली है. अमेरिका ने ईरान में स्थित चाबहार पोर्ट को लेकर भारत को दी गई विशेष छूट को खत्म करने का ऐलान किया है. 29 सितंबर, 2025 से चाबहार पोर्ट पर भी पूरे ईरान के जैसे प्रतिबंध लागू किए जाएंगे.

चाबहार पोर्ट Image Credit: Alireza Asghari / 500px/Getty Images

अमेरिका ने ईरान के Chabahar Port के लिए दी गई विशेष छूट को समाप्त कर दिया है. 29 सितंबर, 2025 से इस पोर्ट के संचालन, फाइनेंसिंग या सर्विसिंग में शामिल किसी भी भारतीय या विदेशी संस्थान को उन तमाम प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा, जो पूरे ईरान पर पहले से लागू किए गए हैं. चाबहार पोर्ट को भारतीय कंपनियां ही ऑपरेट करती हैं. अरब सागर में पाकिस्तान और चीन की चुनौतियों के साथ ही अपने व्यापारिक हितों को साधने के लिए यह पोर्ट भारत के रणनीतिक रूप से बेहद अहम है.

क्या होगा भारत पर असर

भारत ने ईरान के चाबहार पोर्ट के विकास में करीब 3,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है. इस पोर्ट के विकास में India Ports Global Limited (IPGL) की भूमिका अहम है. कंपनी यहां शाहिद बेहेश्ती टर्मिनल का संचालन करती है और आधुनिकीकरण किया है. IPGL के अलावा पोर्ट के संचालन और निर्माण में और Afcons Infra भी शामिल है. चाबहार पोर्ट भारत के लिए पाकिस्तान को बायपास करके अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक पहुंचने का रणनीतिक रास्ता देता है. इसके अलावा पाकिस्तान के ग्वादर में चीन की मौजूदगी को भी संतुलित करता है. चाबहार पोर्ट भारत की अफगानिस्तान और मध्य एशिया से कनेक्टिविटी योजना का केंद्र रहा है. यह छूट समाप्त होने से इस परियोजना में वित्तीय और कानूनी जोखिम बढ़ सकते हैं, जिससे भारत के लिए रणनीतिक चुनौती पैदा हो सकती है.

क्या है भारत का रुख?

भारत ने पहले ही Chabahar Port के महत्व को दोहराया था. Ministry of External Affairs की तरफ से फिलहाल इस मामले में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. लेकिन, पहले MEA ने बताया है कि यह पोर्ट पाकिस्तान को बायपास करके अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक भारत की कनेक्टिविटी बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है.

अमेरिका ने क्या कहा?

अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने इस संबंध में एक बयान जारी कर कहा है कि “अमेरिका ईरान की आतंकवादी गतिविधियों और अन्य अस्थिर करने वाली कार्रवाइयों को फाइनेंस करने वाली अवैध फंडिंग को रोकने के लिए प्रतिबद्ध है. जब तक ईरान इन अवैध राजस्वों का इस्तेमाल अमेरिका और उसके सहयोगियों पर हमलों के लिए करता रहेगा, हम सभी उपलब्ध साधनों का इस्तेमाल करेंगे.”

छूट खत्म होने के पीछे वजह

US अधिकारियों का कहना है कि छूट जारी करने की परिस्थितियां बदल गई हैं. 2018 में जब यह छूट दी गई थी, तब अफगानिस्तान में एक निर्वाचित सरकार थी और पोर्ट को खाद्य और पुनर्निर्माण सामग्री के लिए गेटवे माना जाता था.
लेकिन 2021 में तालिबान के सत्ता में आने और भारत द्वारा पोर्ट विस्तार और International North-South Transport Corridor से जोड़ने की घोषणा के बाद, अमेरिकी अधिकारियों ने चेतावनी दी कि यह परियोजना ईरान को नए वाणिज्यिक मार्ग दे सकती है.

IFCA के तहत रद्द की गई छूट

यह आदेश अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फरवरी 2025 के ‘Maximum Economic Pressure’ वाली पैंतरेबाजी का हिस्सा है. इसके तहत ट्रंप ईरान को अलग-अलग तरीकों से मिली सभी तरह की छूट खत्म करना चाहते हैं. 2018 में Iran Freedom and Counter-Proliferation Act (IFCA) के जरिये अफगानिस्तान पुनर्निर्माण और आर्थिक विकास के लिए चाबहार पोर्ट को छूट दी गई थी.